जानें कैसे तय होता है भारत के चीफ जस्टिस का कार्यकाल !
कोई 6 महीने के लिए तो कोई दो साल, जानें कैसे तय होता है भारत के चीफ जस्टिस का कार्यकाल
जस्टिस संजीव खन्ना ने भारत के नए न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है. उन्हें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि भाारत के चीफ जस्टिस का कार्यकाल कैसे तय होता है.
कैसे तय होता है सीजेआई का कार्यकाल?
भारत में सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस भारतीय राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत, भारत का चीफ जस्टिस सभी सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच से चुना जाता है. हालांकि, यह प्रक्रिया पूरी तरह से न्यायपालिका की स्वायत्तता पर निर्भर होती है और इसमें सरकार का सीधे कोई हस्तक्षेप नहीं होता.
बता दें भारतीय संविधान के तहत चीफ जस्टिस का कार्यकाल आमतौर पर 65 वर्ष की आयु तक होता है, यानी, जब तक चीफ जस्टिस की आयु 65 वर्ष से कम होती है, तब तक वह अपने पद पर बने रह सकते हैं. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की प्रक्रिया ज्ञापन के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को बैठना चाहिए और क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को 65 साल की उम्र में रिटायर होना है, इसलिए मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल की अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि ज्वाइनिंग के समय उनकी उम्र क्या थी.
कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना?
गौरतलब है कि जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया. यहीं से उनकी कानूनी सफर की शुरुआत हुई. जस्टिस संजीव खन्ना पहले दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे. इसके बाद उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में प्रमोट किया गया.