दिवाली पर घर पेंट करते हुए सावधान ?

दिवाली पर घर पेंट करते हुए सावधान
पेंट में हो सकता है लेड, बच्चों के लिए खतरनाक, ऐसे करें सही पेंट का चुनाव

दिवाली के नजदीक आते ही हम सभी घर की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई में लग जाते हैं। हमारा ध्यान इस बात पर अधिक होता है कि कौन सा पेंट घर को अधिक चमकदार बनाता है। लेकिन हम कभी इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि घर की पुताई के लिए इस्तेमाल होने वाले चमकदार लेड युक्त पेंट्स हमारे लिए कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, साल 2021 में लेड के संपर्क में आने की वजह से दुनिया में 15 लाख लोगों की मृत्यु हो गई। पेंट्स में मौजूद लेड (सीसा) एक ऐसा केमिकल है, जो बच्चों के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है। गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। बच्चों में यह मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाकर उनकी सोचने-समझने की क्षमता, बौद्धिक विकास, आईक्यू को प्रभावित कर सकता है।

ऐसे में आज हम जरूरत की खबर में जानेंगे कि-

  • पेंट्स में मौजूद लेड हेल्थ को कैसे नुकसान पहुंचा सकता है?
  • कौन से उपाय कर हम लेड युक्त पेंट्स से बचाव करें?
  • दिवाली पर लेड-फ्री पेंट्स का चुनाव कैसे करें?

सवाल- लेड क्या होता है?

जवाब- लेड एक धातु है, जिसका उपयोग पेंट्स में रंगों की क्वालिटी और चमक को बरकरार रखने के लिए किया जाता है। लेकिन इसके संपर्क में रहना हमारे सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। इसके साथ ही इसका उपयोग बैट्री, कॉस्मेटिक्स, खिलौने, कंस्ट्रक्शन मटेरियल में इस्तेमाल किया जाता है। यह काफी हानिकारक पदार्थ है। लेड का इस्तेमाल लंबे समय तक पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में होता रहा है। हालांकि, बाद में भारत सरकार ने वर्ष 2000 में इसका इस्तेमाल पेट्रोल और डीजल में पूरी तरह बंद कर दिया।

सवाल – लेड कितना नुकसान पहुंचाता है?

जवाब- लेड के संपर्क में आने से सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों के मस्तिष्क को होता है। यह उनकी सीखने की क्षमता, फोकस करने की क्षमता पर बुरा असर डालता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (AAP) के मुताबिक, लेड के संपर्क से बच्चों का IQ लेवल 4-5 प्वाइंट्स तक घट सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों का शरीर लेड को वयस्कों की तुलना में चार से पांच गुना अधिक तेजी से अवशोषित करता है।

इस वजह से बच्चों का लेड के संपर्क में आना बेहद खतरनाक हो सकता है। इससे उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लेड हमारे शरीर की हड्डियों, दांतों, किडनी और मस्तिष्क में जमा होता है। यह हमारे नर्वस सिस्टम और किडनी डैमेज कर सकता है।

सवाल- घर में प्रयोग होने वाला पेंट कितना नुकसानदायक हो सकता है?

जवाब- पेंट्स में प्रयोग होने वाला लेड महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान हड्डियों में जमा ब्लड के जरिए बच्चे तक पहुंच सकता है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में बाधक हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, साल 2021 में दुनिया में लेड की वजह से 15 लाख लोगों की मौत हुई। यूनिसेफ द्वारा पब्लिश टॉक्सिक ट्रूथ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया का हर तीसरा बच्चा लेड प्वॉइजनिंग से जूझ रहा है और उसके शरीर में लेड की मात्रा 5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर से अधिक है। इसमें लेड प्वॉइजनिंग के सबसे बड़े कारणों में से एक लेड युक्त पेंट्स भी है। लंबे समय तक लेड के संपर्क में रहने से हड्डियों का कमजोर होना, कैंसर का खतरा और सांस से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं।

सवाल- पेंट्स में लेड की कितनी मात्रा सुरक्षित है?

