भोपाल में PWD की 573Km सड़कें, इनमें 3% पर गड्‌ढे !

भोपाल में PWD की 573Km सड़कें, इनमें 3% पर गड्‌ढे
अफसर बोले-निगम की सड़कें ज्यादा जर्जर; हम लगातार मरम्मत कर रहे

भोपाल में जर्जर सड़कों के मुद्दे पर पहली बार पीडब्ल्यूडी के अफसर सामने आए। मुख्य अभियंता आरके मेहरा ने कहा कि ज्यादातर डामर की सड़कें हैं। बारिश में पानी की निकासी नहीं होने से ये सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती है। बारिश में पूरी तरह से सड़क ठीक नहीं की जा सकती। इसलिए गड्‌ढों को भरकर राहगीरों को राहत दे रहे हैं। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन समेत पूरे प्रदेश में सर्वे कराकर गड्‌ढे भरे जा रहे हैं। विभाग अब सीमेंट क्रांकीट की सड़कें बनाने पर जोर दे रहा है।

भोपाल के चीफ इंजीनियर संजय मस्के ने बताया कि भोपाल में पीडब्ल्यूडी की कुल 268 सड़कें 573 किलोमीटर है। जिनमें से 400Km सड़कें परफॉर्मेंस गारंटी में है। वहीं, 173Km सड़कें साधारण मरम्मत के अंतर्गत आती हैं। बारिश में 14 मार्ग की 22Km की लंबाई में करीब 523 वर्गमीटर में गड्ढे पाए गए हैं। इनमें से 6 सड़कों की मरम्मत कराई जा चुकी है। बाकी की रिपेयरिंग भी कर रहे हैं। 6 अगस्त को ही भोपाल की सभी सड़कों का निरीक्षण करवाया गया था। 3 प्रतिशत सड़कों में गड्‌ढे मिले हैं।

सड़कों के बारे में जानकारी देते मुख्य अभियंता आरके मेहरा और चीफ इंजीनियर संजय मस्के।
सड़कों के बारे में जानकारी देते मुख्य अभियंता आरके मेहरा और चीफ इंजीनियर संजय मस्के।

निगम की 4 हजार किमी से ज्यादा सड़कें
चीफ इंजीनियर मस्के ने बताया कि नगर निगम की सड़कों की तुलना में पीडब्ल्यूडी की सड़कें काफी कम है। निगम की 4 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबाई की सड़कें हैं। बारिश की वजह से निगम की सड़कों की स्थिति ज्यादा जर्जर है। एमपी नगर समेत कई मार्ग निगम के ही है। इनमें गड्‌ढे हुए हैं। ये सड़कें हमारी नहीं है। कुछ जगहों पर मरम्मत करने के बावजूद गड्‌ढे हो रहे थे। इसलिए वहां पेवर ब्लॉक लगाए गए हैं।

लोकपथ ऐप सहित अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग
मुख्य अभियंता मेहरा ने बताया कि सड़कों की मरम्मत को अधिक प्रभावी बनाने के लिए लोक पथ मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति सड़कों में गड्ढों की फोटो अपलोड कर शिकायत कर सकता है। अब तक विभाग को लोकपथ ऐप के माध्यम से 1868 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। जिनमें से 1,662 का निराकरण कर दिया गया है। इसके साथ विभाग ने अधिक क्षतिग्रस्त स्थानों पर 100 एमएम पेवर ब्लॉक का उपयोग कर मरम्मत का कार्य किया जा रहा है।

पीडब्ल्यूडी ने यह तकनीक भी अपनाई
मेहरा ने बताया, विभाग ने नवीन तकनीकों का उपयोग कर लगभग 600 किलोमीटर की सड़कों का विस्तृत रखरखाव किया है। जिनमें जेट पेचर, वेलोसिटी पेचर और इन्फ्रारेड तकनीक शामिल हैं। भविष्य में शहरी मार्गों को बार-बार क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए व्हाइट टॉपिंग तकनीक का उपयोग करने की योजना है।

एमपी में पीडब्ल्यूडी का 81 हजार किमी सड़कों का नेटवर्क
ईएनसी मेहरा ने बताया, प्रदेश में कुल 81 हजार किलोमीटर सड़कों का नेटवर्क है। इसमें 9 हजार 315 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग, 12 हजार 568 किलोमीटर स्टेट हाईवे, 25 हजार 420 किलोमीटर मुख्य जिला मार्ग और 33 हजार 697 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें शामिल हैं।

जर्जर सड़कों को लेकर मंत्री राकेश सिंह ने बुधवार को बैठक की।
जर्जर सड़कों को लेकर मंत्री राकेश सिंह ने बुधवार को बैठक की।

पीडब्ल्यूडी मंत्री सिंह बोले- एक सप्ताह के अंदर मरम्मत कराए
इधर, बुधवार को ही पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने मंत्रालय में बारिश में क्षतिग्रस्त सड़कों की समीक्षा की और अफसरों से कहा कि एक सप्ताह का अभियान चलाकर सड़क, शोल्डर एवं पुल-पुलियाओं की मरम्मत करें। मंत्री सिंह ने बैठक में कहा कि मरम्मत के बाद सभी इंजीनियर प्रमाण पत्र भी दें कि उनके क्षेत्र में अब कोई मरम्मत योग्य क्षतिग्रस्त सड़क शेष नहीं है। समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव केसी गुप्ता समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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