राजस्थान विधानसभा का कैसा रहस्य? फिर 199 के फेर में फंसा सदन !

राजस्थान विधानसभा का कैसा रहस्य? फिर 199 के फेर में फंसा सदन
विधानसभा के नए भवन के अस्तित्व में आने के बाद से लगातार यह सिलसिला चलता जा रहा है. ऐसे में विधानसभा भवन को लेकर जुड़ी धारणा दिन प्रतिदिन मजबूत होती जा रही है. इसके पीछे जितने मुंह उतनी बातें भी होती रहती हैं. कोई इसे वास्तु शास्त्र बताता है तो कोई इसे सदन के भवन में निगेटिव एनर्जी मानता है.

राजस्थान विधानसभा के सदस्यों की संख्या को लेकर लंबे समय से चल रहा मिथक एक बार फिर से बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा की मौत के बाद चर्चा में आ गया है. विधानसभा के सदस्य सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा का बुधवार रात को हार्ट अटैक से निधन हो गया है. इससे एक बार फिर से राजस्थान विधानसभा में एक सीट खाली हो गई है. हालांकि, इस बार लोकसभा चुनाव में पांच विधायक पहले ही सांसद बन चुके हैं. लिहाजा वो सीटें खाली हैं लेकिन अब एक विधायक के निधन से एक और सीट खाली हो गई है. करीब 24 साल पहले बने राजस्थान विधानसभा के सभी 200 सदस्यों की संख्या कभी पूरे पांच साल तक बरकरार नहीं रह पाती है.

विधानसभा चुनाव में चुने गए सभी 200 सदस्य कभी भी लगातार पांच साल तक एक साथ नए भवन में नहीं बैठ पाते हैं. या तो किसी न किसी विधायक का निधन हो जाता है या फिर कोई न कोई विधायक जेल चला जाता है या फिर सांसद बन जाता है. कुल मिलाकर कोई न कोई सीट विधानसभा में खाली रहती है.

भवन से गंगाजल से धोने तक की बात हो गई थी

2001 में नए भवन में शिफ्ट हुई इस विधानसभा में हो रहे इन घटनाक्रमों को लेकर पूर्व में बीजेपी के कट्टर हिन्दूवादी नेता और पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने बरसों पहले इसे गंगाजल से धोने की मांग तक कर डाली थी. वहीं बार-बार विधानसभा भवन में पूजा पाठ करवाने की बात भी गाहे बगाहे उठती रही है. ज्योति नगर में साल 2000 में यह विधानसभा भवन बना था. बताया जाता है कि निर्माण के दौरान यहां करीब आधा दर्जन मजदूरों की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई थी. विधानसभा का भवन करीब 17 एकड़ में फैला है.

विधानसभा में वास्तु दोष है?

दूसरी ओर वास्तु शास्त्र के जानकारों की मानें तो राजस्थान विधानसभा की बनावट में वास्तु दोष है. विधानसभा में लंबे समय से वास्तु दोष बताने वाले वास्तु शास्त्र पंडित मनोज भारद्वाज ने बताया कि ये विधानसभा शमशान की जमीन पर बनी हुई है. विधानसभा का दक्षिणी भाग नीचा है और विधानसभा का पश्चिम द्वार भी वास्तु के हिसाब से सही नहीं है.

वास्तु शास्त्री बोले- सरकार ने कई बार संपर्क किया

भारद्वाज ने बताया कि मुझसे कई बार सरकार की तरफ से संपर्क किया गया मगर रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया. भारद्वाज ने बताया कि मैंने सरकार को इस संबंध में सुझाव भी दिए है, लेकिन ये भी सच है कि विधानसभा के वास्तु दोष को दूर करने के लिए यहां काफी बार पूजा पाठ करवाए गए है मगर उसके बावजूद भी कभी भी विधायकों की संख्या 200 पर नहीं पहुंच सकी.

वहीं, छपरा से बीजेपी के विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि विधानसभा में भूत प्रेत और वास्तु दोष की बात लंबे समय से चली आ रही है. पुरानी विधानसभा में भी सुनने में आया था कि वहां भी कभी भी विधायकों की संख्या 200 तक नहीं पहुंच सकी. विधानसभा में भूत प्रेत की बातें चली आ रही हैं मगर मैं इसमें विश्वास नहीं करता.

