तख्ता पलट के डर से अब तक नहीं की गई थी सीडीएस की नियुक्तिः पूर्व सेना प्रमुख

नई दिल्लीः पूर्व सेनाप्रमुख जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति को स्वागत योग्य और ऐतिहासिक बताया है. कहा है कि पहले की सरकारों ने तख्तापलट के डर से ऐसा नहीं किया. बुधवार को उन्होंने कोलकाता में कहा कि देश में सीडीएस की नियुक्ति की लंबे समय से मांग हो रही थी और जरूरत इस बात की थी कि थलसेना, नौसेना और वायुसेना एक छत्र के नीचे आ जाएं, लेकिन समस्या राजनीतिक थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके पीछे पहले की सरकारों में घर किया हुआ तख्तापलट का डर था.

1 जनवरी को सीडीएस बने जनरल रावत
राजनीतिक प्रतिनिधियों को  इस बात का डर था कि अगर तीनों सेनाएं- सेना, नौसेना और वायुसेना एक छत्र के नीचे आ गई तो कहीं तख्तापलट न हो जाए, यही एकमात्र कारण है कि इतने सालों तक देश में सीडीएस का पद नहीं बनाया गया था. 31 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और 1 जनवरी को उन्होंने देश के पहले सीडीएस के रूप में पदभार ग्रहण किया.

विवेकपूर्ण फैसले लेंगे रावत
पूर्व सेनाप्रमुख ने कहा कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए सीडीएस का पद बेहद महत्वपूर्ण है. पूर्व आर्मी चीफ ने पहले सीडीएस के रूप में जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति पर कहा कि वह बहुत अनुभवी हैं. इतने वर्षो तक उन्होंने भारतीय सेना में सेवाएं दी है. उन्होंने विश्वास जताया कि वह तीनों सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप विवेकपूर्ण और उचित फैसले लेंगे. सीडीएस को यह तय करना होगा कि वह प्राप्त रक्षा बजट का तीनों सेवाओं के भीतर समान या प्राथमिकता वार आवंटित करने के लिए सरकार को अपनी सिफारिश देंगे.

स्वतंत्रता दिवस पर हुई थी घोषणा
साल 1999 के कारगिल युद्ध के बाद भी भारत में एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद को बनाने की पहल सुब्रह्मण्यम समिति की सिफारिश के आधार पर की गई थी, लेकिन राजनीतिक असहमति और आशंकाओं के कारण यह आगे नहीं बढ़ सकी थी. भारत में एक लंबे समय से इस पद को बनाए जाने की बात की जा रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान इस पद की घोषणा सार्वजनिक तौर पर की थी.

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