राम के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक की कहानी ?
राम के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक की कहानी, हर एक खासियत, प्राण प्रतिष्ठा और अयोध्या से जुड़ी A-to-Z जानकारी एक जगह पढ़िए
22 जनवरी का दिन हर भारतीय के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होगा. रामलला के भव्य स्वागत के लिए अयोध्यानगरी दुल्हन की तरह सज चुकी है. श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है.
राम मंदिर अयोध्या की धरती पर प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार है. ये ऐसा दिन है जिसका सदियों से इंतजार किया जा रहा है. कई दशकों की कानूनी लड़ाई के बाद राम मंदिर बना है और अब प्राण प्रतिष्ठा का समय आ गया है. देशभर से हजारों लोग, साधु-संत और धर्माचार्य अयोध्या पहुंच रहे हैं.
आज हम आपको अयोध्या के रामलला की यात्रा पर चलने का निमंत्रण देते हैं, जिसमें आपको मुगल काल के इतिहास से लेकर राम मंदिर बनने की पूरी कहानी बताएंगे. इसके अलावा राम मंदिर की हर एक खासियत, कितना भव्य है, कैसे तैयार हुआ, क्या खास है… सब जानकारी इसी यात्रा में देंगे.
राम मंदिर का इतिहास
राम मंदिर के उद्घाटन के साथ ही रामभक्तों के 500 साल का इंतजार खत्म हो जाएगा. रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था. बताया जाता है भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने अयोध्या में उनका मंदिर बनवाया था. अकेले अयोध्या में सीताराम के 3000 मंदिर थे. इतिहासकार बताते हैं, 5वीं शताब्दी में इनमें से कई मंदिरों की हालत खराब होने लगी थी. उसी दौरान उज्जैन के राजा विक्रमादित्य अयोध्या आए और उन्होंने मंदिरों को ठीक करवाया. फिर कई सालों तक मंदिर ठीक रहे.
21 अप्रैल 1526 को बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच युद्ध हुआ. 1528 तक बाबर की सेना अयोध्या पहुंच जाती है. दावा किया जाता है कि मुगल बादशाह बाबर के कहने पर ही मंदिर तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण करवाया गया था. बाद में इसे ही बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाने लगा.
उस वक्त बाबर का राज था और उसकी जड़े काफी मजबूत थी. इसलिए 250 साल बीत गए कोई यहां कोई हलचल नहीं हुई. यूरोपियन ज्योग्रफर जोसेफ टिफेनथेलर 1766 से 1771 के बीच इसी स्थान पर थे. उन्होंने अपनी लिखी किताब डिस्क्रिप्टियो इंडिया में यहां राम चबूतरा होने की बात कही है.
1813 में पहली हिंदू संगठनों ने दावा किया कि बाबर ने राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया. यहां से ये मामला फिर उठने लगा. उस वक्त देश पर अंग्रेजों का शासन था. 1853 में पहली बार यहां सांप्रदायिक हिंसा हुई. विवाद बढ़ता देख 1859 में अंग्रेजों ने विवादित वाली जगह के आसपास बाड़ लगवा दी
1885 में पहली बार मामला अदालत में पहुंचा. महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में राम चबूतरे पर मंदिर बनाने की याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. 1949 में मस्जिद के भीतर भगवान की एक मूर्ति मिली. हिंदू पक्ष ने भगवान राम के प्रकट होने का दावा किया तो मुस्लिम पक्ष ने कहा कि हिंदुओं ने चुपके से मूर्तियां अंदर रख दीं. दोनों पक्षों ने एकदूसरे पर केस कर किया. उधर प्रशासन इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया.
1950 में गोपाल सिंह विशारद ने याचिका दायर कर राम चबूतरे पर पूजा की अनुमति मांगी. 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने कब्जे के लिए तीसरी अर्जी दाखिल की. 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर करते हुए मस्जिद की जमीन पर अपना दावा किया. 1986 में जिला अदालत ने विवादित ढांचा का दरवाजा खोलने और दर्शन की इजाजत दी. 1989 में विश्व हिंदू परिषद ने विवादित जमीन पर राम मंदिर का शिलान्यास किया और पहला पत्थर रखा.
