बार-बार आचार संहिता से बाधित होते हैं विकास कार्य, चुनाव आयोग की सोच अलग !

एक राष्ट्र एक चुनाव लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक में कहा गया है कि चुनावी क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू होने से सारे विकास कार्य रुक जाते हैं। यह भी कहा गया है कि बार-बार आचार संहिता लागू होने से सेवाएं प्रभावित होती हैं और मानव संसाधन को उनके मुख्य कार्यों से हटाकर लंबे समय तक चुनावी कार्यों में लगाया जाता है।

पढ़ें एक देश एक चुनाव को लेकर संविधान संशोधन विधेयक में क्या लिखा गया।(फोटो सोर्स: जागरण)
  1. आचार संहिता को बाधा के रूप में देखना सही नहीं: चुनाव आयोग
  2. आचार संहिता लागू होने से सारे विकास कार्य रुक जाते हैं: विधेयक
 नई दिल्ली। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर जोर देने के लिए सरकार ने बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य और सामान्य जनजीवन बाधित होने को कारण बताया है। हालांकि, चुनाव आयोग ने इसे चुनावों में समान अवसर प्रदान करने का एक ‘महत्वपूर्ण साधन’ बताया है।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू करने के लिए लाए गए विधेयकों के अनुसार, चुनावों के खर्चीले एवं काफी समय लेने समेत विभिन्न कारणों से एक साथ चुनाव कराना आवश्यक है।
विधेयक में क्या-क्या कहा गया? 
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक में कहा गया है कि चुनावी क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू होने से सारे विकास कार्य रुक जाते हैं और सामान्य जनजीवन भी प्रभावित होता है।
क्या है चुनाव आयोग की राय? 
यह भी कहा गया है कि बार-बार आचार संहिता लागू होने से सेवाएं प्रभावित होती हैं और मानव संसाधन को उनके मुख्य कार्यों से हटाकर लंबे समय तक चुनावी कार्यों में लगाया जाता है। लेकिन आयोग का मानना है कि आचार संहिता लागू होने को बाधा के रूप में देखना सही नहीं होगा क्योंकि यह प्रचार में लगे सभी लोगों को समान अवसर प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
चुनाव आयोग का एक साथ चुनावों के विभिन्न पहलुओं पर दृष्टिकोण विधि आयोग और केंद्रीय कानून मंत्रालय के विधि मामलों के विभाग के साथ साझा किया गया है और इसे एक साथ चुनावों पर विधेयकों की जांच कर रही संसद की संयुक्त समिति के सदस्यों को भी प्रदान किया गया है।

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