छोटे शहरों में हो रहे बड़े निवेश !
जीसीसी के कारण रिकॉर्ड कॉमर्शियल स्पेस लीज पर ली गई। निवेश भी रिकॉर्ड हुआ। इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के कारण निवेशक महानगरों से बाहर टियर-2 और टियर-3 शहरों की ओर जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में ब्याज दरें घटने से मांग तो रहेगी लेकिन घरों के दाम इस साल जितने नहीं बढ़ेंगे। जीसीसी और बड़े ब्रांड्स के कारण कॉमर्शियल स्पेस की मांग बनी रहेगी।
…..रियल एस्टेट सेक्टर के लिए वर्ष 2024 खास तौर से दो वजहों से याद किया जाएगा- पहला, घरों के दाम बढ़ना और दूसरा, कॉमर्शियल स्पेस की लीजिंग। मांग बढ़ने और बिल्डिंग मैटेरियल महंगे होने के कारण घरों की कीमतें इस वर्ष पांच साल में सबसे अधिक बढ़ीं, जिसका असर बिक्री पर हुआ। इसके विपरीत विशेष रूप से उभरते ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) के कारण रिकॉर्ड स्तर पर कॉमर्शियल स्पेस लीज पर ली गई। रियल एस्टेट में निवेश भी रिकॉर्ड हुआ। खास बात यह है कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी बड़े पैमाने पर निवेश हो रहे हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के कारण निवेशक महानगरों से बाहर इन शहरों की ओर जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में ब्याज दरें घटने से मांग तो रहेगी, लेकिन घरों के दाम इस साल जितने नहीं बढ़ेंगे। जीसीसी और बड़े ब्रांड्स के कारण कॉमर्शियल स्पेस की मांग बनी रहेगी।
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने बताया कि जनवरी से सितंबर तक सात बड़े शहरों में घरों के दाम में औसतन 32% वृद्धि हुई, जो 2019 से लेकर अब तक सबसे अधिक बढ़ोतरी है। इस साल औसत कीमत 8,390 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई है। शायद इसका असर घरों की बिक्री पर पड़ा है। इन नौ महीनों में बड़े शहरों में 3.58 लाख यूनिट घरों की बिक्री हुई, जो पिछले साल से सिर्फ 2% अधिक है। पुरी के अनुसार, दिसंबर तिमाही में बिक्री पिछले साल से कम रहने के आसार हैं।
इस साल दाम सबसे ज्यादा हैदराबाद में 37% बढ़े हैं। उसके बाद बेंगलुरु में 33%, एनसीआर में 32%, मुंबई महानगरीय क्षेत्र में 26% और पुणे में 18% वृद्धि हुई। पुरी के मुताबिक कीमतों में यह तेजी लागत और मांग बढ़ने के कारण हुई है।
आम चुनाव और विधानसभा चुनावों के कारण अप्रूवल में देरी हुई, जिससे 2024 के पहले नौ महीने में 2023 की तुलना में आवासीय इकाइयों की नई लांचिंग भी कम रही। एनारॉक रिसर्च के मुताबिक इस दौरान 3.22 लाख यूनिट घरों की सप्लाई हुई, जो पिछले साल से 2% कम है। चौथी तिमाही में भी पिछले साल के मुकाबले सप्लाई कम रहने के आसार हैं।
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट फर्म सीबीआरई के भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका क्षेत्र के चेयरमैन तथा सीईओ अंशुमन मैगजीन ने बताया कि इस साल सबसे ज्यादा 43% बिक्री मिड-एंड सेगमेंट में और उसके बाद 27% बिक्री हाई-एंड सेगमेंट हुई है। प्रीमियम और लक्जरी घरों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इनका हिस्सा 2019 के 6% से बढ़कर 16% हो गया है। प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट में बढ़ती मांग को देखते हुए डेवलपर्स ने 19% नई लॉन्चिंग इसी सेगमेंट में की है।
अंशुमन के मुताबिक बेहतर जीवन शैली के लिए नोएडा, बेंगलुरु, पुणे और चेन्नई जैसे शहरों में अब लोग बड़े तथा थोड़े ज्यादा लग्जरी घर खरीदना चाह रहे हैं, जहां आसपास ही तमाम सुविधाएं हों। लग्जरी हाउसिंग सेगमेंट में लोग पारंपरिक बंगले की बजाय अपार्टमेंट और पेंटहाउस को पसंद कर रहे हैं। इसे देखते हुए अनुमान है कि लग्जरी प्रोजेक्ट में अतिरिक्त सुविधाओं के बजाय प्रीमियम क्वालिटी की सुविधाओं पर खरीदारों का फोकस रहेगा।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2024 तक पिछले साल की तुलना में होम लोन 18% बढ़ा है। आगे ब्याज दरें कम होने की संभावना है। इसलिए अंशुमन कहते हैं कि अगले साल होम लोन में तेजी बनी रहने के आसार हैं। ग्राहकों के रुझान को देखते हुए निकट भविष्य में घरों की बिक्री और नई लॉन्चिंग दोनों तेज रहने की संभावना है। जहां तक कीमत की बात है तो यह पुरानी इन्वेंटरी, प्रोजेक्ट की क्वालिटी, जगह और आसपास के इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करेगी।
एनारॉक ग्रुप के रिसर्च हेड और रीजनल डायरेक्टर डॉ. प्रशांत ठाकुर कहना है कि प्रमुख डेवलपर्स ने जनवरी से सितंबर तक 12,800 करोड़ रुपये क्यूआईपी के माध्यम से जुटाए हैं। ज्यादातर फंडिंग जमीन खरीदने और आवासीय प्रोजेक्ट लॉन्च करने के लिए हुई है। प्रमुख शहरों में इन्वेंटरी कम है, इसलिए डेवलपर्स पर मांग पूरा करने का दबाव रहेगा।
वर्ष 2025 के लिए अनुज पुरी ने बताया कि अगले साल कीमतों में स्थिरता आने की उम्मीद है। लागत और मांग में वृद्धि के कारण दाम तो बढ़ेंगे, लेकिन 2024 जितने नहीं। चुनावों की वजह से जो प्रोजेक्ट धीमे हुए थे, उनमें तेजी आने से सप्लाई भी बढ़ेगी। रिजर्व बैंक की तरफ से भी ब्याज दरें घटाए जाने की उम्मीद है, जिससे खरीदारों के लिए कर्ज सस्ता होगा।
रियल एस्टेट में निवेशसीबीआरआई के अनुसार, इस वर्ष जनवरी-सितंबर के दौरान रियल एस्टेट में 8.9 अरब डॉलर का इक्विटी निवेश हुआ, जो अब तक का रिकॉर्ड और पिछले साल से 46% अधिक है। ज्यादा डील सितंबर तिमाही में ही हुई। इन तीन महीनों में पिछले साल के 151 की तुलना में इस बार लगभग 200 सौदे हुए। इनमें 56% सौदे मिड-साइज के थे और औसत डील साइज 4.5 करोड़ डॉलर (2023 में 3.6 करोड़) था। दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा 2.3 अरब डॉलर (26%) का निवेश हुआ।
घरेलू निवेशकों ने 6 अरब डॉलर और विदेशी निवेशकों ने लगभग 3 अरब डॉलर का निवेश किया। पूरे 2024 में इक्विटी निवेश 10 से 11 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इक्विटी के अलावा डेट फाइनेंसिंग यानी कर्ज के रूप में ली गई राशि में भी खासी वृद्धि हुई। पहले नौ महीने में 4.7 अरब डॉलर की डेट फाइनेंसिंग हुई जो पिछले साल की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा है।
गौर करने वाली बात यह है कि लुधियाना, मोहाली, तूतीकोरिन, हुबली, कोयंबटूर और इंदौर जैसे टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी बड़े पैमाने पर निवेश हो रहे हैं। इनमें इस वर्ष अब तक 60 करोड़ डॉलर का निवेश हो चुका है। आने वाले समय में ज्यादा निवेश तो टियर-1 शहरों में ही होगा, लेकिन टियर-2 शहर भी निवेश के अच्छे अवसर बन रहे हैं।
ऑफिस स्पेस की मांगअंशुमन के मुताबिक इस वर्ष जनवरी से सितंबर तक रिकॉर्ड 5.33 करोड़ वर्ग फुट स्पेस लीज पर ली गई। इस दौरान 3.62 करोड़ वर्ग फुट ऑफिस स्पेस की सप्लाई भी हुई। सबसे अधिक मांग ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर (जीसीसी) की तरफ से रही, जिन्होंने 38% जगह लीज पर ली। खास यह है कि जीसीसी के 50% से अधिक जगह एक लाख वर्ग फुट से अधिक के थे। इससे पता चलता है कि वे लंबे समय के लिए और बड़े पैमाने पर यहां आ रही हैं।
