SC ने इलेक्टोरल बॉन्ड …. चुनाव आयोग को दिए डेटा में बॉन्ड नंबर क्यों नहीं
SC ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में SBI से जवाब मांगा …
पूछा- चुनाव आयोग को दिए डेटा में बॉन्ड नंबर क्यों नहीं
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा चुनाव आयोग (ECI) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि SBI 18 मार्च तक नंबर की जानकारी नहीं दिए जाने का जवाब दे।
कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि EC से मिले डेटा को 16 मार्च की शाम 5 बजे तक स्कैन और डिजिटलाइज किया जाए। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ओरिजनल कॉपी आयोग को लौटा दी जाए। स्कैन और डिजीटल फाइलों की एक कॉपी कोर्ट में रखी जाए और फिर इस डेटा को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 17 मार्च तक अपलोड किया जाए।
इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में SBI की याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने SBI से 12 मार्च तक डीटेल देने और ECI को 15 मार्च तक वेबसाइट पर इसे पब्लिश करने कहा था। इसके अलावा 30 जून तक का समय देने की SBI की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर भी आज सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट आज मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के खिलाफ सुनवाई करेगा। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने मामले को लेकर याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने नए कानून के तहत केंद्र सरकार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से रोकने की मांग की है। ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की थी।
ADR के अलावा मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने भी मामले में एक याचिका दायर की है। उनका कहना है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर बने नए कानून में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को चयन समिति से बाहर कर दिया गया है। ऐसे में यह प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं रही गई। ऐसे में सिलेक्शन कमेटी में CJI का होना जरूरी है।
मामले की सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच करेगी। इसमें CJI के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
नियुक्ति प्रक्रिया में CJI के न होने से हेरफेर की आशंका
याचिकाकर्ताओं ने चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड इलेक्शन कमिश्नर (अपॉइंटमेंट, कंडिशन ऑफ सर्विस एंड टर्म ऑफ ऑफिस ) एक्ट-2023 की धारा-7 को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सिलेक्शन कमेटी में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को होना चाहिए। केंद्र सरकार ने 2023 में जो कानून बनाया है, उसमें सिलेक्शन कमिटी में चीफ जस्टिस को हटाकर उनकी जगह PM की ओर से नामित केंद्रीय मंत्री को रखा गया है। इस तरह से सिलेक्शन प्रक्रिया खतरे में होगी और हेरफेर का अंदेशा है।