मुस्लिम देशों से लेकर ट्रंप-मोदी तक, बाइडेन के 5 बड़े फैसले, 5 बड़ी गलतियां ?
मुस्लिम देशों से लेकर ट्रंप-मोदी तक, बाइडेन के 5 बड़े फैसले, 5 बड़ी गलतियां
US President Farewell: अपना कार्यकाल पूरा करने पर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने अमेरिकियों को संबोधित किया है. अपने संबोधन में उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की. इसमें इजराइल-हमास युद्ध विराम से लेकर अन्य कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. इसके साथ ही बाइडन के स्थान पर ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाएंगे. आइए जान लेते हैं बाइडेन के कार्यकाल के पांच बड़े फैसले और पांच बड़ी गलतियां.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले अमेरिकियों को संबोधित किया है. अपने संबोधन में उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की. इसमें इजराइल-हमास युद्ध विराम से लेकर अन्य कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. साथ ही उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधा और चेतावनी दी कि अमेरिका के लोग गलत सूचना के शिकार हो रहे हैं. देश में प्रेस की स्वतंत्रता कम हो रही है. अमेरिकियों को चेताया कि कुलीन तंत्र आकार ले रहा है. इसके साथ ही बाइडन के स्थान पर ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाएंगे. आइए जान लेते हैं बाइडेन के कार्यकाल के पांच बड़े फैसले और पांच बड़ी गलतियां.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने नवंबर 2020 में हुए चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को हराया था. इसके बाद 20 जनवरी 2021 को सत्ता संभाली थी. इसके साथ ही उन्होंने ट्रंप के शासनकाल में लिए गए कई अहम फैसलों को बदल दिया था.
बाइडेन के 5 बड़े फैसले
पेरिस समझौते में फिर से शामिल होने के फैसले के 107 दिनों बाद ही 19 फरवरी 2021 को अमेरिका फिर से औपचारिक रूप से पेरिस समझौते में शामिल हो गया. दरअसल, साल 2015 में दुनिया भर के नेताओं ने वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने देने का संकल्प लिया था. डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के साथ ही अमेरिका को पेरिस समझौते से अलग कर लिया था.
2- मुस्लिम देशों पर लगा इमिग्रेशन बैन हटायाडोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने पर मुस्लिम देशों पर इमिग्रेशन बैन लगा दिया था. इससे कई देशों के लोगों के लिए अमेरिका ने वीजा जारी करना बंद कर दिया था. जो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनने पर ट्रंप के जिन फैसलों को बदला था, उनमें मुस्लिम देशों पर लगे इमिग्रेशन बैन को हटाना भी था. उन्होंने विदेश मंत्रालय को ट्रंप की नीति से प्रभावित देशों के लिए फिर से वीजा प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था और इन देशों से अमेरिका आवागमन शुरू हुआ था.
3- मेक्सिको सीमा पर आपातकाल की घोषणा वापस लीजो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनने पर मेक्सिको से लगी अमेरिका की सीमा पर आपातकाल की घोषणा को वापस ले लिया था. इसके अलावा इस सीमा पर दीवार बनाने के डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर रोक लगा दी थी. इसके लिए होने वाली फंडिंग को भी रोक दिया था. हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने फिर से मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने की अपनी मंशा जाहिर की थी.

