बच्चों को स्कूल या कॉलेज भेजने से पहले पैरेंट्स करें क्रैश कोर्स !

बच्चों को स्कूल या कॉलेज भेजने से पहले पैरेंट्स करें क्रैश कोर्स

हाल ही में, एक बड़े विश्वविद्यालय की प्रथम वर्ष की छात्रा ने रात 1.30 बजे पुलिस को फोन किया क्योंकि उसके हॉस्टल में वॉशरूम का दरवाजा बाहर से बंद हो गया था और वो अंदर फंस गई थी। वॉशरूम के बाहरी पैडलॉक का पेंच ढीला था और जब उसने दरवाजा बंद किया तो उससे हुए कंपन के कारण पैडलॉक अपने आप बंद हो गया होगा।

छात्रा को डर था कि किसी ने उसे बाहर से लॉक कर दिया है, इसलिए उसने वार्डन या अपनी रूममेट्स को बुलाने के बजाय सीधे पुलिस को फोन किया और इससे कैम्पस में अच्छा-खासा तमाशा बन गया। साथी छात्राओं ने वीडियो बनाना शुरू कर दिया और कैम्पस को बिना किसी गलती के सोशल मीडिया पर मुसीबत का सामना करना पड़ा। तब कैम्पस ने सभी अभिभावकों के लिए एक क्रैश कोर्स किया, जिसमें उनसे अपने बच्चों के साथ बैठने और उनके फोन सम्पर्कों को देखने के लिए कहा गया।

स्टूडेंट्स को यह निर्देशित करने की आवश्यकता जताई गई कि किस संभावित स्थिति में किससे सम्पर्क करना चाहिए। उनके सम्पर्कों में ऐसे वयस्क होने चाहिए, जो दबाव में शांत रह सकें। क्रैश कोर्स में कई अन्य बातों के अलावा यह भी बताया गया कि उनके पास अलग-अलग टाइम-जोन से सम्पर्क भी होने चाहिए, क्योंकि कई आपात स्थितियां तब आती हैं, जब लोग सो रहे होते हैं। उन्होंने कैम्पस सर्वाइवल गाइड भी दी, जिसमें बच्चों को एनर्जी ड्रिंक से दूर रखने जैसी बातें बताई गई हैं। गाइड में कैम्पस में उपलब्ध हेल्थकेयर सुविधाओं और अन्य सहायताओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया।

मुझे इस क्रैश कोर्स और गाइड की तब याद आई, जब मैंने एक अभिभावक को अपने बेटे की टीचर से सवालों की झड़ी लगाते देखा। वे इस बुधवार को उन टीचर से उस ग्रॉसरी स्टोर पर मिल गई थीं, जहां मैं अपने परिवार के साथ गया था। वे अपने बच्चे की शैक्षणिक प्रगति से ज्यादा दूसरे बच्चों को मिलने वाले अधिक अंकों के बारे में चिंतित थीं।

तीन अन्य अभिभावक भी बातचीत में शामिल हो गए और टीचर से उन बातों पर भी सवाल पूछने लगे, जिनका पढ़ाई से संबंध न था। टीचर ने कहा, यदि आप अपने बच्चे की प्रगति के बारे में बात करना चाहते हैं, तो स्कूल के समय के बाद मुझसे मिलें, लेकिन आपके अन्य मुद्दे प्रशासनिक हैं, जिनके लिए आपको संबंधित विभाग के साथ बात करना होगी। इस यहां अपने काम से आई हूं, और आपको मेरी निजता का सम्मान करना चाहिए।

टीचर के जाने के बाद वहां एकत्रित पैरेंट्स कहने लगे कि वे बहुत घमंडी हैं। तभी मुझे शैक्षिक-मनोविज्ञान की रिसर्च-प्रोफेसर जिलियन रॉबर्ट्स की हाल ही में पढ़ी गई वह बात याद आई, जिसमें वे कहती हैं कि अगर कोई माता-पिता अपने बच्चे की शैक्षणिक प्रगति के बारे में चिंतित हैं, तो उन्हें उदाहरण देते हुए अपने ​विचारों को लिख लेना चाहिए और अपनी चिंताओं को स्पष्ट करना चाहिए।

उन्हें बताना चाहिए कि वे अपने बच्चों को सफल बनाने को लेकर कैसे अनिश्चित महसूस करते हैं और स्कूल-प्रणाली के भीतर उपलब्ध सहायताओं और उन तक पहुंचने के बारे में उन्हें अधिक जानकारी की आवश्यकता है। लेकिन ऐसा करने के बजाय, पैरेंट्स शिक्षक पर तब सवालों की बौछार कर देते हैं, जब वे उन्हें बाजार, पूजा स्थल या यहां तक कि यात्रा के दौरान भी देखते हैं।

जब समस्याओं का पहले स्तर पर ही समाधान नहीं किया गया हो तो इन्हें स्कूल-आधारित टीम तक भी पहुंचाया जा सकता है, जिसमें रिसोर्स-टीचर्स, समूह-समन्वयक और अंत में प्रधानाध्यापक शामिल होते हैं। लेकिन अधिकांश माता-पिता सीधे ही प्रधानाध्यापक से मिलना चाहते हैं।

उच्च-स्तरीय स्कूलों में रिसोर्स-टीचर्स के अलावा स्पीच लैंग्वेज पैथॉलॉजिस्ट्स, व्यावसायिक थैरेपिस्ट्स या परामर्शदाता होते हैं, जिनके पास यह तय करने के लिए सीधे हस्तक्षेप करने का अधिकार होता है कि बच्चा अपने वर्तमान वांछित स्तर के अनुरूप प्रदर्शन कर रहा है या उसे अतिरिक्त शिक्षण-सहायता की आवश्यकता है।

फंडा यह है कि यदि माता-पिता व्यवस्था को समझ लें और उसमें स्वयं को ढाल लें, तो वे तब नहीं घबरा उठेंगे, जब स्कूल में बच्चों का प्रदर्शन उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं होगा

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