जवाब- अमेरिकी सरकार की संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, लेड किसी भी मात्रा में मानव शरीर के लिए सुरक्षित नहीं है। भारत सरकार के नियमों के अनुसार पेंट्स में लेड की मात्रा 90 पार्ट्स पर मिलियन (90ppm) से अधिक नहीं होनी चाहिए।

टॉक्सिक लिंक के 2015 के एक सर्वे के मुताबिक, भारत में 46% पेंट्स में लेड की मात्रा 10,000 ppm से अधिक पाई गई, जबकि भारतीय मानक 90ppm है। 2013 में यह आंकड़ा 44% था।

इन दो सालों के दौरान सिर्फ 3 पेंट्स ने अपने लेड स्तर को 90 ppm से कम किया, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिक्री के योग्य माने गए। 44 ब्रांड्स में से 66% ब्रांड्स के पेंट्स में खतरनाक रूप से उच्च लेड का स्तर पाया गया, जो 10,000 ppm से ऊपर था। सभी रंगों के पेंट्स के साथ सफेद रंग पेंट में उच्च लेड स्तर का पाया गया।

सवाल – लेड फ्री पेंट्स का चुनाव कैसे करें?

जवाब- अब जब हमने लेड के खतरों के बारे में जान लिया है, तो यह जानना जरूरी है कि हम कैसे सही पेंट्स का चुनाव कर सकते हैं। बाजार में आजकल लेड-फ्री पेंट्स भी उपलब्ध हैं, जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित होते हैं और इनमें लेड की मात्रा नहीं होती। लेड-फ्री पेंट्स के पैकिंग लेबल पर ‘लेड-फ्री’ या ‘नो लेड कंटेंट’ लिखा होता है। ऐसे में आप इन पेंट्स को खरीद सकते हैं। अगर यह जानकारी स्पष्ट न हो तो आप अपने विक्रेता से पूछ सकते हैं।

भारतीय पेंट इंडस्ट्री में कई सारी कंपनियां हैं, जो लेड-फ्री पेंट्स का निर्माण करती हैं। इन्हें हम बाजार से खरीद सकते हैं। सेहत के लिहाज से यह पेंट्स काफी सुरक्षित हैं। हालांकि, यह पेंट्स लेड वाले पेंट्स की तुलना में थोड़े महंगे हैं। लेड-फ्री पेंट्स का इस्तेमाल करने से हवा की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है, जिससे घर के अंदर के वातावरण में प्रदूषण कम होता है। ये पेंट्स सेहत के लिए सुरक्षित होते हैं।

सवाल- दिवाली पर कैसे करें घर की पेंटिंग?

जवाब- दिवाली हो या कोई और अवसर, घर की पुताई के लिए हमेशा लेड-फ्री पेंट्स का चुनाव करना चाहिए। लेड-फ्री पेंट्स के अनेक फायदे हैं, जो इन्हें पारंपरिक पेंट्स से बेहतर विकल्प बनाते हैं। ये स्वास्थ्य के लिहाज से बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित हैं।

इन पेंट्स में कोई विषैले तत्व नहीं होते, जिससे घर के अंदर हवा प्रदूषित नहीं होती है। घर की पेंटिंग के दौरान हमें कमरे की खिड़कियां खुली रखनी चाहिए। इससे हवा का प्रवाह बना रहता है और पेंट्स जल्दी सूखते हैं। इसके साथ ही पेंटिंग के दौरान पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) किट पहनकर ही पेंटिंग करनी चाहिए और बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे दूर रहना चाहिए।

इस पावन पर्व पर अपने घर को सजाने के साथ-साथ अपनी सेहत और पर्यावरण का भी ध्यान रखें। लेड-फ्री और इको-फ्रेंडली पेंट्स का चुनाव करना एक छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण कदम है, जो आपके परिवार की सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा में सहायक होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *