भारत से अमेरिका इतनी बड़ी मात्रा में हथियारों के पार्ट्स क्यों खरीद रहा है?
भारत से अमेरिका इतनी बड़ी मात्रा में हथियारों के पार्ट्स क्यों खरीद रहा है?
भारत का डिफेंस सेक्टर लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है. भारत अब दुनिया भर के देशों को अपनी रक्षा तकनीक और इक्युप्मेंट्स सप्लाई कर रहा है.
इस बढ़त का मुख्य कारण रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध और इजराइल-हमास के बीच की लड़ाई है. इन परिस्थितियों के कारण कई देश अपनी सेना को मजबूत करना चाहते हैं और भारत से हथियार खरीद रहे हैं.
अब, भारत का रक्षा उद्योग दुनिया भर के 90 से भी ज्यादा देशों को हथियार देता है. इन देशों में इटली, मालदीव, रूस, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), फिलीपींस, सऊदी अरब, पोलैंड, मिस्र, इज़राइल, स्पेन, चिली, अमेरिका और अन्य शामिल हैं.
सरकार भी इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. पहले हथियारों के निर्यात के लिए बहुत सारे पेपर वर्क और मंजूरी की जरूरत होती थी. लेकिन अब सरकार ने हथियारों के लिए लाइसेंस और मंजूरी लेने की प्रक्रियाओं को आसान बना दिया है.
कितना है भारत का रक्षा निर्यात
रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024-2025 की पहले तिमाही में रक्षा निर्यात करीब 78 फीसदी बढ़ गया है. इस साल अप्रैल-जून 2024 में भारत का रक्षा निर्यात 6915 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 3885 करोड़ रुपये था.
हालांकि भारत का रक्षा निर्यात पहले से ही तेजी से बढ़ रहा था. 2023-2024 में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये (लगभग 2.63 अरब डॉलर) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. यह पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 के 15,920 करोड़ रुपये के मुकाबले 32.5 फीसदी ज्यादा था. इसमें प्राइवेट सेक्टर का 60 फीसदी योगदान और पब्लिक सेक्टर का 40 फीसदी है. 2013-14 में भारत का रक्षा निर्यात सिर्फ 686 करोड़ रुपये था.
साथ ही हथियारों के निर्यात के लिए मंजूरी देने की संख्या भी बढ़ी है. वित्तीय वर्ष 2023 में 1414 मंजूरियां दी गई थीं, जो कि 2024 में बढ़कर 1507 हो गई. हालांकि फिर भी भारत अभी तक दुनिया के सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में शामिल नहीं है.
कौन है भारत का सबसे बड़ा खरीदार
भारत का सबसे बड़ा हथियार खरीदगार अमेरिका है. अमेरिकी कंपनियां अब भारत से सालाना एक अरब डॉलर से अधिक कीमत के सिस्टम, सबसिस्टम और पुर्जे खरीद रही हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकारी और निजी कंपनियों की ओर से निर्यात किए जाने वाले रक्षा सामानों में गोला-बारूद, छोटे हथियार (जैसे स्नाइपर राइफलें), बुलेटप्रूफ जैकेट, बुलेटप्रूफ हेलमेट, इलेक्ट्रॉनिक इक्यूपमेंट्स, बख्तरबंद वाहन, हल्के टॉरपीडो, सिमुलेटर, ड्रोन और तेजी से हमला करने वाले जहाज शामिल हैं.
भारत 34 देशों को बुलेटप्रूफ जैकेट की आपूर्ति करता है जिनमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, इजराइल और ब्राजील शामिल हैं. संयुक्त अरब अमीरात (UAE), मिस्र, इंडोनेशिया, थाईलैंड समेत लगभग 10 देशों ने भारत से गोला-बारूद (5.56mm से 155mm तक) खरीदा है. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस भारत से डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स हथियार खरीद रहे हैं. मॉरीशस, सेशेल्स और मालदीव ने भारत से तेजी से हमला करने वाले जहाज खरीदे हैं.
रक्षा हथियार खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश
भारत के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अमेरिका के बाद इजराइल भारत से काफी हथियार खरीदता है. इनमें बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट, बंदूकों के पार्ट, बैटरियां और हथियारों के छोटे-छोटे पार्ट्स शामिल हैं. कई भारतीय कंपनियां इजराइल को हथियार बेचती हैं.
इनमें से कुछ प्रमुख कंपनियां हैं: पीएलआर सिस्टम्स, कल्याणी रफाएल एडवांस्ड सिस्टम, इंडो एमआईएम, लोटस एविएशन टेक्नोलॉजी, डेफसिस सॉल्यूशंस, एडवांस्ड सिस्टम्स, लार्सन एंड टुब्रो, विप्रो एंटरप्राइजेज, एचबीएल पावर सिस्टम्स, गोदरेज एंड बॉयस आदि. ये सभी कंपनियां अलग-अलग तरह के हथियार और उनके पार्ट्स बनाती हैं. इजराइल इन कंपनियों से सामान खरीदता है और अपनी सेना के लिए इस्तेमाल करता है.
भारत से अमेरिका इतनी बड़ी मात्रा में हथियार क्यों खरीद रहा?
भारत अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण सप्लायर बनकर उभरा है, लेकिन यह अकेला देश नहीं है. कई अन्य देश भी अमेरिका को हथियारों के पार्ट्स सप्लाई करते हैं. अमेरिका एक वैश्विक महाशक्ति है और वह अपनी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दुनियाभर के कई देशों से हथियार और उनके पार्ट्स का आयात करता है. भारत, अपनी बढ़ती औद्योगिक क्षमता और अमेरिका के साथ मजबूत रणनीतिक संबंधों के कारण एक बड़ा सप्लायर बन गया है.
इसके अलावा भारतीय कंपनयों के लिए ब्रिटेन भी एक बड़ा खरीददार है. इन कंपनियों के उत्पादों में बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट, इलेक्ट्रॉनिक्स, सबसिस्टम, एयरो कंपोनेंट और इंजीनियरिंग सेवाएं शामिल हैं. भारतीय हथियार निर्माताओं में कमिंस टेक्नोलॉजीज इंडिया, गुडरिच एयरोस्पेस सर्विसेज, लार्सन एंड टुब्रो, महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स, माइक्रोन इंस्ट्रूमेंट्स और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स शामिल हैं.
भारत की सबसे बड़ी डिफेंस एक्सपोर्ट डील
भारत ने हाल ही में अपनी सबसे बड़ी डिफेंस एक्सपोर्ट डील पूरी की है. यह डील फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल बैटरी की आपूर्ति की थी. इस डील की कुल कीमत 374.96 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 2700 करोड़ रुपये) है. ये ब्रह्मोस मिसाइलें समुद्र में जहाजों को मारने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात सौदा था.
अगर हम पिछले दो दशकों की तुलना करें तो भारत का रक्षा निर्यात 21 गुना तक बढ़ा है. 2004-05 से 2013-14 के दौरान भारत का कुल रक्षा निर्यात 4312 करोड़ रुपये था. लेकिन 2014-15 से 2023-24 के दौरान यह बढ़कर 88,319 करोड़ रुपये हो गया है.
‘मेक इन इंडिया’ अभियान और भारत का बढ़ता रक्षा निर्यात
मेक इन इंडिया अभियान ने भारत के रक्षा निर्यात में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया है. इस अभियान ने देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब बनाने के लक्ष्य के साथ सितंबर 2014 में शुरुआत की थी. रक्षा क्षेत्र को इस अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया था, जिसका उद्देश्य देश को सैन्य हथियारों में आत्मनिर्भर बनाना और साथ ही दूसरे देशों को निर्यात करना था.
इस अभियान ने घरेलू कंपनियों को रक्षा उपकरण और हथियार बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. भारत ने कई देशों के साथ रक्षा सहयोग के लिए द्विपक्षीय समझौते किए. इससे भारतीय रक्षा उत्पादों को विदेशी बाजारों में पहुंचने में मदद मिली.
कितना है भारत का रक्षा निर्यात का टारगेट
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फरवरी में कहा था कि केंद्र सरकार को उम्मीद है कि रक्षा निर्यात 2028-2029 तक 50,000 करोड़ रुपये और वार्षिक रक्षा उत्पादन 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. उन्होंने यह बात फर्स्टपोस्ट डिफेंस समिट के उद्घाटन समारोह में कही थी. हालांकि, आंकड़ों के अनुसार रक्षा उत्पादन 2023-24 में पहले ही एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है.
हथियार खरीदने के मामले में भी भारत सबसे आगे
भारत सिर्फ हथियार और उसके पार्ट्स बेचता ही नहीं है, बल्कि खरीदने के मामले में भी आगे है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस और अमेरिका भारत को हथियार बेचने में सबसे आगे हैं. इन दोनों देशों की हिस्सेदारी भारत के हथियारों के आयात में 46% है.
SIPRI के मुताबिक, 2019-23 के दौरान भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बना रहा, जो 2014-18 की अवधि में 9.1% से बढ़कर 9.8% हो गया. भारत के आयात का 36% रूस से आया, इसके बाद फ्रांस से 33% और अमेरिका से 13% आया. 2009-13 में रूस से भारत के हथियार आयात का हिस्सा 76% था, जो 2014-18 में घटकर 58% हो गया और 2019-23 में और घटकर 36% रह गया.
2019-23 में दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदने वाले देश भारत, सऊदी अरब, कतर, यूक्रेन और पाकिस्तान थे. पाकिस्तान का हथियार आयात 2014-18 से 2019-23 के बीच 43% बढ़ गया और दुनियाभर में कुल हथियार खरीद का 4.3% रहा, जिससे यह दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हथियार खरीदने वाला देश बन गया. 2019-23 में पाकिस्तान ने जो हथियार खरीदे उनमें से 82% चीन से आए, जबकि 2014-18 में ये आंकड़ा 69% और 2009-13 में 51% था.
अभी भी भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है. हालांकि, भारत के रक्षा निर्यात में निश्चित रूप से काफी वृद्धि हुई है और यह एक उभरता हुआ हथियार निर्यातक देश बन रहा है. लेकिन यह कहना कि भारत जल्द ही दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बनेगा, थोड़ा जल्दबाजी होगी.