बजट में एमएसपी का जिक्र नहीं …. नजरअंदाज हुआ अन्नदाता ?
नजरअंदाज हुआ अन्नदाता, बजट में MSP की कानूनी गारंटी पर मौन, क्यों दिल्ली आने की तैयारी में किसान?
एआईकेएससीसी के वरिष्ठ सदस्य अविक साहा का कहना है कि इस बार के बजट में किसानों के हाथ पूरी तरह खाली हैं। ऐसा लगा कि वित्त मंत्री के बजट में किसानों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पेश करते हुए कृषि क्षेत्र के लिए कई घोषणाएं की हैं। सरकार ने कृषि एवं उससे जुड़े विभिन्न सेक्टरों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। केंद्र सरकार, एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए तैयार करेगी। पांच राज्यों में नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी होंगे। नाबार्ड के जरिए किसानों की मदद होगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजूबत करने पर सरकार का फोकस रहेगा। जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ‘एआईकेएससीसी’ के वरिष्ठ सदस्य अविक साहा कहते हैं, इस बार के बजट में तो किसानों के हाथ पूरी तरह खाली हैं। ऐसा लगा कि वित्त मंत्री के बजट में किसानों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है।
बतौर साहा, बजट में न तो एमएसपी की गारंटी के लिए कानून पर कोई बात हुई तो न ही किसान सम्मान निधि का जिक्र किया गया। इसमें बढ़ोतरी की बात तो छोड़ ही दीजिए। स्वामीनाथन रिपोर्ट से सरकार इस तरह दूर भागती है, जैसे अंधेरे में किसी को भूत नजर आ जाए। विभिन्न किसान संगठन, दोबारा से दिल्ली आने की तैयारी कर रहे हैं। इस बार एसकेएम व दूसरे संगठनों को साथ लेकर एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा बन रही है।
किसानों को 20 लाख करोड़ तक ऋण बांटने का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने गत वर्ष के बजट में ही कई बड़े एलान किए थे। किसानों को 20 लाख करोड़ तक ऋण बांटने का लक्ष्य रखा गया। इसके लिए 20 लाख क्रेडिट कार्ड वितरित किए जाने की बात कही गई। मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना शुरु की गई। किसान सम्मान निधि के तहत 2.2 लाख करोड़ रुपये दिए गए। मत्स्य संपदा की नई उपयोजना में 6000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की गई। अविक साहा कहते हैं, पिछली बार तो ये सब था, लेकिन इस साल के बजट में तो कुछ भी नहीं है। क्या सरकार ये मान रही है कि किसान की औसतन आय 27 रुपये प्रतिदिन से बढ़कर हजारों रुपये हो गई है। आम बजट में किसानों की आय डबल करने के मामले में केंद्र सरकार मौन रही है। मौजूदा परिस्थितियों में किसानों की आर्थिक दशा कैसी है, इस बारे में वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा।
अगले पांच साल में किसानों की आय होगी डबल
इतना ही नहीं, साल 2016 में सरकार ने यह घोषणा की थी कि अगले पांच साल में किसानों की आय डबल हो जाएगी। अब 2024-25 का बजट पेश हो गया है। इसमें कम से कम इतना तो बता देते कि डबल आय की घोषणा अभी कहां तक पहुंची है। इस घोषणा के पूरा होने में अभी कितने वर्ष और लगेंगे। वित्त मंत्री ने अपने बजट में किसानों की स्थिति को लेकर कुछ नहीं कहा। वे रिसर्च और उत्पादन पर बात कर रही हैं। किसानों को उनकी फसल का सही दाम कैसे मिले, इस पर वे मौन हैं। पिछले कुछ वर्षों के बजट में सरकार, झूठा ही सही, मगर दिलासा तो देती थी, इस बार तो वह भी नहीं है। दरअसल सरकार ने बजट में किसानों पर ध्यान ही नहीं दिया है। दो साल पहले के कुल बजट में कृषि क्षेत्र का हिस्सा 3.84 प्रतिशत रहा था। उसके बाद वह हिस्सा यानी 2023-24 में 3.20 फीसदी हो गया। इस बार 3.17 प्रतिशत पर बात अटक गई। यह शेयर लगातार घट रहा है।
बतौर साहा, ऐसा लगा कि वित्त मंत्री, भारत की जगह ब्रिटेन या फ्रांस जैसे राष्ट्र का बजट पेश कर रही हैं। उन्होंने किसान की फसल का दाम निर्धारित करने के लिए कुछ नहीं कहा। ऐसी उम्मीद थी कि किसान सम्मान निधि के तहत दी जाने वाली राशि में कुछ बदलाव होगा। बजट सुनकर ऐसा लगा कि जैसे किसानों की सारी समस्याएं खत्म हो गई हों। अब एमएसपी की गारंटी के कानून के लिए बड़ा आंदोलन होगा। सरकार ने पौने तीन साल पहले यह बात कही थी कि किसानों को एमएसपी की गारंटी मिलेगी। इसे कानूनी दर्जा मिलेगा। उसके बाद से सरकार, इस बाबत कुछ नहीं बोल रही।
किसानों की समस्याओं पर आंदोलन का बिगुल
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवान का कहना है, बजट से कृषक समाज पूरी तरह निराश है। सरकार, किसान आंदोलन से पहले वाली जिद पर ही अड़ी है। अब तो केंद्रीय बजट में भी सरकार की मंशा नजर आ गई है। किसानों को दोबारा से आंदोलन की राह पकड़नी पड़ेगी। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी समेत सभी सांसदों को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। अगस्त में भी कई तरीके से सरकार का विरोध किया जाएगा। एसकेएम व दूसरे किसान आंदोलनों के नेताओं के बीच बातचीत चल रही है। इस बार बड़े आंदोलन की तैयारी है। हर राज्य के छोटे संगठनों से बात की जा रही है। बहुत जल्द आंदोलन की संयुक्त रणनीति का एलान होगा। सरकार ने अपने बजट में किसानों के लिए एमएसपी के गारंटी कानून पर मौन धारण कर लिया।
22 फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाने की मांग की थी
कांग्रेस पार्टी ने बजट से एक दिन पहले एमएसपी के अंतर्गत आने वाली 22 फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाने की मांग की थी। जयराम रमेश का कहना था कि इस साल आरबीआई से रिकॉर्ड 2.11 लाख करोड़ का लाभांश मिलने के बावजूद, किसानों के एक रुपए का कृषि ऋण भी माफ नहीं किया गया है। गेहूं और धान की एमएसपी में मौजूदा वृद्धि, महंगाई और कृषि इनपुट की बढ़ती कीमतों के हिसाब से बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है। किसानों का कर्ज बहुत बढ़ गया है। एनएसएसओ के अनुसार, 2013 के बाद से बकाया ऋण में 58 फीसदी की वृद्धि हुई है। आधे से ज्यादा किसान कर्ज में डूबे हैं। 2014 के बाद से हमने 1 लाख से अधिक किसानों को आत्महत्या से मरते देखा है।
जयराम ने कहा, नवंबर 2021 में, तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद, स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने एमएसपी से संबंधित मामलों की समीक्षा के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की थी। सरकार को समिति गठित करने में आठ महीने लगे। दो साल बाद भी, उसने अभी तक कोई अंतरिम रिपोर्ट जारी नहीं की गई है। अगर सरकार चाहती तो अब तक रिपोर्ट जारी हो जाती। इससे एमएसपी को कानूनी दर्जा मिल जाता।