गिराया गया बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा
विश्व हिंदू परिषद ने विवादित जमीन पर मस्जिद की जगह राम मंदिर बनाने का आंदोलन पहले ही शुरू कर दिया था. 90 के दशक में राम मंदिर का मुद्दा ही राजनेताओं के लिए सर्वोपरि था. 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी ने मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा निकाली. ये आक्रोश इतना ज्यादा बढ़ गया था कि 1992 में वीएचपी समेत तमाम हिंदू संगठनों ने मिलकर विवादित ढांचा गिरा दिया.
इसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए. दंगों में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए. केस दर्ज हुआ और 49 लोग आरोपी बनाए गए. लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, चंपत राय, कमलेश त्रिपाठी समेत तमाम बीजेपी और विहिप नेताओं को आरोपी बनाया गया. 28 साल बाद कोर्ट ने सबूत के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया. फैसले के वक्त 17 आरोपियों का निधन हो गया था.
जब राम मंदिर के पक्ष में आया फैसला
विवादित ढांचा गिराए जाने के 10 साल बाद 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन पर मालिकाना हक के लिए सुनवाई शुरू की. 2010 में हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया. 2011 में हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.
2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. मुस्लिमों को अलग से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया. इसके बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया और अब 22 जनवरी 2024 को मंदिर का उद्घाटन हो रहा है.
प्राण प्रतिष्ठा कैसे होगी?
18 जनवरी को रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया है. 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.विग्रह की आंखों से पट्टी हटायी जाएगी और उन्हें दर्पण दिखाया जाएगा. मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति उनके बाल रूप की है.
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं को देशभर के 121 आचार्य संपन्न करेंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी, मोहन भागवत, यूपी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यानाथ और अन्य गणमान्य भी उपस्थित रहेंगे.
प्राण प्रतिष्ठा की पूजा के लिए 9 हवन कुंड और 2 मंडप तैयार किए गए हैं. आठ दिशाओं के लिए आठ हवन कुंड बनाए गए. एक हवन कुंड आचार्य के लिए बनाया गया है. हवन कुंड बनाने के लिए ईंट, बालू, मिट्टी, गोबर, पंचगव्य और सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है. आकार, लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई और गहराई का खास ध्यान रखा गया है.
मुख्य मंदिर के सामने पूजा के लिए 45-45 हाथ के 2 मंडप बनाए गए हैं. एक मंडप में भगवान श्रीगणेश और श्रीराम जी के पूजन से लेकर समस्त पूजन कार्य होंगे. दूसरे मंडप में श्रीराम जी के विग्रह से जुड़े संस्कार होंगे.
कैसे दिखेंगे रामलला?
गर्भगृह में स्थापित हुए 5 वर्षीय बाल रामलला की मूर्ति अद्भुत होगी. ये श्यामल रंग के पत्थर से तैयार की गई है. रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में जिस तरह से बाल रामलला का वर्णन किया गया है ठीक वैसा ही स्वरूप होगा. धनुष-बाण मूर्ति का हिस्सा नहीं होंगे.
मूर्ति अत्यंत जीवंत और मन को भा लेने वाली होगी. ऐसी मूर्ति जिसे एकटक देखने के बाद भी आंखें तृप्त होने के बजाय प्यासी ही रहेंगी. आंखें नीलकमल जैसी, चेहरा चांद जैसा, लंबे बाल, होठों पर प्यारी मुस्कान.
मूर्ति का वजन करीब डेढ़ टन है. 51 इंच ऊंची है. खास बात ये है कि मूर्ति को जल या दूध से स्नान कराने पर पत्थर का उस जल और दूध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. यानी कि वो जल और दूध पीने योग्य होगा, मानवीय शरीर पर कोई दुष्परिणाम नहीं होगा.
किस शैली से तैयार किया गया राम मंदिर
राम मंदिर का डिजाइन गुजरात की सोमपुरा फैमिली ने तैयार किया है और मंदिर का पूरा नक्शा परंपरागत नागर शैली पर आधारित है. नागर शैली वाले अधिकतर मंदिरों का निर्माण एक पत्थर के चबूतरे पर किया जाता है. ऊपर तक जाने के लिए सीढ़ियां होती हैं. गर्भगृह हमेशा सबसे ऊंचे टावर के नीचे स्थित होता है. चौकोर आधारों वाले सरल शिखर होते हैं.
भारत में नागर शैली में बनाए गए कुछ खास मंदिर- कोणार्क का सूर्य मंदिर, गुजरात में सूर्य मंदिर, ओसियां मंदिर, खजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर, भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर, पुरी का जगन्नाथ मंदिर.
