वन कर्मचारियों ने कहा-मुख्यमंत्री जी हमारी रक्षा करो, माफिया को संरक्षण दे रही पुलिस

न कर्मचारियों पर 7 माह में 20 हमले, ज्ञापन सौंपा
कर्मचारियों ने कहा-मुख्यमंत्री जी हमारी रक्षा करो, माफिया को संरक्षण दे रही पुलिस

विदिशा के लटेरी में 9 अगस्त 2022 को लकड़ी चोरों ने गश्त करते वनकर्मियों पर हमला किया, गोली चली और एक आदिवासी की मौत हो गई। सरकार ने आदिवासी परिवार को आर्थिक मदद दी। अप्रैल 2023 को नेपानगर (बुरहानपुर) में वनभूमि पर अतिक्रमण करने वालों ने वनकर्मियों पर हमला किया। पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो थाने पर हमला कर आरोपियों को छुड़ा ले गए। 25 जुलाई 2024 को गुना के बमोरी में रेंजर के सरकारी आवास में रखे सामान में आरोपियों ने आग लगा दी।

यह घटनाएं सिर्फ बानगी हैं। प्रदेश में वन माफिया सक्रिय है और तेजी से वनभूमि पर कब्जा कर रहा है। उन्हें रोकने का जिम्मा संभाल रहे वनकर्मी खुद को असहाय बौर कमजोर महसूस कर रहे हैं। 19 जुलाई 2024 को वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव द्वारा सचिव वन को लिखे पत्र से भी पता चलता है कि माफिया के आगे वन विभाग कितना असहाय है और पुलिस किस तरह से खेल कर रही है। श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य से रेत उत्खनन के मामले में 2021 में दर्ज प्रकरण में विरोध प्रकट किया है। जिसमें बताया है कि पुलिस ने वनकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले विभाग से अभिमत लेना भी मुनासिब नहीं समझा।

इसी कड़ी में राज्य वन कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को ज्ञापन सौंपा है। संघ के अध्यक्ष अशोक पांडे ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में वन माफिया ने पिछले 7 माह में 20 प्राणघातक हमले किए हैं और लगभग सभी मामलों में पुलिस ने माफिया का ही साथ दिया है। यह एक तरह से माफिया को संरक्षण देना है। पांडे ने कहा कि मुरैना के मामले में पुलिस ने वनकर्मियों पर हत्या का प्रकरण दर्ज किया है। इसमें मजिस्ट्रियल जांच के बाद भी शासन की अनुमति नहीं ली गई और कोर्ट में चार्टशीट दाखिल कर दी गई। इतना ही नहीं, एफआईआर दर्ज होने के बाद भी खनन माफिया को गिरफ्तार नहीं किया गया।

सरकार दे संरक्षण

पांडे ने कहा कि जंगल और वन्यप्राणियों को बचाना है तो सरकार वनकर्मियों को संरक्षण दे। मुरैना मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और वनकर्मियों के खिलाफ दर्ज प्रकरण को वापस लिया जाए। इतना ही नहीं, वनकर्मियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस नीति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि मुरैना, सतना, सागर, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, सिवनी, गुना, विदिशा, भिंड, बैतूल, बालाघाट, ग्वालियर, नरसिंहपुर, बुरहानपुर, खंडवा, होशंगाबाद, रायसेन, छिंदवाड़ा, सीहोर आदि जिलों में वन माफिया, रेत माफिया सक्रिय हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *