7 साल में करोड़पति बने कॉन्स्टेबल … मंत्री-अफसरों का चहेता, 23 चेकपोस्ट की नकदी संभालता
लोकायुक्त और इनकम टैक्स ने पूर्व ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के ठिकानों से 3 करोड़ की नकदी और 2 करोड़ कीमत की 2 क्विंटल चांदी की सिल्ली, 10 किलो चांदी के जेवर और 50 लाख का सोना बरामद किया है। सौरभ इस समय दुबई में है।
दैनिक भास्कर ने जब एक मामूली से परिवहन कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के पूरे करियर की पड़ताल की तो पता चला कि नौकरी लगने से लेकर उसके इस्तीफा होने तक की पूरी स्टोरी में सरकार की बड़ी कृपा रही है। कहने को वह एक कॉन्स्टेबल था, लेकिन मंत्री और अफसरों का सबसे चहेता था।
उसके पास एमपी के आधे परिवहन चेक पोस्ट की जिम्मेदारी थी। इन चेकपोस्ट में आने वाले पूरी नकदी को वो खुद डील करता था। चेकपोस्ट पर तैनात इंस्पेक्टर और दूसरे अफसरों का ‘शेयर’ वो खुद तय करता था। उसके काम में कोई अफसर और इंस्पेक्टर दखल नहीं देता था।
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एमपी में भ्रष्टाचार के चेकपोस्ट का कॉन्ट्रैक्ट सौरभ के पास सीनियर अफसरों का कहना है कि सौरभ ने सरकारी चेकपोस्ट का निजीकरण कर दिया था। चेकपोस्ट को उसने ठेके पर दे दिया था। हर चेकपोस्ट से हर दिन की निर्धारित रकम तय थी। चेकपोस्ट से वह खुद ये पैसे ले जाता था। 1 जुलाई 2024 से पहले एमपी में कुल 47 परिवहन चेकपोस्ट थे, इसमें से 23 को सौरभ संभालता था।
मार्च 2020 में जब मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार का तख्तापलट हुआ और शिवराज सरकार की वापसी हुई, तो मंत्रालय में भी फेरबदल हुए। एक सीनियर अधिकारी कहते हैं कि जुलाई 2020 में चेकपोस्ट पर नई व्यवस्था बनने लगी। इसमें अधिकारियों को भरोसे में नहीं लिया गया। कॉन्स्टेबल सौरभ का दखल सीधे हाई लेवल पर हो गया।
वह सरकार के एजेंट के तौर पर अफसरों को दरकिनार कर मनमाफिक व्यवस्था बनाने लगा। उसने चेकपोस्ट को कॉन्ट्रैक्ट पर दे दिया। इसके बाद चेकपोस्ट के कर्मचारी अपना टारगेट पूरा करने के लिए मनमाफिक वसूली करने लगे। इसके बाद ही चेकपोस्ट पर अवैध वसूली की शिकायतें बढ़ीं। 2022 आते-आते उसकी शिकायतें जांच एजेंसियों तक पहुंचने लगीं।

चेकपोस्ट की रकम कहां जाएगी, यह भी सौरभ तय करता था परिवहन चेक पोस्ट से पैसा लेकर सौरभ ही उसका डिस्ट्रीब्यूशन करता था। परिवहन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि ये रकम चेकपोस्ट से लेकर उसे व्यवस्थित ठिकानों तक खुद सौरभ पहुंचाता था। यही वजह है कि परिवहन विभाग के अधिकारियों का उस पर नियंत्रण नहीं था।
सूत्रों का यह भी कहना है कि 2016 से 2023 तक सरकार और मंत्री जरूर बदलते रहे, लेकिन हर सरकार और हर परिवहन मंत्री के बंगले में सौरभ का बेरोकटोक आना जाना था।
दैनिक भास्कर ने जब इस संबंध में शिवराज सरकार में परिवहन मंत्री रहे और वर्तमान खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से पूछा तो जवाब मिला कि वे सौरभ शर्मा को नहीं जानते। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि राजनीतिक जीवन में कई लोग आते–जाते हैं, मुलाकात करते हैं।
हर मुलाकात करने वाले से आपके नजदीकी संबंध नहीं होते। परिवहन विभाग में भी सैकड़ों कॉन्स्टेबल होते हैं, वो मिलते रहते हैं। गोविंद सिंह से पहले परिवहन मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह से जब संपर्क किया तो उनके प्रतिनिधि ने जवाब दिया कि वे इस संबंध में कुछ नहीं कहेंगे।

सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में, नौकरी मिली परिवहन विभाग में
परिवहन विभाग में पदस्थ सीनियर अफसरों ने बताया कि सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ थे। उनकी मृत्यु के बाद जब अनुकंपा नियुक्ति की फाइल चली तो स्वास्थ्य विभाग ने पद खाली न होने की स्पेशल नोटशीट लिखी, ताकि उसे उसके मनचाहे विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिल सके।
इसके बाद उसे परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति दी गई। आमतौर पर ऐसा नहीं होता। स्वास्थ्य विभाग में वैसे भी पद खाली रहते हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 2016 की तत्कालीन सरकार में भी सौरभ के हाई लेवल पर संबंध थे। यही वजह थी कि उसकी नियुक्ति की प्रक्रिया बहुत तेजी से पूरी हुई।
जांच शुरू हुई तो बचने के लिए इस्तीफा दे दिया दूसरी अहम बात ये कि जब उसके खिलाफ जांच शुरू हुई तो 2023 में उसका इस्तीफा मंजूर हो गया। जबकि नियम ये है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ जांच चल रही है, उसका इस्तीफा मंजूर नहीं हो सकता। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस्तीफे के बाद भी वो चार इमली में मंत्रियों के बंगले पर जाता रहा।

21 दिसंबर को दुबई से लौटेगा सौरभ सौरभ की निजी जिंदगी को जानने वाले कहते हैं कि सौरभ मूल रूप से ग्वालियर का रहने वाला है। उसकी पत्नी दिव्या का मायका जबलपुर का है। 4 साल पहले ही सौरभ परिवार सहित भोपाल शिफ्ट हो गया था। उसकी पत्नी का जन्मदिन दुबई या दिल्ली की एक फाइव स्टार होटल में मनाया जाता था।
सौरभ की पत्नी दिव्या भी पावर कॉरिडोर में पहचानी जाती हैं। दिव्या भोपाल के कई नामचीन क्लब की मेंबर भी हैं। सौरभ के भोपाल स्थित मकान पर जब लोकायुक्त पुलिस ने दबिश दी, उस वक्त भी वह दुबई में था। शेड्यूल के मुताबिक उसे 21 दिसंबर को दुबई से लौटना है।

52 किलो सोना और 11 करोड़ नकदी से भी जुड़ रहा कनेक्शन
सौरभ के ठिकानों पर लोकायुक्त की कार्रवाई चल रही थी, इसी बीच 19 और 20 दिसंबर की रात इनकम टैक्स की टीम ने मेंडोरी के जंगल में एक कार से 52 किलो सोने की सिल्लियां और 11 करोड़ रुपए नगद बरामद किए हैं। कार चेतन गौर की बताई जा रही है। चेतन और सौरभ दोस्त हैं। चेतन भी ग्वालियर का रहने वाला है।
हालांकि इनकम टैक्स अधिकारियों का कहना है कि अभी वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि सोना और नगदी किसका है? वजह ये है कि इनकम टैक्स भोपाल में बिल्डर्स के ठिकानों पर भी जांच कर रही है। इधर, लोकायुक्त डीजी जयदीप प्रसाद का कहना है कि 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नगदी जब्त करने की कार्रवाई इनकम टैक्स ने की है। वे ही बता पाएंगे कि ये किसका है?
