मोदी सरकार में महंगाई घटी या बढ़ी? 

मोदी सरकार का पिछले पांच साल का कार्यकाल कैसा रहा? क्या अच्छा क्या खराब हुआ
मोदी सरकार का कार्यकाल काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी कुछ अच्छा हुआ. मगर बेरोजगारी और गरीबी देश में आज भी एक बड़ी समस्या है.

मोदी सरकार को सत्ता में आए 10 साल हो गए. 2014 में पहली बार मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी सत्ता में आई. इसके बाद 2019 में फिर प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की और 2014 का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. 30 मई 2019 को नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.

17वीं लोकसभा के आखिरी दिन संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये पांच साल देश में रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के रहे. ऐसा बहुत कम होता है कि सुधार और प्रदर्शन दोनों होते हैं. एक बड़े बदलाव की ओर देश तेजी से आगे बढ़ा है.

2019 से 2024 तक अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने कई उपलब्धियां हासिल की और कुछ खामियां भी रहीं. आज इस स्पेशल स्टोरी में आपको विस्तार से बताते हैं.

कैसी रही देश की अर्थव्यवस्था?
आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. 2019 में जहां अपनी जीडीपी 2.8 लाख करोड़ थी, 2023 में बढ़कर 3.7 लाख करोड़ पर पहुंच चुकी है. 2024 में 4.1 लाख करोड़ रहने का अनुमान है. ये मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है. 

मोदी सरकार का पिछले पांच साल का कार्यकाल कैसा रहा? क्या अच्छा क्या खराब हुआ

इतना ही नहीं दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में भारत का नाम शामिल है. 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7 फीसदी की दर से बढ़ी है. अनुमान है कि अगर इसी रफ्तार से आगे भी बढ़त होती रहती है तो 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

भारत अभी भी सबसे अमीर देशों में शामिल नहीं
जीडीपी के मामले में भले ही भारत दुनिया के टॉप-5 देशों में शामिल है, लेकिन जब सबसे अमीर देशों की बात होती है तो टॉप-100 में भी नहीं आता. पश्चिम यूरोप का एक छोटा सा देश लक्जमबर्ग दुनिया का सबसे अमीर देश है, जिसकी जीडीपी प्रति व्यक्ति आय 143,320 डॉलर है. 

जीडीपी पर कैपिटा रैंकिंग के आधार पर भारत का स्थान 129वां है. भारत की जीडीपी प्रति व्यक्ति आय 2673 डॉलर (करीब 2.21 लाख रुपये) है. प्रति व्यक्ति आय मामले में भारत की स्थिति पड़ोसी देश बांग्लादेश, श्रीलंका से भी खराब है.

हालांकि ये कहना गलत होगा कि प्रति व्यक्ति आय सुधरी नहीं है. आज भारत की जीडीपी प्रति व्यक्ति आय अपने सबसे उच्च स्तर पर है. 2019 जीडीपी प्रति व्यक्ति आय करीब 2000 डॉलर थी. 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने पर प्रति व्यक्ति आय 1600 अमेरिकी डॉलर थी.

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कितनी?
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इस कारण अमेरिकी डॉलर को दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी माना जाता है. अमेरिकी डॉलर में ही दुनियाभर के देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करते हैं. डॉलर की कीमत में उतार-चढ़ाव का भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ता है.

जब डॉलर की कीमत गिरती है तो भारत के लिए विदेशी वस्तुओं का आयात सस्ता होता है. इससे भारत को फायदा होता है और महंगाई कम होती है. वहीं जब डॉलर की कीमत बढती है तो भारत से विदेशी मुद्रा में होने वाले निर्यात महंगे हो जाते हैं. इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान होता है और व्यापार घाटा बढ़ सकता है.

2014 में एक डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू करीब 60 रुपये थी. 2019 में एक डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 72 तक पहुंच गया. 2021 तक आते-आते एक डॉलर 74.57 रुपये के बराबर आ गया. 2024 जनवरी-फरवरी में अब एक डॉलर की कीमत करीब 83.27 रुपए है.

पेट्रोल-डीजल की कीमत सातवें आसमान पर
मोदी सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम है, बावजूद इसके भारत में तेल की कीमतें कम नहीं हुईं. मौजूदा समय में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है. 

