भारत के लिए कैसा रहा बाइडन का कार्यकाल?

भारत के लिए कैसा रहा बाइडन का कार्यकाल?
चिप निर्माण समझौते के लिए रखा जाएगा याद ….
जॉर्ज बुश जूनियर को भारत के साथ असैन्य परमाणु समझौते, तो बाइडन को चिप निर्माण समझौते में योगदान के लिए याद किया जाएगा…
2019 में ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में हाउडी मोदी के मंच से उठी एक टैग लाइन : अबकी बार ट्रंप सरकार, को प्रधानमंत्री मोदी की तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रति समर्थन के रूप में समझा गया था, जिससे कुछ हलकों में यह चिंता पैदा हो गई थी कि यदि बाइडन राष्ट्रपति बने, तो वह इसे नकारात्मक रूप से ले सकते हैं। यह बात निराधार साबित हुई; छह जनवरी 2025 को समाप्त होने वाला बाइडन का कार्यकाल कोविड महामारी के चलते लंबे व्यवधानों के बावजूद भारत-अमेरिका संबंधों के लिए बहुत परिवर्तनकारी रहा है। मोदी के साथ उनके व्यक्तिगत रिश्ते उल्लेखनीय रूप से सकारात्मक रहे हैं, जिसमें अचूक गर्मजोशी, मिलनसारिता और स्पष्टवादिता है।

माना जाता है कि 2006 में अमेरिकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए सीनेटर बाइडन ने कहा था, ‘मेरा सपना है कि 2022 में दुनिया के दो सबसे करीबी देश भारत और अमेरिका होंगे।’ काफी हद तक उन्होंने अपने सपने को जीया है। डेलावेयर में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘भारत-अमेरिका साझेदारी को गति देने में राष्ट्रपति बाइडन के अद्वितीय योगदान के लिए प्रशंसा की।’ मोदी 21 सितंबर को क्वाड शिखर सम्मेलन में भागीदारी के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से उनके निजी आवास पर आठवीं बार व्यक्तिगत रूप से मिले; वे वर्चुअल रूप से भी मिले हैं। ओबामा के कार्यकाल के बाद से भारत-अमेरिका व्यापार में तेजी देखी जा रही है।

वर्ष 2023 में अमेरिका से भारत का हाइड्रोकार्बन आयात 13.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया। पिछले साल तक, अमेरिकी कंपनियों ने भारत में लगभग 60 अरब डॉलर का निवेश किया, जिससे लगभग 2,50,000 नौकरियां पैदा हुई हैं। रक्षा समझौते के तहत रसद विनिमय ज्ञापन समझौता; संचार संगतता और सुरक्षा समझौता, औद्योगिक सुरक्षा समझौता और 2016-2020 के बीच हस्ताक्षरित बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौते ने दोनों देशों की सेनाओं और त्रि-सेवाओं और विशेष बलों के बीच संचार और अंतर-संचालन क्षमता को काफी बढ़ाया है। जनवरी 2023 में शुरू किए गए आईसीईटी (उभरती और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों) पर समझौता बाइडन के कार्यकाल के सबसे परिवर्तनकारी मील के पत्थर के रूप में जाना जाएगा।

दोनों देशों के एनएसए की अगुवाई में यह पहल कई क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग का प्रेरक इंजन होगी : कृत्रिम बुद्धिमता (एआई), क्वांटम टेक्नोलॉजीज, साइबर, 5जी, 6जी, बायोटेक, रक्षा, अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर और कई अन्य। बाइडन के कार्यकाल का एक अन्य परिवर्तनकारी पहलू यह है कि उनके प्रशासन ने भारत पर भरोसा जताया है और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने की अभूतपूर्व इच्छा दिखाई है। मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान माइक्रोन ने गुजरात में सेमीकंडक्टर संयंत्र लगाने और परीक्षण सुविधा की घोषणा की थी। जुलाई 2023 में माइक्रोचिप ने भारत में अपने परिचालन का विस्तार करने के उद्देश्य से 30 करोड़ डॉलर के निवेश की घोषणा की।

21 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा की खातिर सेमीकंडक्टर के लिए दुनिया की पहली मल्टी-मटेरियल फैब्रिकेशन यूनिट स्थापित करने के लिए एक अहम समझौता हुआ। ग्रेटर नोएडा के जेवर में स्थित यह नई फैब्रिकेशन यूनिट उच्च प्रौद्योगिकी युद्ध में इस्तेमाल होने वाले चिप बनाएगी। यह प्रौद्योगिकी साझेदारी भारत को उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल करेगी, जिनके पास ऐसे चिप को अपने देश में बनाने की क्षमता होगी। अगर जॉर्ज बुश जूनियर को भारत के साथ असैन्य परमाणु समझौते के लिए याद किया जाता है, तो बाइडन को चिप निर्माण समझौते में उनके योगदान के लिए याद किया जाएगा। यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा करने से भारत के लगातार इन्कार ने बाइडन प्रशासन को परेशान कर दिया था। हालांकि, धीरे-धीरे उन्हें रूस की निंदा न करने और उससे अत्यधिक छूट वाले तेल खरीदने के भारत के फैसले का औचित्य समझ में आ गया। एक वरिष्ठ अमेरिकी सचिव ने महसूस किया कि भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद ने अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों को स्थिर करने में मदद की है।

बाइडन ने मोदी की सलाह की सराहना की कि ‘यह युद्ध का युग नहीं है’। बाइडन गलवान घाटी में चीनी आक्रामकता की आलोचना करते रहे हैं। अमेरिका ने चीन के खतरे का मुकाबला करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी और अन्य तरीकों से भारत की मदद की थी। बाइडन ने कहा था, ‘प्रधानमंत्री मोदी के साथ जब भी हम बैठते हैं, तो मैं सहयोग के नए क्षेत्रों को खोजने की हमारी क्षमता से प्रभावित होता हूं।’ बाइडन-मोदी ने ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई और हरित ऊर्जा के दोहन में सहयोग बढ़ाया है।   

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