ईरान ने इजरायल पर किया है बड़ा हमला…?

 नसरल्लाह के बाद अब हिजबुल्लाह के बाकी बचे नेतृत्व को भी मार कर इजरायल ने दिए कड़े संदेश

इजराइल की मानें तो कोई भी जानमाल की हानि नहीं हुई है, वहीं दूसरी रिपोर्ट्स और ईरानी मीडिया की मानें तो इजराइल को इस हमले से जो कुछ भी क्षति हुई उसे वो छुपा रहा है. इजराइल के हवाई अड्डे को ठीक-ठाक क्षति हुई है. इस साल यह दूसरी बार है जब ईरान ने इज़राइल पर सीधा हमला किया है. इतिहास में इस साल के पहले ईरान और इज़राइल एक दूसरे के साथ सीधे युद्ध में कभी आमने-सामने नहीं आए थे.

ये दर्शाता है कि पश्चिम एशिया के भू-राजनीति में कुछ बदलाव हुए हैं. पहले दोनों देशों के बीच एक डेटेरेंस रहता था, लेकिन जब से ईरान अपने परमाणु ऊर्जा और बम (एटॉमिक एनर्जी एंड बम) के क्षेत्र में सफलता हासिल करना शुरू किया है, तब से इज़राइल उसके परमाणु स्थल और संस्थाओं पर हमला कर नेस्तनाबूद करने की कोशिश में है. इजराइल, हमास और हिजबुल्लाह के बीच छोटे स्तर के युद्ध के साथ साथ ईरान की परमाणु बम बनाने की आकांक्षाओं के कारण, हाल के कुछ वर्षों में पश्चिम एशिया क्षेत्र के भू-राजनीतिक बदलाव देखने को मिला है. वैसे, कुछ विशेषज्ञों का तो ये भी मानना है कि इजरायल और अमेरिका चाह रहे थे कि ईरान सीधे तौर पर इस जंग में शामिल हो जाए, ताकि उनको उस पर हमला करने का मौका मिले. 

ईरान की छवि और उसका पलटवार

दुनिया भर के विशेषज्ञ, विद्वान और विश्लेषक इस हमले की अटकलें लगा रहे थे, लेकिन ईरान ने ये हमला बहुत देर से किया. ईरान की तरफ़ से देखे तो इजराइल ने सारी हदें पार कर दी थी, जो ईरान के लिए अपमानजनक था. संघर्ष में अमेरिका की प्रमुख भागीदारी को जानते हुए ईरान, इजराइल के साथ सीधा युद्ध नहीं करना चाहता था और क्षेत्र में अपने प्रॉक्सीज के माध्यम से सीमित युद्ध चाहता था.

हालांकि, इजराइल की ओर से अचानक बढ़े तनाव और बड़े-बड़े हमलों ने ईरान के पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा और अपने सहयोगियों और मुस्लिम दुनिया के सामने अपनी छवि बचाने के लिए ईरान को जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया. दुनिया ने ईरान को महज एक बयानबाजी करने वाले देश के रूप में देखना शुरू कर दिया था, क्योंकि वे गोलाबारी से नहीं बल्कि अपने मुंह से जवाब दे रहे थे. ये हमला पश्चिम एशिया में ईरानी शक्ति की पुष्टि करेगा और साथ ही क्षेत्र में ईरान के एक क्षेत्रीय शक्ति होने वाली बात को साबित करेगा. 

पश्चिम एशिया में हालिया घटनाओं को देखने के बाद, इन दोनों देशों की सटीक कार्रवाइयों की भविष्यवाणी करना वास्तव में कठिन है. हालांकि, एक बुनियादी अनुमान हमें क्षेत्र की स्थिति और भविष्य को समझने में मदद कर सकता है.

इजराइल का जवाब और संभावित परिणाम

इजराइल एक छोटा देश होने के बावजूद पश्चिम एशिया का एक शक्तिशाली देश है. इजराइल क्या कर सकता है, ये दुनिया ने पिछले दो हफ्तों में देख लिया है जब उसने एक हफ्ते के अंदर हिजबुल्लाह के सभी शीर्ष नेताओं को खत्म कर दिया है. इजराइल अभी चार मोर्चों पर अपने प्रतिद्वंद्वी का सामना कर रहा है. एक हूती के साथ, दूसरा हमास के साथ, तीसरा हिजबुल्लाह के साथ और चौथा अब ईरान होगा. इजराइल, ईरान पर बिना हमला किए चुप नहीं बैठेगा क्योंकि इस यहूदी देश की एक परंपरा रही है कि ये वापस से जवाबी करवाई करते है तो “नॉक आउट पंच” की तरह करते है.

इस एक्शन में ये अपने दुश्मन को बहुत ज़्यादा क्षति पहुंचाते है, जिससे इनके दुश्मन इन पर भविष्य में हमला करने से डरे. इस बार की जवाबी करवाई में ये अटकलें लगाई जा रही है कि इजरायल ईरानी परमाणु सुविधाओं, तेल बुनियादी ढांचे पर हमला कर सकता है या ईरानी नेतृत्व विशेषकर धार्मिक और राजनैतिक नेता अयातुल्ला खामेनी को निशाना बना सकता है. ईरानी नौ-सैनिक अड्डे की सुविधाएं और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की नौसैनिक संपत्तियां इज़राइल के लिए अन्य संभावित लक्ष्य हो सकती हैं.

अगर ईरान के हमले से इजराइल को ना के बराबर क्षति की बात सही है, तो प्रतिक्रिया में ईरानी परमाणु स्थलों को निशाना बनाना असंगत माना जा सकता है. इस तरह के किसी भी हमले का उल्टा असर होने और तेहरान को अपने क्षेत्र पर भविष्य के हमलों को रोकने के लिए अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज करने के लिए मजबूर करने की भी संभावना है, जो कि इजराइल के राष्ट्र हित में नहीं है. ऐसा करने से युद्ध के भीषण होने और फैलने की संभावन बढ़ सकती है. बुधवार 2 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन ने कहा कि वह ईरान की परमाणु सुविधाओं पर इजरायली हमले का समर्थन नहीं करेंगे, क्योकि अमेरिका इसके दूरदर्शी परिणाम जानता है.

ईरानी तेल बुनियादी ढांचे पर हमला अधिक संभव है, क्योंकि यह परमाणु स्थल की तुलना में कम संरक्षित है और यह इजराइल पर ईरानी हमले के समानुपाती भी होगा. संभवतः यह युद्ध को आगे बढ़ाने से रोक देगा. ईरान के आकर्षक तेल क्षेत्र पर प्रहार करना, जब ईरान गंभीर आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है और इसको लेकर बढ़ते लोकप्रिय दबाव का सामना कर रहा है, इजरायल के राजनीतिक रूप से लाभ पहुंचा सकता है.

पूरा विश्व अभी पश्चिम एशिया में घट रही घटनाओं पर नजर रखे हुए है और चाहता है कि युद्ध को जल्दी से जल्दी रोका जाये जिस से वहां के बेकसूर लोगों की जान बचे और शांति-समृद्धि आए. विश्व के अलग-अलग देश के नेता और राजनयिक इसी कार्य में लगे है कि युद्ध विराम हो, लेकिन जब तक इजराइल और ईरान इस बात को नहीं ठानेंगे कि युद्ध रोककर बातचीत का रास्ता अपनाया जाये तब तक इस युद्ध को रोकना कठिन है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं.यह ज़रूरी नहीं है कि ….न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.

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