मेडिकल पीजी की सीटें पहले 8-13 करोड़ रुपये में बेची जाती थीं ?
NEET Row केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने नीट परीक्षा पर उठ रहे सवालों के बीच इसका बचाव करते हुए राज्यसभा में कहा कि NEET से पहले मेडिकल शिक्षा में खुलेआम धंधा होता था। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले पीजी की एक-एक सीटें 8 से 13 करोड़ रुपये में बेंची जाती थीं। उन्होंने कहा कि पहले की व्यवस्था में छात्रों को परीक्षा के लिए देशभर में धूमना पड़ता था।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने किया नीट का बचाव।
- कहा- पहले मेडिकल शिक्षा में होता था खुलेआम धंधा।
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मेडिकल एजुकेशन को लेकर बड़ा दावा करते हुए कहा कि नीट शुरू होने से पहले चिकित्सा शिक्षा एक खुला व्यवसाय बन गई थी। पेपर लीक के बाद परीक्षा के लेकर उठ रहे सवालों के बीच नीट का बचाव करते हुए जेपी नड्डा ने दावा किया कि मेडिकल पीजी की सीटें पहले 8-13 करोड़ रुपये में बेची जाती थीं।
स्वास्थ्य मंत्री ने नीट परीक्षा पर डीएमके के राज्यसभा सांसद एम मोहम्मद अब्दुल्ला द्वारा पेश एक निजी सदस्य प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल के दौरान नीट लाए जाने से पहले चिकित्सा शिक्षा में भ्रष्टाचार व्याप्त था। उन्होंने सदन में चर्चा के दौरान कहा, ‘मेडिकल शिक्षा एक व्यवसाय का अड्डा बन गई थी। जब मैं स्वास्थ्य मंत्री था और नीट ला रहा था तो पोस्ट ग्रेजुएशन की एक सीट 8 करोड़ रुपये में बेची गई थी और अगर आपको रेडियोलॉजी जैसे विषय का चयन करना था तो यह 12-13 करोड़ रुपये था।’
उन्होंने कहा कि नीट आने से पहले छात्रों को मेडिकल परीक्षा के लिए देश भर में यात्रा करनी पड़ती थी। मंत्री ने कहा कि पैसा और समय खर्च होने के अलावा छात्रों को चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में भारी भ्रष्टाचार से भी जूझना पड़ता था। जेपी नड्डा ने कहा, ‘प्रवेश सूची 30-45 मिनट के लिए लगाई जाती थी और बाद में कहा जाता था कि छात्र नहीं आए, इसलिए, हम इन सीटों का उपयोग अपने विवेक से कर रहे हैं। यह एक व्यवसाय बन गया था। इसमें निहित स्वार्थ था। मामला लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित था।’