मध्य प्रदेश में डकैत कानून का दुरुपयोग ?

मध्य प्रदेश में डकैत कानून का दुरुपयोग ….
डकैत 15 साल पहले खत्म, अब चंबल के बीहड़ बने पर्यटन स्थल; पर पुलिस ने 1 साल में रिकॉर्ड में खड़े किए 106 डकैत

मप्र में डकैतों का खौफ खत्म हुए 15 साल से अधिक हो चुके हैं। एक ओर, बीहड़ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां फिल्में बन रही हैं। दूसरी ओर, रिकॉर्ड में पुलिस ने 1 साल में करीब 106 डकैत खड़े कर दिए हैं। इसकी वजह 1981 में लागू हुआ ‘एमपी डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम’ (एमपीडीपीके) है। इसे डकैतों पर नियंत्रण के लिए बनाया गया था।

यह अधिनियम ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड, मुरैना, रीवा जैसे जिलों में अब भी प्रभावी है। लेकिन इस अधिनियम का उपयोग अब मोबाइल झपटने, अपहरण और बलवा जैसी घटनाओं में किया जा रहा है।

असर… बिना आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग भी डकैतों की श्रेणी में आ रहे हैं। यह अधिनियम ग्वालियर समेत 11 दस्यु प्रभावित जिलों में लागू है। अन्य जिलों में बीएनएस-2023 (आईपीसी) के तहत केस दर्ज होते हैं। डकैती अधिनियम के तहत विशेष कोर्ट में जमानत पर सुनवाई होती है। सरकारी वकील की आपत्ति पर जमानत खारिज हो सकती है। डकैती अधिनियम में पुलिस को चालान पेश करने के लिए 120 दिन मिलते हैं। आईपीसी के तहत यह समय सीमा 90 दिन है।

मप्र हाई कोर्ट के वकील समीर श्रीवास्तव ने बताया कि जब डकैत अस्तित्व में थे तब वे मप्र, उप्र और राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में घटनाओं को अंजाम देते थे। घटनाओं को अंजाम देने के बाद वे एक से दूसरे राज्य में छुप जाते थे। डकैतों को अग्रिम जमानत नहीं मिले, इसके मद्देनजर यह कानून बनाया गया था। यह अधिनियम कुछ जिलों में लागू हुआ। जिस उद्देश्य के लिए यह बना, वो समस्या अब समाप्त हो चुकी है। इस मामले में विधि आयोग को विचार करना चाहिए।

इन्होंने वीसी की जान बचाने की कोशिश की थी

11 दिसंबर 2023 को दिल्ली से ग्वालियर आ रहे पीके यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. रणजीत यादव को मुरैना में अटैक आया। एंबुलेंस न मिलने पर लॉ स्टूडेंट्स हिमांशु श्रोतिय व सुकृत शर्मा ने हाई कोर्ट जज की कार लेकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उनके खिलाफ ग्वालियर के थाना पड़ाव में लूट और डकैती का केस दर्ज हुआ।

जमीन विवाद में लड़ाई हुई तो लगा दी डकैती की धारा

डबरा निवासी वकील चंद्रभान मीणा का ग्राम बेलगढ़ा में जमीन को लेकर केदार रावत से विवाद था। चंद्रभान के अनुसार, कोर्ट परिसर में केदार व उसके भाइयों ने मारपीट कर उनकी सोने की चेन लूटी। डबरा थाने में केदार पर लूट व डकैती का केस।

ट्रैक्टर मालिकों ने हमला किया तो डकैती का केस

ग्वालियर के थाना सिरौल में राजस्व टीम ने अवैध रेत खनन के 30-35 ट्रैक्टर पकड़े। 8 ट्रैक्टर जब्त कर थाने ले जाते समय ट्रैक्टर मालिकों ने लाठी-डंडों से हमला कर ट्रैक्टर छुड़ा लिए। लूट और डकैती का केस दर्ज हुआ।

नए कानून की धाराओं के साथ अब भी उपयोग में

यह अधिनियम 7 अक्टूबर 1981 को उन क्षेत्रों में लागू किया गया था, जहां 70-80 के दशक में डकैती, लूट व फिरौती के लिए अपहरण होते थे। अभी ग्वालियर जोन में यह ग्वालियर व शिवपुरी, चंबल जोन में भिंड, मुरैना, श्योपुर, दतिया व रीवा जोन में रीवा और सतना में यह लागू है। अधिनियम बीएनएस-2023 (IPC-1860) की धाराओं के साथ उपयोग हो रहा है।

बाइक चोरी, चेन लुटेरों पर भी इसी धारा में केस दर्ज

मप्र में डकैत समस्या समाप्त होने के बाद भी चेन लुटेरों, बाइक चोरों आदि पर इस अधिनियम में केस इसलिए दर्ज किए जाते हैं, ताकि ट्रायल कोर्ट से आरोपियों को जमानत न मिल सके। इस अधिनियम को खत्म करने के लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना चाहिए। विधानसभा के माध्यम से कानून को खत्म कर देना चाहिए। –जस्टिस (रिटा.) दीपक अग्रवाल, मप्र हाईकोर्ट

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