जो बाइडेन.
4- नस्लवाद के खिलाफ कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षरबाइडेन ने अमेरिका में नस्लभेद के खिलाफ भी कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया था. इसके तहत संघीय एजेंसियों को नस्लभेद खत्म करने के लिए कहा गया था. साथ ही ऐसी नीतियों की समीक्षा करने के लिए कहा था, जो नस्लवाद को मजबूत करती हैं. उन्होंने शपथ ग्रहण के बाद अपने भाषण में भी कहा था कि अमेरिका में हर किसी की आवाज सुनी जाएगी. विभाजनकारी, नस्लवाद और धार्मिक भेदभाव को खारिज कर अमेरिका अपना एकजुट चेहरा पेश करेगा.
5- टीपीएस कार्यक्रम का विस्तार कियाजो बाइडेन ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसला लिया. उन्होंने वेनेजुएला, एल सल्वाडोर, यूक्रेन व सूडान के करीब नौ लाख प्रवासियों के लिए अस्थायी सुरक्षा स्थिति (टीपीएस) कार्यक्रम का विस्तार कर दिया. उनके इस फैसले से करीब मिलियन अप्रवासी नागरिक डिपोर्टेशन से बचा गए. इससे नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इमिग्रेशन पर नकेल कसने के लिए बनाई गई योजना में देरी हो सकती है, क्योंकि बाइडेन के फैसले से इन एक मिलियन अप्रवासियों को 18 महीने के लिए अमेरिका में काम करने का परमिट मिल गया.
वो गलतियां जो चर्चा में रहीं

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन.
2- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कम आंकाजो बाइडेन ने रूस और वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कमतर आंकने की गलती की. पुतिन ने पश्चिम की कमजोरी भांप ली और मौके का फायदा उठाकर यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया. बाइडेन ने युद्ध में यूक्रेन की मदद तो की पर जीतने के लिए कोई खास उपाय करते नहीं दिखे, जबकि इस युद्ध में जीत महत्वपूर्ण हो सकती थी. कई बार इसमें यूक्रेन जीत के लिए तैयार दिखा पर उसे पश्चिमी देशों से समुचित धन और हथियार नहीं मिल पाए. खासकर बाइडेन की तरफ से उसको ये सारी चीजें नहीं दी गईं. इससे बाइडेन मौका चूक गए और पुतिन मजबूत होते गए. यूक्रेन मुद्दे पर कोई निर्णायक नेतृत्व करने के बजाय अमेरिका सहयोगियों को एकजुट करने का प्रयास करते ही दिखता रहा.
3-मध्य पूर्व में स्थिति बिगड़ती गईहमास द्वारा इजराइल पर हमले के बाद जवाबी कार्रवाई के लिए उसको जवाबदेह ठहराने में बाइडेन प्रशासन विफल रहा. अमेरिका इस मुद्दे पर नेतृत्वहीन लग रहा था. बाइडेन प्रशासन पर इसको लेकर नरसंहार का आरोप लगा. फिर अमेरिका में चुनाव से ठीक पहले लेबनान पर हमले के बाद अमेरिकी प्रशासन ने बयान दियागया कि इजराइल ने उसको इस बारे में बताया ही नहीं था. इससे बाइडेन प्रशासन पर लोगों का विश्वास घटता रहा. युद्ध को खत्म कराने की उनकी कोशिश भी कामयाब नहीं हो पा रही थी और यह युद्ध ईरान तक पहुंच गया. अब जाकर भले ही इजराइल और हमास में युद्धविराम की घोषणा हुई है पर इजराइल ने हमले रोके नहीं हैं.

पीएम मोदी और जो बाइडेन. (फाइल फोटो)
4- भारत को भी बाइडेन ने नाराज कियाबांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट को लेकर बाइडेन के रुख से अंदरखाने भारत-अमेरिका के बीच मतभेद हुए. अमेरिका भारत पर रूस से संबंधों को लेकर पूरी तरह से शिकंजा कसना चाहता था. यही नहीं, बाइडेन प्रशासन ने कनाडा में निज्जर मर्डर केस और पन्नू की हत्या में भारतीय अफसरों का हाथ होने की बात कहकर भारत पर दबाव बनाने की भी कोशिश की.
5- देर से कमान सौंपने की गलतीजो बाइडेन ने सबसे बड़ी गलती यह की कि डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से चुनाव न लड़ने की घोषणा काफी देर से की. राष्ट्रपति चुनाव अभियान शुरू होने के बाद कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन दिया. वह जब इस लड़ाई में कूदीं तो काफी देर हो चुकी थी. शुरुआती दौर में ही जो बाइडन से डोनाल्ड ट्रंप काफी आगे निकल चुके थे. इसका खामियाजा डेमोक्रेटिक पार्टी को हार के रूप में चुकाना पड़ा.