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Rajasthan Vidhan Sabha में फिर रह गए 199 विधायक, 23 साल से श्मशान और बच्चों के कब्रिस्तान का कनेक्शन
Ghosts In Rajasthan Vidhan Sabha

राजस्थान विधानसभा भवन को लेकर (Ghosts In Rajasthan Vidhan Sabha)  हमेशा अपशकुन की बात की जाती है जो हर बार सही साबित भी हो रही है। लेकिन इसके बाद भी कई लोग इसको लेकर अंधविश्वास होने का तर्क देते है लेकिन पिछले 23 साल से यह अंधविश्वास इतना ज्यादा बढ़ गया है कि सदन में कभी भी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाए है। इस बार चुनावों में भी आंकडा 199 रहा और एक सीट पर मतदान बाद में हुआ। लेकिन जैसे ही 200 विधायक एक साथ बैठने के लिए तैयार हुए तो एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया और ​आंकडा 199 पर अटक गया।

23 साल से 200 विधायक साथ नहीं बैठे

जब से विधानसभा भवन का निर्माण हुआ तब से लेकर आज तक सदन में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठै है। इसे अपशकुन माने या विधाता को कोई लेख जो हर बार 199 का फेर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। (Ghosts In Rajasthan Vidhan Sabha) विधानसभा चुनाव के बीच ही करणपुर प्रत्याशी की मौत और बागीदौरा से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय के बीजेपी जॉइन करने व विधायकी से इस्तीफे के बाद फिर से 199 का अपशकुन बन गया। अब सदस्य फिर 199 रह गए हैं और आने वाले दिनों इस सीट पर मतदान होगा।

विधानसभा भवन शापित है

विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान ने सदन में दावा किया था कि राजस्थान विधानसभा का नया भवन ‘शापित’ है। जब तक विधानसभा में शांति पाठ नहीं होगा और (Ghosts In Rajasthan Vidhan Sabha)  जिन किसानों की भूमि पर यह भवन बना है, उनको ​मुआवजा नहीं दिया जाएगा, तब तक एक साथ 200 विधायकों इस सदन में नहीं बैठ पाएंगे। यह बात नई है बीजेपी विधायक भी इसको लेकर सवाल खड़े करने के साथ पूजा पाठ और हवन कराने की बात कह चुके है। लेकिन इसके बाद भी इसे अंधविश्वास कहरकर टाल दिया जाता है।

श्मशान स्थल पर बना है भवन

विधानसभा भवन के साथ जुड़े श्मशान स्थल को इसका कारण माना जाता रहा है। भवन जिस जगह बना है वो भूमि श्मशान थी लेकिन इसके बाद भी इस बात को स्वीकार नहीं किया जाता है। (Ghosts In Rajasthan Vidhan Sabha)  पिछले 20 साल में राजस्थान में 15 से ज्यादा विधायकों की मौत हुई है और कई विधायकों को जेल जाना पड़ा है।

15वीं विस में सर्वाधिक मौतें

2023 – करणपुर से कांग्रेस विधायक गुरमीत कुन्नर का निधन
2022 – कांग्रेस नेता और विधायक भंवरलाल शर्मा का निधन
2021 – वल्लभनगर कांग्रेस विधायक गजेंद्र शक्तावत का निधन
2021 – धरियावद से भाजपा विधायक गौतम मीणा का निधन
2020 – सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक मास्टर भंवरलाल का निधन
2020 – राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी का निधन
2020 – सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी का निधन

14वीं विस में हुई थी 4 मौतें

2018 – रामगढ़ से बसपा प्रत्याशी का वोटिंग से पहले हुआ निधन
2018 – मुंडावर से भाजपा विधायक धर्मपाल चौधरी का निधन
2018 – नाथद्वारा से भाजपा विधायक कल्याण सिंह का निधन
2017 – मांडलगढ़ से भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी का निधन।

13वीं विधानसभा हुई थी 5 मौतें

2003 – कांग्रेस से लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई का निधन.
2002 – कांग्रेस विधायक किशन मोटवानी का निधन.
2002 – बीजेपी विधायक जगत सिंह दायमा का निधन.
2001 – विधायक भीमसेन चौधरी का निधन.
2000 – लूणकरणसर विधायक कैबिनेट मंत्री भीखा भाई का निधन.

12वीं विधानसभा हुई थी 2 मौतें

2005 – विधायक अरुण सिंह का निधन
2006 – विधायक नाथूराम अहारी का निधन

2001 में बिना उद्घाटन शुरू हुआ था भवन

विधानसभा के नए भवन का निर्माण 1994 में शुरू हुआ था और मार्च 2001 में यह भवन बनकर तैयार हुआ।  जयपुर में लालकोठी के पास 17 एकड़ भूमि पर बना है। विधानसभा भवन के पास ही (Ghosts In Rajasthan Vidhan Sabha)  एक श्मशान स्थल आज भी है और इसी श्मशान को लेकर लोग भवन पर सवाल उठा रहे हैं। उद्घाटन के दौरान अपशगुन हुआ था और तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण को इस भवन का उद्घाटन करना था, लेकिन उद्घाट से ठीक पहले बीमार पड़ने के कारण राष्ट्रपति नहीं आ सके और बिना उद्घाटन के लिए राजस्थान का नया विधानसभा भवन शुरू हो गया था।

 

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