Terrorist Attack …. आतंकी किसी को भी जिंदा न छोड़ते ?

Terrorist Attack: शुक्र है बस खाई में गिर गई… नहीं तो आतंकी किसी को भी जिंदा न छोड़ते; बयां किया खौफनाक मंजर
रियासी आतंकी हमले में घायलों के चेहरों पर अब भी खौफनाक मंजर साफ दिख रहा है। घायलों की आपबीती सुनकर पता चलता है कि कितनी कायरता से हमला किया गया। उत्तर प्रदेश के गोंडा की रहने वाली बिटन गुप्ता कहती हैं कि आतंकी शायद बस में घुसकर सबको मारना चाहते थे। यह तो अच्छा हुआ कि बस खाई में गिर गई। नहीं तो आतंकी अगर बस में घुस जाते तो किसी को जिंदा नहीं छोड़ते। वह यात्रियों की चीख पुकार सुनकर और अधिक गोलियां बरसा रहे थे। करीब 15 मिनट तक बस पर फायरिंग होती रही।
 
Terrorist Attack injured told tale of cowardice says that terrorists firing more bullets after hearing screams

उत्तर प्रदेश के वाराणसी निवासी अतुल मिश्रा ने बताया कि मैं और मेरी पत्नी बस के अगले हिस्से के दरवाजे वाली सीट पर बैठे थे। अचानक से बस के सामने का शीशा धमाके से टूट गया। मैंने अपनी पत्नी को पकड़ा और सीट से खड़े होकर बस के फर्श पर बैठ गए। 

 

Terrorist Attack injured told tale of cowardice says that terrorists firing more bullets after hearing screams
बस में बैठे अन्य यात्री चीखने चिल्लाने लगे। बहुत से यात्री बचाओ-बचाओ की गुहार लगाने लगे। चीख पुकार मचते ही बाहर से गोलियां चलने लगीं। बस में बैठे कुछ यात्रियों ने एक-दूसरे को इशारा करके चुप रहने को कहा तो दो मिनट तक गोलियां चलना बंद हो गईं। इतने में बस डगमगाने लगी और फिर से यात्री चीखने लगे। तब बाहर से फिर से फायरिंग शुरू हो गई।
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खाई में गिरी बस पर भी बरसाते रहे गोलियां
मेरठ के रहने वाले तरुण ने बताया कि वह बस के मध्य में ही सीट पर सोया हुआ था। अचानक से बस के शीशे टूटने की आवाज आई। उसकी नींद खुली और वह सीट से खड़े होकर बस के फर्श पर बैठ गया। एक दो मिनट के बाद ही बस डगमगाने लगी। कभी वह छत से टकराए तो कभी निचले हिस्से पर। सड़क से बस लहराते हुए खाई में पत्थरों से टकराती हुई एक जगह जाकर रुक गई, लेकिन बस के खाई में गिरने और फिर पत्थरों से टकराने के बाद रुकने तक भी बस पर गोलियां चलती रहीं। तरुण अपने दो मामा पवन और राकेश के साथ शिवखोड़ी आया हुआ था।
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बच्चों को सीट के नीचे छिपाया, कभी नहीं भूलेंगे वो 25 मिनट
दिल्ली के भवानी शंकर ने बताया कि गोलीबारी के बीच मैंने झुककर अपने दो बच्चों को बस की सीट के नीचे छिपा लिया। मैं उन 20-25 मिनटों को कभी नहीं भूल पाऊंगा। शंकर 6 जून को शादी की सालगिरह पर वैष्णो देवी के दर्शन करने पत्नी राधा देवी और बेटी दीक्षा (5) व बेटे राघव (3) के साथ गए थे।

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