2019 में राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 75 रुपये और डीजल 66 रुपये प्रति लीटर पर थी. आज राजधानी में पेट्रोल 96 रुपये और डीजल 90 रुपये प्रति लीटर है. कुछ शहरों में ये कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुकी है. यानी कि पिछले पांच साल में 25 से 35 फीसदी तक पेट्रोल डीजल महंगा हुआ है.

महंगाई घटी या बढ़ी?
2019 से 2024 के बीच महंगाई के स्तर में उतार-चढ़ाव देखा गया है. दिसंबर 2023 में भारत में मुद्रास्फीति दर (Inflation Rate) 5.69 फीसदी पर पहुंच गई. इससे पहले 2022 में महंगाई दर 6.7 फीसदी थी, जबकि 2019 ये दर केवल 3.73 फीसदी पर थी. यानी बीते पांच सालों में देश में महंगाई बढ़ी है.

महंगाई दर का मतलब है किसी सामान या सर्विस की समय के साथ कीमत बढ़ना. इसे महीने या साल के हिसाब से मापा जाता है. उदाहरण से समझिए अगर किसी चीज की कीमत सालभर पहले 100 रुपये थी. वही चीज अब 106 रुपये में मिल रही है. इसका मतलब महंगाई दर 6 फीसदी रही.

मोदी सरकार का पिछले पांच साल का कार्यकाल कैसा रहा? क्या अच्छा क्या खराब हुआ

कितने करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए?
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 9 सालों में देश के 24.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं. 2013-14 में भारत में गरीबी दर 29.17 फीसदी से घटकर 2022-23 में 11.28 फीसदी रह गई है. यानी कि 9 सालों में 17.89 फीसदी की कमी आई.

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 5.94 करोड़ लोग गरीबी से निकले. उसके बाद बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ लोगों का जीवन स्तर सुधरा है. 

गरीबी में सुधार का ये आंकलन बेहतर शिक्षा, मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा जैसे मानदंडों के आधार पर किया गया है. इसमें बाल पोषण, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, घर और बैंक अकाउंट जैसे फैक्टर भी शामिल होते हैं.

बेरोजगारी बढ़ी या घटी?
भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. चुनावी रैलियों में अक्सर विपक्षी दल युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हैं. साल 2014 और 2019 के मुकाबले भारत में बेरोजगारी दर बढ़ी है. युवाओं में बेरोजगारी दर करीब 5:30% से बढ़कर 2023 में 8.003% हो गई.

हालांकि ताजा आंकड़ें देखें तो जनवरी 2024 में बेरोजगारी दर 16 महीने के निचले स्तर पर है. सीएमआईई के सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में बेरोजगारी दर दिसंबर 2023 में 8.7 फीसदी से घटकर जनवरी 2024 में 6.8 फीसदी हो गई. ग्रामीण और शहरी भारत दोनों जगह बेरोजगारी दर कम हुई है. ग्रामीण बेरोजगारी दर दिसंबर में लगभग 8 फीसदी से घटकर जनवरी में 5.8 फीसदी हो गई. वहीं शहरी बेरोजगारी दर पिछले महीने के 10.1 फीसदी से गिरकर 8.9 फीसदी पर आ गई.

किसानों की आय बढ़ी या घटी?
फरवरी 2016 में पीएम मोदी ने वादा किया था कि 2022 में जब भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे तो उस समय तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी. हालांकि सरकार का ये वादा पूरा नहीं हो सका. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2012-13 से 2018-19 के बीच किसानों की आय केवल 59 फीसदी बढ़ी.

सरकार का कहना है कि उसने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई कदम उठाए हैं. 2012-13 में किसानों की औसतन आय 6426 रुपये प्रति माह से बढ़कर 2018-19 में 10,218 रुपये हो गई. इसके बाद सरकार की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं मिली है.

सरकार ने बताया था, मेघालय के किसानों की आय देश में सबसे ज्यादा है. यहां किसान की हर महीने की आमदनी 29, 348 रुपये है. इसके बाद पंजाब और हरियाणा है, जहां किसानों का आय क्रमश: 26,702 और 22,841 रुपये प्रति माह है. हालांकि चार राज्य ऐसे भी हैं जहां किसानों की आया घटी. ये राज्य हैं- झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और नागालैंड.

कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने एक बयान में बताया कि 2022-23 में सरकार ने किसानों के कल्याण पर खर्च कई गुना बढ़ाया है. करीब 6.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए. इसके अलावा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के बजट में 2013-14 के दौरान 27,662 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 125,035 करोड़ रुपये हो गया.

विदेश नीति कैसी रही?
मोदी सरकार में भारत की वैश्विक छवि मजबूत हुई है. दुनिया में भारत की कूटनीति का डंका बजा है. सरकार ने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी. नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार के साथ संबंधों में सुधार हुआ है. हालांकि 2023 में मालदीव सरकार ने भारत के साथ हुए समझौते को रद्द कर दिया.

संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई. चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर तनाव बना रहा. रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच संबंधों में भारत ने संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया. जापान में रणनीतिक और आर्थिक सहयोग बढ़ा. यूरोपीय संघ के साथ संबंधों में मजबूती आई.

ऐसा पहली बार हुआ जब भारत ने G20 समिट की मेजबानी की. भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत दुनिया के शीर्ष नेताओं का भव्य स्वागत किया. हालांकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन समिट में शामिल नहीं हुए. 55 देशों वाले अफ्रीकी संघ को G20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल कराना भारत की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.

मानवाधिकार उल्लंघन के मामले कितने?
मानवाधिकारों का हनन तब होता है जब किसी व्यक्ति या समूह से मौलिक अधिकार छीन लिए जाते हैं. ये अधिकार सभी मनुष्यों के लिए समान और अविभाज्य होते हैं. इन अधिकारों में शिक्षा, स्वतंत्रता, समानता, गरिमा और सुरक्षा का अधिकार शामिल है. 

NHRC की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की कुल संख्या 2018-19 में 89,584 से घटकर 2019-20 में 76,628 और फिर 2020-21 में 74,968 हो गई थी. 2021 में 31 अक्तूबर तक 64,170 मामले दर्ज किए गए थे. इसमें लगभग 40 फीसदी मामले उत्तर प्रदेश से संबंधित थे.

महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ा या घटा?
राष्ट्रीय महिला आयोग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ा है. साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के तीन लाख 71 हजार मामले दर्ज हुए थे. 2021 में चार लाख 28 हजार केस सामने आए. फिर 2022 में ये आंकड़ा बढ़कर चार लाख 45 हजार हो गया.

मोदी सरकार का पिछले पांच साल का कार्यकाल कैसा रहा? क्या अच्छा क्या खराब हुआ

महिलाओं के खिलाफ अपराध मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. यहां 2022 में सबसे ज्यादा 65743 केस दर्ज किए गए. इसके बाद महाराष्ट्र और राजस्थान में 45 हजार से ज्यादा केस आए. ये मामले घरेलू हिंसा, छेड़छाड़, दहेज उत्पीड़न, दुष्कर्म और बलात्कार के प्रयास की धाराओं के तहत दर्ज किए गए.

कोरोना महामारी से किस तरह निपटी मोदी सरकार?
हमें कोरोना महामारी का समय नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जब पूरी दुनिया सबसे बड़े संकट में थे. कोरोना काल से निपटने में दुनिया के सामने पीएम मोदी ने एक मिसाल पेश की है. सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और लोगों को राहत देने के लिए कई तरीके से छूट दी. 

मोदी सरकार ने 16 जनवरी 2021 को दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया. अभियान के तहत 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को मुफ्त में टीके लगाए गए. 2023 तक 1 अरब से अधिक लोगों को पूरी तरह से टीका लगा दिया है. ऐसे गंभीर समय में भारत ने कई देशों को टीके फ्री में भी दिए. कोविड के इलाज के लिए अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं में सुधार किया गया.

हालांकि विपक्ष का आरोप है कि लॉकडाउन बहुत सख्त था और इसने अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया. सरकार ने कोविड को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जिस कारण लाखों लोगों की मौत हो गई.

80 करोड़ देशवासियों को फ्री राशन?
कोरोना महामारी के बाद से मोदी सरकार ने 80 करोड़ से ज्यादा देशवासियों को फ्री राशन बांट रही है. 26 मार्च 2020 को मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत देश के 80 करोड़ नागरिक को हर महीने 5 किलो से ज्यादा अनाज दिया जाता है. योजना के लिए सरकार करीब छह लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.

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