दिल्ली के दंगल में किसे ज्यादा तवज्जो देते हैं वोटर्स?
प्रत्याशी या सीएम फेस… दिल्ली के दंगल में किसे ज्यादा तवज्जो देते हैं वोटर्स?
दिल्ली के सियासी दंगल में उम्मीदवार, पार्टी या सीएम फेस किसे देखकर लोग वोट करते हैं. अगर पुराने आंकड़ों की मानें तो दिल्ली में पार्टी और सीएम फेस का हर चुनाव में दबदबा रहता है. सीएसडीएस के मुताबिक 2020 में 26.5 प्रतिशत लोगों ने पार्टी के नाम पर वोट देने की बात कही. 21.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे स्थानीय उम्मीदवार को देखकर वोट करते हैं जबकि 23.5 प्रतिशत लोग सीएम फेस देखकर वोट देते हैं.
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दिल्ली में जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है. वैसे-वैसे दलों का प्रचार तेज होता जा रहा है. मतदाताओं को रिझाने के लिए जहां पार्टियां मेनिफेस्टों में बड़े-बड़े वादे कर रही हैं, वहीं वोटरों को साधने के लिए डोर-टू-डोर कैंपेन पर फोकस कर रही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के वोटर्स कब और कैसे तय करते हैं कि मतदान किसे देना है?
चुनावी संग्राम के बीच इन आंकड़ों से ऐसे ही कुछ सवाल और उसके जवाब को विस्तार से पढ़िए…
1. वोट देने को लेकर कब करते हैं फैसलासीएसडीएस चुनाव को लेकर सर्वे करती है. 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले सीएसडीएस ने मतदाताओं से यही सवाल पूछा था. सर्वे में शामिल 55.3 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वोटिंग के दिन वो तय करते हैं कि किसे मतदान करना है?
24 प्रतिशत लोगों का कहना था कि एक या दो दिन पहले वे फाइनल मन बना लेते हैं कि किसे वोट देना है. 10 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे कैंपेन के दौरान ही वोट देने का मन बना लेते हैं.
2. किसने कहने पर वोट करते हैं मतदाता?सीएसडीएस के सवाल-जवाब में 68 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे अपने मन से मतदान करते हैं. किसी के कहने पर वे वोट नहीं करते हैं. यानी वोट करने के लिए किसी का सलाह-मशविरा नहीं करते हैं.
11.3 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे वोट देने के लिए आस-पास या रिश्तेदार से सलाह जरूर लेते हैं. वहीं 20 प्रतिशत लोगों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया.
3. पार्टी या उम्मीदवार किसे देखकर करते हैं वोट?एक सवाल यह भी है कि दिल्ली वाले वोट देने के लिए सबसे ज्यादा किस फैक्टर को तरजीह देते हैं. सीएसडीएस के मुताबिक 2020 में 26.5 प्रतिशत लोगों ने पार्टी के नाम पर वोट देने की बात कही. 21.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे स्थानीय उम्मीदवार को देखकर वोट करते हैं.
23.8 प्रतिशत लोगों का कहना था कि दिल्ली में वे मुख्यमंत्री का चेहरा देखकर विधानसभा चुनाव में वोट डालते हैं. 2015 में भी दिल्ली के लोगों ने स्थानीय उम्मीदवार से ज्यादा पार्टी और मुख्यमंत्री के चेहरे को तरजीह दिया. 2015 में 28.5 प्रतिशत मतदाताओं ने पार्टी, 17.8 प्रतिशत मतदाताओं ने कैंडिडेट और 32 प्रतिशत मतदाताओं ने सीएम कैंडिडेट देखकर वोट किया.
4. चुनाव में 5 मुद्दे ज्यादा हावी रहते हैंदिल्ली के विधानसभा चुनाव में विकास, रोजगार, महिला सुरक्षा, साफ पानी और महंगाई का मुद्दा सबसे ज्यादा हावी रहता है. सीएसडीएस के मुताबिक 2020 में 3.5 प्रतिशत लोगों ने महंगाई को ध्यान में रखकर वोट किया था. 2015 में यह आंकड़ा 17 प्रतिशत और 2013 में 39 प्रतिशत था.
इसी तरह 2020 में 10 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे रोजगार के नाम पर वोट कर रहे हैं. 2015 में ऐसे मतदाताओं की संख्या 4.1 और 2013 में 2.5 प्रतिशत था. हर चुनाव में करीब 3 प्रतिशत लोगों के लिए महिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा रहता है.
साफ पानी भी इतने ही लोगों को वोट देने के लिए प्रभावित करता है.
5.पहली बार 6 राष्ट्रीय पार्टियां मैदान मेंदिल्ली के दंगल में पहली बार 6 राष्ट्रीय पार्टियां मैदान में है. इस बार आम आदमी पार्टी, बीजेपी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम और बीएसपी चुनाव लड़ रही है. इन सभी 6 पार्टियों के पास राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है. पिछले चुनाव में राष्ट्रीय पार्टी की संख्या 5 थी.
70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों की जरूरत होती है.