कितना बड़ा है राम मंदिर
अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाते वक्त हर छोटी और बड़ी बात का ख्याल रखा गया है. पहले चरण का काम पूरा हो चुका है. मंदिर का तीन मंजिला निर्माण किया गया है. हर मंजिल की उंचाई 20 फीट है. मंदिर निर्माण में 4000 से ज्यादा मजदूर लगे.
- मंदिर परिसर की कुल भूमि 2.7 एकड़
- मंदिर निर्माण का एरिया 57,400 स्क्वायर फीट
- मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 360 फीट
- चौड़ाई 235 फीट
- भूतल से गर्भ ग्रह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट
- भूतल से मंदिर का फर्श 16.5 फीट
- मंदिर परिसर में 392 खंभे और 44 द्वार
- खंभों व दीवारों पर देवी देवताओं की मूर्तियां
- ग्राउंड फ्लोर पर कुल 160 खंभे
- फर्स्ट फ्लोर पर 132 खंभे
- सेकंड फ्लोर पर 74 खंभे
- मंदिर परिसर में कुल 12 गेट
राम मंदिर में क्या-क्या है खास
- फर्स्ट फ्लोर पर श्रीराम दरबार
- मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप
- 20*20 फीट का अष्टकोणीय आकार का गर्भगृह
- पूर्व दिशा से मंदिर में एंट्री (32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार)
- मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा
- परकोटा की लंबाई 732 मीटर, चौड़ाई 14 फीट
- चारों परकोटा पर चार मंदिर- सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव
- उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा का मंदिर
- दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर
- दक्षिण पश्चिमी हिस्से में नवरत्न कुबेर टीला पर जटायु प्रतिमा
- मंदिर में 5 मंडप- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप, कीर्तन मंडप
राम मंदिर परिसर में सुविधाएं
- दिव्यांग और वृद्धों के लिए रैम्प व लिफ्ट
- मंदिर परिसर में अपना पॉवर स्टेशन
- सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए पानी की व्यवस्था
- भक्तों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा
- स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन की सुविधा
मंदिर निर्माण में किस किस चीज का हुआ इस्तेमाल
- मंदिर निर्माण में लोहे का बिल्कुल नहीं हुआ इस्तेमाल
- पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे का इस्तेमाल
- मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी आरसीसी
- धरती के ऊपर बिल्कुल भी कंक्रीट नहीं
- मंदिर को नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट
- तेज तीव्रता वाले भूकंप से भी कोई खतरा नहीं
- 1000 साल तक भवन टिकने की उम्मीद
राम मंदिर में गोल्ड से बनीं चीजें
राम मंदिर परिसर में कुल 12 दरवाजे हैं जहां से भक्त प्रवेश करेंगे. यहां सोने से चमचमाते दरवाजे नजर आएंगे. सभी पर सोने की मोटी परत चढ़ी है. ये दरवाजे सागौन की लकड़ी से बने हैं जो कई सालों तक खराब नहीं होती. इन पर हाथी, शंख, चक्र और गदे से कलाकारी हुई है.
प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन रामलला को 108 सोने के सिक्कों से बना एक हार पहनाया जाएगा. रामलला की चरण पादुकाएं चांदी और सोने की होंगी. उनका वजन करीब 1 किलो होगा. रामलला का सिंहासन करीब 8 फुट लंबा होगा. मुकुट से लेकर जेवरात भी सोने के होंगे. इसके अलावा देशभर के तमाम लोगों ने सोने और चांदी की चीजें राम मंदिर में भेंट करने का ऐलान किया है.
परिसर में कितने और मंदिर
जन्मभूमि परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा 7 और मंदिर बनाए जा रहे हैं. इनमें श्रीराम के गुरु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ, ब्रह्मर्षि विश्वामित्र, महर्षि वाल्मीकि, अगस्त्य मुनि, रामभक्त केवट,निषादराज और माता शबरी के मंदिर शामिल हैं, हालांकि इनका निर्माण 2024 अंतक तक पूरा हो जाएगा.
गर्भगृह तक किस दिशा से जाएं
गर्भगृह में रामलला के दर्शन करने के लिए सबसे पहले आपको पूर्व दिशा में बने सिंह द्वार से भीतर जाना होगा. यहां से 32 सीढियां चढ़कर रंग मंडप पहुंचेंगे. रंग मंडप में भगवान राम के जीवन से जुड़े चित्र और किरदार दीवारों पर उकेरे गए हैं. थोड़ा आगे चलेंगे तो नृत्य मंडप आएगा.
