यूपी पुलिस … 7 साल में 12 हजार एनकाउंटर ?
7 साल में 12 हजार एनकाउंटर, ये हैं यूपी पुलिस की 10 सबसे ज्यादा चर्चित मुठभेड़
बहराइच हिंसा के आरोपियों के साथ मुठभेड़ से पहले पिछले 7 साल में यूपी पुलिस 12 हजार से ज्यादा एनकाउंटर कर चुकी है. इनमें 210 बदमाशों की जान गई है, 1601 घायल हुए हैं और 27 हजार से ज्यादा बदमाश पकड़े गए हैं. मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों में विकास दुबे, गौरी यादव, आदित्य राणा और मनीष सिंह जैसे कुख्यात अपराधी शामिल हैं.
बहराइच हिंसा के आरोपी सरफराज और तालीम अब पुलिस गिरफ्त में हैं. इन्हें पकड़ने से पहले पुलिस की आरोपियों के साथ मुठभेड़ हुई, जिसमें दोनों को गोली भी लगी. अब इस एनकाउंटर पर सवाल उठ रहे हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत अन्य विपक्षी नेता इसे सरकार की नाकामी छिपाने का जरिया बता रहे हैं. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब यूपी पुलिस की अपराधियों से मुठभेड़ हुई हो. पिछले सात साल में 12 हजार से ज्यादा बार पुलिस और अपराधियों में एनकाउंटर हो चुके हैं. इनमें 210 से ज्यादा अपराधियों को ढेर किया गया है, जबकि हजारों अपराधी घायल होकर पुलिस की गिरफ्त में आए हैं. खास बात ये है कि इन एनकाउंटर में 17 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए हैं.
यूपी पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक जीरो टॉलरेंस नीति के चलते 2017 से लेकर 5 सितंबर तक 12 हजार से ज्यादा एनकाउंटर हुए हैं, इन मुठभेड़ों में गिरफ्तार किए गए अपराधियों की संख्या 27 हजार से ज्यादा है. 1601 अपराधी घायल हुए हैं. यूपी पुलिस चीफ प्रशांत कुमार के हवाले से TOI में प्रकाशित एक रिपोर्ट में ये बताया गया है कि सबसे ज्यादा मुठभेड़ मेरठ जोन में हुई हैं, जहां 3723 से ज्यादा हुई मुठभेड़ों में तकरीबन 66 अपराधी मारे गए हैं. 7 हजार से ज्यादा गिरफ्तार किए गए हैं. रिपोर्ट में यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार के हवाले से ये भी कहा गया है कि सभी एनकाउंटर में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का ध्यान रखा गया है, इसीलिए यूपी पुलिस के किसी भी एनकाउंटर पर सवाल नहीं उठा. डीजीपी के मुताबिक सिर्फ एसटीएफ नहीं, बल्कि कमिश्नरेट और जिलों की पुलिस भी अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रही है.
ये हैं यूपी पुलिस के सबसे चर्चित एनकाउंटर
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- विकास दुबे: यूपी का सबसे चर्चित एनकाउंटर विकास दुबे का था. इसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी. दरअसल 3 जुलाई 2020 को कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ छापा मारने गए पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी थी. इसमें सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. 9 जुलाई को विकास उज्जैन में पकड़ा गया था. अगले दिन कानपुर लौटते समय भौंती में उसने भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया. विकास पर 5 लाख रुपये का ईनाम था.
- गौरी यादव: बुंदेलखंड में 20 साल तक आतंक का पर्याय रहा गौरी यादव पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था, 30 अक्टूबर 2021 को एसटीएफ की टीम की चित्रकूट के जंगलों में उससे मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में पांच लाख का इनामी गौरी यादव मारा गया था.
- कमल : जुलाई 2019 में संभल में पेशी पर आए तीन बदमाशों को छुड़ाने के लिए पुलिस टीम पर हमला बोला गया था, इसमें 2 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इन 3 बदमाशों में से एक कमल के अमरोहा में होने की सूचना पर पुलिस ने घेरा, मुठभेड़ हुई और कमल इसमें मारा गया. इस एनकाउंटर में एसपी के गनर को भी गोली लगी थी.
- शिवशक्ति नायडू: 11 जिलों में 22 मामलों में वांछित शिव शक्ति नायडू की कंकरखेड़ा में पुलिस से मुठभेड़ हुई थी. वह देहरादून हाईवे से कार चोरी कर भागा था. मेरठ जिले के कंकरखेड़ा में पुलिस ने उसे घेरा, दोनों तरफ से गोलीबारी हुई और शिवशक्तू नायडू मारा गया. इस मुठभेड़ में एसएसपी की बुलेटप्रूफ जैकेट पर भी गोली लगी थी. उस पर तकरीबन 2 लाख का इनाम था.
- मनीष सिंह : वाराणसी और आसपास के जिलों में आतंक का कारण बना मनीष सिंह उर्फ सोनू अप्रैल 2021 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. वह एनडी तिवारी हत्याकांड का मुख्य आरोपी था. नरोत्तमपुर लंका निवासी मनीष सिंह सोनू को एसटीएफ ने लोहता में ढेर किया था. डस पर दो लाख का इनाम था.
- मंसूर पहलवान: डकैती, लूट और हत्या जैसी वारदातों में वांछित मंसूर पहलवान पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. खास बात ये है कि 2017 में सरकार बनने के बाद पहला एनकाउंटर मंसूर पहलवान का ही हुआ था. वह कुख्यात काला मुकीम गैंग के लिए काम करता था.
- आदित्य राणा: अप्रैल 2022 में कुख्यात अपराधी आदित्य राणा फरार हो गया था. डीजीपी ने उस पर ढाई लाख ईनाम का ऐलान किया था. तकरीबन एक साल बाद 11 अप्रैल 2023 को लांबा खेड़़ा गांव में उसकी लोकेशन मिलने पर पुलिस उसे गिरफ्तार करने पहुंची. दोनों ओर से गोलीबारी हुई, जिसमें आदित्य राणा मारा गया.
- असद अहमद और गुलाम : कुख्यात गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और शूटर गुलाम को पिछले साल 13 अप्रैल को एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया था. दोनों पर उमेश पाल हत्याकांड का आरोप था. यूपी पुलिस ने इन पर पांच पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था.
- मंगेश यादव : सुल्तानपुर के चर्चित डकैती कांड के आरेापी मंगेश यादव को एसटीएफ ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया था. इस मामले में काफी राजनीति हुई थी, विपक्ष ने मंगेश को यादव होने के नाते मुठभेड़ में मारे जाने का आरोप लगाया था. हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि यूपी पुलिस जाति देखकर कार्रवाई नहीं करती. मंगेश डकैती के 11 आरोपियों में से एक था.
- अनुज सिंह: सुल्तानपुर सराफा डकैती के मामले में ही मंगेश यादव के बाद इसी साल सितंबर में एसटीएफ ने अनुज सिंह को मुठभेड़ में मार गिराया था. इस मुठभेड़ के दौरान एक साथी भागने में सफल रहा था. अनुज की मौत पर उसके पिता ने ये आरोप लगाया था कि मंगेश के एनकाउंटर पर हुई राजनीति की वजह से मेरे बेटे की जान ली गई.