इनोवेशन और कोलैबोरेशन को प्राथमिकता मिलने से उच्च क्वालिटी के ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ रही है। इस वर्ष 66% नए ऑफिस की सप्लाई ग्रीन-सर्टिफाइड थी और दो-तिहाई इंटीग्रेटेड टेक्नोलॉजी पार्क में हैं। नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को देखते हुए आने वाले दिनों में आधुनिक और ग्रीन-सर्टिफाइड जगहों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।
घरेलू कंपनियों की तरफ से भी अच्छी मांग रही और 42% जगह उन्होंने ही ली। सेक्टर के हिसाब से देखें तो सबसे अधिक 24% ऑफिस स्पेस टेक्नोलॉजी कंपनियों ने लीज पर ली। अन्य सेक्टर में बैंकिंग, फाइनेंस और बीमा, एंटरटेनमेंट और मीडिया तथा स्पेस प्रोवाइडर कंपनियां शामिल हैं। अंशुमन के अनुसार, ट्रेंड को देखते हुए पूरे साल में ऑफिस स्पेस लीजिंग 7 करोड़ वर्ग फुट को पार कर जाने की उम्मीद है। इसमें 35 से 40 प्रतिशत स्पेस जीसीसी कंपनियां लेंगी।
नई कंपनियों की वेयरहाउस की मांगइंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में भी जगह की मांग है। वर्ष 2024 के पहले नौ महीने में इस सेगमेंट में 2.75 करोड़ वर्ग फुट जगह लीज पर ली गई और 2.67 करोड़ वर्ग फुट की नई सप्लाई हुई है। सबसे ज्यादा (61%) डिमांड दिल्ली-एनसीआर, कोलकाता और बेंगलुरु में रही। वेयरहाउस में 30% डिमांड इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल स्टोर्स की रही। इसमें भी 46% सौदे 50,000 वर्ग फुट से कम के हुए। यह बताता है कि नई कंपनियों की तरफ से छोटे और फ्लेक्सिबल वेयरहाउस की मांग बढ़ रही है।
चंडीगढ़, जयपुर और होसुर समेत आठ टियर-2 शहरों में इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स के लिए जगह की मांग अधिक रही। बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण निवेशक महानगरों से बाहर इन शहरों की ओर जा रहे हैं। यहां लोगों की डिस्पोजेबल आय भी बढ़ रही है।
आने वाले समय में दिल्ली-एनसीआर और बेंगलुरु में वेयरहाउस लीजिंग बढ़ने की संभावना है। यहां नई जगहों के लिए इन्क्वायरी बढ़ रही है। चंडीगढ़, होसुर, जयपुर, लखनऊ और विशाखापत्तनम प्रमुख बाजार के रूप में उभर रहे हैं। जगह और इनपुट मैटेरियल के दाम बढ़ने के कारण वेयरहाउस का किराया भी बढ़ेगा। हालांकि कम डिमांड वाले छोटे शहरों में डेवलपर कम रेट पर डील कर सकते हैं।
प्रीमियम रिटेल स्पेस की बढ़ रही डिमांडरिटेल सेगमेंट में स्पेस लीजिंग सीमित रही है। साल के पहले 9 महीने में इस सेगमेंट में 45 लाख वर्ग फुट स्पेस की डिमांड रही। फैशन और अपैरल सेगमेंट में सबसे अधिक 38% जगह लीज पर ली गई। उसके बाद फूड एंड बेवरेज सेगमेंट (11%) है। टियर-1 और टियर-2 शहरों में रिटेल रेंटल पिछले साल की तुलना में 5-10% बढ़ा है।
सीबीआरई के एक सर्वे में पता चला कि टियर-1 शहरों में 90% उपभोक्ता हर महीने मनोरंजन पर 4000 रुपये खर्च करने के लिए तैयार हैं। मनोरंजन और डिनर आदि के लिए 70% लोग मॉल जाना पसंद करते हैं। संभवतः इस वजह से प्रीमियम रिटेल स्पेस की मांग भी काफी बढ़ रही है। इस वर्ष अभी तक 6% रिटेल लीजिंग लग्जरी ब्रांड ने की है। अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के लिए भारत बड़े बाजार के रूप में उभर रहा है। हाल ही तुर्की के लग्जरी ज्वैलरी ब्रांड जेन डायमंड और स्पेन के फूड एंड बेवरेज ब्रांड ब्रंच एंड केक ने यहां प्रवेश किया है।