नृत्य मंडप में देवी देवताओं और रामायण की चौपाइयों को पत्थरों पर उकेरा गया है. यहां से आगे बढ़ने पर रामलला के गर्भ गृह में पहुंच जाएंगे.
प्राण प्रतिष्ठा और राम मंदिर के लिए कहां से क्या-क्या आया?
- लखनऊ के सब्जी विक्रेता अनिल कुमार साहू ने एक ऐसी वर्ल्ड क्लॉक बनाकर रामलला को समर्पित की है जो एक साथ 9 देशों का समय बताती है.
- मां सीता की जन्मभूमि जनकपुर (नेपाल) से तीन हजार से ज्यादा उपहार, आभूषण और कपड़े अयोध्या आए
- श्रीलंका का एक प्रतिनिधिमंडल ने महाकाव्य रामायण में वर्णित अशोक वाटिका की एक चट्टान भेंट की
- गुजरात के वडोदरा में 108 फीट लंबी अगरबत्ती आई, जिसका वजन 3610 किलो है और लगभग 3.5 फीट चौड़ी है
- हैदराबाद से भगवान राम के प्रति अटूट भक्त चल्ला श्रीनिवास शास्त्री सोने की परत चढ़े खड़ाऊं भेंट करने के लिए पैदल ही अयोध्या पहुंचे
- वडोदरा के रहने वाले किसान अरविंदभाई मंगलभाई पटेल ने पंचधातु से बना 1100 किलो वजन का विशाल दीपक भेंट किया है.
- अलीगढ़ के ताला बनाने वाले सत्य प्रकाश शर्मा ने 400 किलो का ताला-चाबी तैयार किया है, इसे दुनिया का सबसे बड़ा ताला और चाबी बताया जा रहा है
- नागपुर के शेफ विष्णु मनोहर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने वाले भक्तों के लिए 7000 किलो पारंपरिक मिठाई ‘राम हलवा’ बनाएंगे
- मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने ‘यज्ञ’ के लिए 200 किलो लड्डू अयोध्या भेजा
- तिरूपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर के आधिकारिक ट्रस्ट ने राम भक्तों के लिए एक लाख लड्डू अयोध्या भेजेगा
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की क्या है भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी 2020 को लोकसभा में राम मंदिर के लिए ट्रस्ट के नाम की घोषणा की थी जिसका नाम ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ रखा गया. इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य हैं. मंदिर के निर्माण और प्रशासनिक काम की देखरेख करना इसी ट्रस्ट का है. ट्रस्ट के सदस्यों में पद्मश्री ऐडवोकेट के परासरण, कामेश्वर चौपाल, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी विश्वप्रशत्रतीर्थ, युगपुरुष परमानंद गिरी, महंत दिनेंद्र दास जैसे नाम प्रमुख हैं.
श्रद्धालुओं की सुविधाओं-सुरक्षा का ध्यान रखना, भीड़ नियंत्रण करना, बजट का प्रबंधन, पूजा-पाठ, अनुष्ठान और धार्मिक आयोजन करना सब ट्रस्ट का काम है. इन सब कामों में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.
ट्रस्ट को दान में अब तक कितना पैसा मिला
राम मंदिर ट्रस्ट को देश विदेश से करोड़ों रुपये का दान मिला है. शुरुआत में ट्रस्ट का लक्ष्य 11 करोड़ लोगों से 900 करोड़ रुपये का चंदा जुटाना था. मगर, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का दान मिल चुका है.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने मार्च 2023 में बताया था कि उनके तीन बैंक खातों में 3000 करोड़ रुपया आ चुका था. बताया जा रहा है कई भक्तों ने सोने के सिक्के और बिस्किट तक दान दिए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, राम मंदिर बनने की अनुमानित लागत करीब 1800 करोड़ है.
मंदिर की टाइमिंग और कितना है टिकट खर्च
राम मंदिर में हर दिन दर्शन करने का समय सुबह 7 बजे से 11:30 बजे तक और दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रहेगा. कुछ खास अवसरों और त्योहारों पर समय बदल सकता है. श्रृंगार आरती का समय सुबह 6:30 बजे का है. भोग आरती दोपहर 12 बजे और संध्या आरती शाम 7:30 बजे होगी.
अयोध्या राम मंदिर में सभी भक्तों के लिए दर्शन बिल्कुल फ्री है. मगर अगर आप भगवान राम के नजदीक और अच्छे से दर्शन करना चाहते हैं, तो इसके लिए स्पेशल दर्शन टिकट लेना होगा. श्रद्धालु श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (SRJTKT) की आधिकारिक वेबसाइट srjbtkshetra.org से ऑनलाइन टिकट बुक कर सकते हैं.
अयोध्या राम नगरी कैसे जाएं
अयोध्या रामनगरी जाने के लिए सभी तरह के साधन उपलब्ध है. श्रद्धालु कभी भी अपनी श्रृद्धा के अनुसार बस, रेल, हवाई मार्ग से जा सकते हैं. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (USRTC) की तमाम बसें अयोध्या और पड़ोसी शहरों जैसे लखनऊ, फैजाबाद, गोरखपुर के बीच चलती हैं.
अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो अयोध्या में ही ‘अयोध्या धाम जंक्शन’ नाम से रेलवे स्टेशन है. दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, बनारस, गोरखपुर से सीधी ट्रेनें अयोध्या जाती हैं. अगर समय की बचत करना चाहते हैं तो अयोध्या में एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी है. दिल्ली और मुंबई से अयोध्या के लिए एक-एक डायरेक्ट फ्लाइट की शुरुआत की जा चुकी है. इसके अलावा गोरखपुर (118 किमी) और लखनऊ एयरपोर्ट (125 किमी) सबसे नजदीक है. यहां से आसानी से टैक्सी, बस या ट्रेन से अयोध्या पहुंच सकते हैं.
कब तक पूरा होगा तीन मंजिला भव्य राम मंदिर का निर्माण?
अयोध्या में तीन मंजिला भव्य राम मंदिर दिसंबर 2024 तक बनकर तैयार होगा. पहले चरण में अभी भूतल का निर्माण पूरा हुआ है. पहली और दूसरी मंजिल का काम इस साल अंत तक पूरा हो जाएगा.
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने एक बयान में कहा कि राम मंदिर के कम से कम 1000 साल टिकने की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार, साल के आखिर तक रोजाना 1.5 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.
पहले से कितनी बदली अयोध्या?
अयोध्या में चारों ओर विकास ही विकास है. यूपी सरकार ने अयोध्या को विश्व स्तरीय शहर बनाने के लिए 30 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा है. यूपी सरकार का उद्देश्य अयोध्या को भारत की सांस्कृतिक राजधानी में बदलना है. ज्यादातर प्रस्तावित परियोजनाओं 2024 में पूरी हो रही हैं.
रामनगरी में विकास कार्यों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. इनमें से अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का लोकार्पण हो चुका है. सबसे बड़ा तोहफा इसी साल मार्च तक सोलर सिटी के रूप में मिलने वाला है. इसके अलावा कुछ इन परियोजनाओं पर काम हो चुका है.
- 4 लेन अयोध्या अकबरपुर बसखारी मार्ग
- NH-27 से रामपथ तक रेलवे समपार
- रेलवे क्रॉसिंग पर ओवर ब्रिज
- पयर्टन स्थलों और कुंडों का विकास
- सड़कों का चौड़ीकरण
- सड़क पर हेरिटेज लाइट
- ग्रीन फील्ड टाउनशिप परियोजना
- राजघाट पर पक्के घाटों का निर्माण
- पुराने घाटों का जीर्णोद्धार
- राम की पैड़ी पर दर्शक दीर्घा
- श्रद्धालु भ्रमण पथ का सौंदर्यीकरण
अयोध्या में क्या है जमीन की कीमत
अयोध्या में जमीन की कीमत 10 गुना ज्यादा बढ़ चुकी है. हाल ही में बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने अयोध्या में 14.5 करोड़ रुपये का एक प्लॉट खरीदा है. ये प्लॉट 7 स्टार एन्क्लेव द सरयू में खरीदा है. यूपी सरकार ने आवासीय जमीन की कीमत 37,870 रुपये प्रति वर्ग तय की है. वहीं मठ, मंदिर, चैरिटेबल ट्र्स्ट की जमीन की कीमत डेढ़ गुना ज्यादा तय की गई है.
अयोध्या में सरकार ने जमीन खरीददारों के लिए कुछ गाइडलाइन जारी की है. राम मंदिर के आसपास किसी की भी जमीन होती है तो सेक्शन 1993 के तहत सरकार जरूरत पड़ने पर कभी भी ले सकती है. साथ ही मंदिर कैंपस के नजदीक बिजनेस करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि आमजन की आस्था आहत नहीं होनी चाहिए.