हमास नेता हानिया की मौत पर ट्यूनिशिया में प्रदर्शन

 इजरायल-हमास वॉर: शोले, तबाही और बारूद के ढेर पर मौत का खौफनाक मंजर…, मिडिल ईस्ट में बर्बादी का 1 साल

आज से ठीक एक साल पहले इजरायल पर एक हमला किया गया. ये इजरायल के इतिहास में सबसे बड़ा आतंकी हमला था. 7 अक्टूबर 2023 को आतंकवादी संगठन हमास की तरफ से किए गए इस हमले में करीब 1200 इजरायली मारे गए, जबकि ढाई सौ से ज्यादा लोगों को अगवा कर लिया गया था. हमास के इस उकसावेपूर्ण कार्रवाई के बाद इजरायल ने जो कहर बरपाया, उससे पूरे मिडिल ईस्ट में हड़कंप है. करीब 41 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की अब तक मौत हो चुकी है. 

इस एक साल के दौरान हमास नाम के आतंकी संगठन अब पूरी तरह से पतन की कगार पर पहुंच चुका है. हालांकि, हमास के कई आतंकी अभी छिपे हुए हैं, उसने कुछ इजरायली लोगों को बंधक भी बना रखा है और उनका अभी पूरा खात्मा नहीं हुआ है. लेकिन इजरायल, हमास नाम के आतंकी संगठन के पूरी तरह से खात्मे के लिए संकल्पबद्ध है और उसके संदर्भ में लड़ाई जारी रखे हुए है.

इसके साथ ही, हमास के समर्थन में जिस तरीके से हिजबुल्ला और हूती जैसे आतंकी संगठनों ने अपनी कार्रवाई की है, उसको ध्यान में रखते हुए हिज्बुल्ला के खिलाफ भी इजरायल बड़ा एक्शन ले रहा है. इसके साथ ही, हूती को भी यमन में इजरायल की तरफ से निशाना बनाया जा रहा है.

आतंक के खिलाफ बड़ी लड़ाई

इजरायल का आतंकवाद के खिलाफ ये युद्ध पिछले एक साल से लगातार जारी है. लेकिन, इस बात को हमें स्पष्ट रुप से समझने की आवश्यकता है कि पिछले साल 7 अक्टूबर को जिस तरह से इजरायल पर हमला किया गया था, उसके पीछे इन आतंकवादी संगठनों के आखिर क्या मंसूबे थे? साथ ही, उनका इस तरह से दावा क्यों किया गया? 

जाहिर है कि हमास, हिज्बुल्ला और हूती जो भी संगठन है, ये सभी ईरान के प्रॉक्सी हैं. इजरायल पर हमला इस सोच के साथ किया गया था कि इजरायल की अब्राहम अकॉर्ड्स जो 2020 में साइन किए गए थे, उसके बाद इजरायल की अरब राष्ट्रों के साथ जो नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया चल रही थी, इजरायल की जो इंटीग्रेशन की प्रक्रिया चल रही थी, जिसे शांति प्रक्रिया (Peace Process) का नाम दिया जा रहा था, उसको ये आतंकी संगठन तोड़ना चाहते थे.

शांति प्रक्रिया तोड़ना चाहते थे आतंकी

ये आतंकवादी संगठन कभी नहीं चाहते कि इजरायल का अरब राष्ट्रों के साथ संबंध सामान्य हो. जिस तरह से UAE, बहरीन और अन्य राष्ट्रों ने इजरायल को एक के बाद एक मान्यता देना शुरू कर दिया था और ऐसी भी रिपोर्ट्स आ रही थी कि सऊदी अरब भी अपने संबंधों को नॉर्मलाइज कर लेगा, मान्यता दे देगा. ऐसे में इन आतंकी संगठनों की कुदृष्टि इस नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस पर थी. ये इस नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को तोड़ना चाहते थे. इसी वजह से उन्होंने 7 अक्टूबर को ये आतंकी हमले को अंजाम दिया.

इस तरह की आतंकी घटनाओं के पीछे जो सोच है, ये धर्मों के बीच टकराव को बढ़ाने की सोच है. ये Clash of Civilasition की सोच है. ये एक ऐसे विचारधारा है, जिसमें घृणा है, हिंसा है. वे अपने नापाक मंसूबे को हासिल करना चाहते हैं, घृणा की जमीन तैयार करना चाहते हैं. वैमनस्य की जमीन तैयार करना चाहते हैं और उस पर आतंकवाद की लहलहाती फसल तैयार करना चाहते हैं.

इसमें वे अपने निहित स्वार्थ को पूरा करना चाहते हैं. वास्तविक तौर पर देखें तो ये जो आतंकी है, वे पूरी मानवता के दुश्मन हैं. एक ऐसी सोच जो विश्व में धर्मों के टकराव को बढ़ाए, सभ्यताओं के बीच में टकराव को बढ़ाए, वो नि:संदेह आतंकवादी सोच है. इस तरह की सोच का समर्थन करनेवाली जो भी ताकतें है, वो सभी आतंक परस्त ताकतें हैं.

हमास की तरफ से 7 अक्टूबर को जो आतंकी घटनाएं हुई, उसके पीछे जाहिर है कि इसी तरह की clash of civilation को कराने की सोच थी और उनका लक्ष्य ये था कि इसके माध्यम से इजरायल की नॉर्मलाइजेशन (शांति की प्रक्रिया) टूट जाएगी. इनके मंसूबे यही तक सीमित नहीं थे. इनका मंसूबा ये था कि इजरायल जब ऐसे हमले के बाद जवाबी कार्रवाई करेगा, तो ऐसे में पूरी दुनिया में इस तरह का वातावरण बनेगा जैसे कि ये यहूदी और मुस्लिम की बीच का युद्ध शुरू हो गया है.

हमास नहीं है फिलिस्तीन

इस बात को भी हमें समझने की आवश्यकता है कि इजरायल की तरफ से जो रिस्पॉन्स किया जा रहा है, ये जो लड़ाई लड़ी जा रही है वो किसी धर्म के खिलाफ नहीं है. किसी सभ्यता के खिलाफ वॉर नहीं है. ये अगर कोई लड़ाई है तो वो आतंकवाद के खिलाफ है. ये उस आतंकी सोच यानी clash of civilation की लड़ाई है, उसके खिलाफ इजरायल का वॉर है. साथ ही, ये भी समझने की जरूरत है कि ये सिर्फ इजरायल-फिलिस्तीन के बीच का युद्ध नहीं है. हमास एक आतंकी संगठन है, ये फिलिस्तीन नहीं है. उसने गाजा पर आतंक का शासन साल 2007 से कर रखा था. ऐसे में फिलिस्तीन का अगर कोई सच्चा प्रतिनिधि है तो वो फिलिस्तीनियन अथॉरिटी है, जो वेस्ट बैंक में शासन करती है. 

ये हमास के आतंकी संगठन इतने बर्बर और क्रूर हैं कि इन्होंने फिलिस्तीनियन अथॉरिटी जो फतह नाम की पार्टी थी, उसको गाजा में टिकने नहीं दिया. अपने ही फिलिस्तिनी लोगों का जो राजनीतिक दल था, उसको वहां से भगा दिया और 2007 से वो आतंक का शासन कर रहे हैं. अगर आप देखें तो 2007 से 7 अक्टूबर 2023 तक इजरायल ने इस आतंकी संगठन के वास्तविक चरित्र को समझने के बावजूद भी इस बात की उम्मीद की कि इसके अंदर कोई बदलाव आएगा.

इजरायल ने अनेक गाजा के नागरिकों को वर्क परमिट देकर, अनेक तरह से उन्हें आर्थिक मदद पहुंचा कर उनकी स्थितियों को बेहतर करने की कोशिश की और शांतिपूर्ण तरीके से रहने की कोशिश की. लेकिन, ये जो आतंकी संगठन हैं, उनका वास्तविक चरित्र पिछले वर्ष 7 अक्टूबर को सामने आ गया जब उन्होंने एक दिन के अंदर 1200 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी. वो लोग जो एक म्यूजिक फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए आए थे. जो अपने जीवन का सामान्य तरीके से बिता रहे थे.

उनको उन्होंने बर्बर तरीके से टारगेट किया. महिलाओं के साथ बलात्कार किया. बच्चों को उनके माता-पिता के सामने हत्याएं कीं. व्हील चेयर पर बैठे बुजुर्गों को हत्या कर देना. ये घटना इनती बर्बर, क्रूर और निर्मम थी जिसे शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता है. हमास का आतंकी चरित्र इस घटना के बाद पूरी तरह से सामने आ गया. इजरायल को इसके बाद जवाब देना था और इजरायल ने माकूल जवाब दिया भी है.

इजरायल की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है. इजरायल के बारे में हम जानते हैं कि ये वो राष्ट्र है, जिसने बड़े संघर्षों के बाद अपनी वो मातृभूमि में अपने राष्ट्र का निर्माण किया. यहूदी एक प्राचीन सभ्यता है, लेकिन उसके पास कोई जमीन नहीं थी. अपनी कोई टेरिटरी नहीं थी और इजरायल ने अपने तमाम संघर्ष के बाद उसे स्थापित की.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं.यह ज़रूरी नहीं है कि ….. न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

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