स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के निशाने पर कब-कब रहा सिस्टम?
महाकुंभ भगदड़ पर CM योगी का इस्तीफा मांगने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के निशाने पर कब-कब रहा सिस्टम?
सितंबर 2022 में शंकराचार्य नियुक्त हुए अविमुक्तेश्वरानंद करीब 6 मौकों पर सरकार और सिस्टम को निशाने पर ले चुके हैं. स्वामी के निशाने पर अब योगी आदित्यनाथ हैं. महाकुंभ भगदड़ के लिए उन्होंने योगी का इस्तीफा मांगा है.

महाकुंभ हादसे के बाद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जगतगुरु अविमुक्तेश्वरानंद के निशाने पर यूपी की सरकार है. अविमुक्तेश्वरानंद ने भगदड़ के लिए खराब व्यवस्था और सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री से नैतिक आधार पर इस्तीफा भी मांगा है. टीवी-9 भारतवर्ष से बात करते हुए अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि पहली बार अव्यवस्था की वजह से मौनी अमावस्या के दिन साधु-संत ब्रह्म मुहूर्त में स्नान नहीं कर पाए. मौत के आंकड़ों को लेकर भी सरकार ने झूठ बोला.
यह पहली बार नहीं है, जब अविमुक्तेश्वरानंद के निशाने पर सरकार या सिस्टम है. सितंबर 2022 में शंकराचार्य की गद्दी संभालने वाले अविमुक्तेश्वरानंद पहले भी कई मुद्दों पर सरकार और सिस्टम को घेर चुके हैं.
अविमुक्तेश्वरानंद कब-कब हमलावर रहे?1. अविमुक्तेश्वरानंद 2022 में पहली बार उत्तर प्रदेश को लेकर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि संत को सत्ता नहीं संभालनी चाहिए. यह गलत संकेत है. इससे संतों को लेकर लोगों के मन में गलत धारणा बनती है. उनके इस बयान को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधा जोड़ा गया. हालांकि, योगी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की.
2. जनवरी 2024 में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर सरकार के खिलाफ अविमुक्तेश्वरानंद ने मोर्चा खोल दिया. उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर 2 आपत्ति जताई. उनका कहना था कि मंदिर पूर्ण नहीं है और कोई राजनेता इसका प्राण-प्रतिष्ठा कैसे कर सकता है? अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थन में कई और शंकराचार्य उतरे.
3. जुलाई 2024 में अविमुक्तेश्वरानंद ने नेम प्लेट को लेकर टिप्पणी की. दरअसल, सावन से पहले यूपी सरकार ने दुकानदारों को अपने दुकान के आगे नेम प्लेट लगाने का आदेश जारी किया. अविमुक्तेश्वरानंद का कहना था कि इससे हिंदू धर्म के भीतर ही विद्वेष फैलेगा. इससे छुआछूत को बढ़ावा मिलेगा. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्टे लगा दिया.
4. सितंबर 2024 में गौ हत्या को लेकर सरकार की मजबूत घेराबंदी की. उन्होंने कहा कि सरकार गाय के नाम पर राजनीति करती है लेकिन गौ हत्या नहीं रोक पा रही है. उन्होंने गौ हत्या पर तुरंत रोक लगाने की भी मांग की.
5. दिसंबर 2024 में आरक्षण को लेकर भी अविमुक्तेश्वरानंद ने टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि 72 साल से आरक्षण सिस्टम लागू है, लेकिन हल नहीं निकल पाया है. अविमुक्तेश्वरानंद का कहना था कि या तो अंबेडकर फेल रहे हैं या अंबेडकरवादी. क्योंकि अंबेडकर सिर्फ 10 साल के लिए आरक्षण चाहते थे.
6. जनवरी 2025 में गंगा की सफाई को लेकर भी उन्होंने बयान दिया. अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि गंगा सफाई का ढोल पीटा गया है लेकिन गंगा का पानी अभी भी लोग पी नहीं सकते. आचमन करना भी आसान नहीं है.
शंकराचार्य की गद्दी पर भी विवाद2022 में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष मठ का शंकराचार्य बनाया गया. उनकी यह नियुक्ति स्वरूपानंद सरस्वती के वसीयत के आधार पर हुई थी, लेकिन अखाड़ों ने इसका विरोध कर दिया.
अखाड़ों का कहना था कि शंकराचार्य की नियुक्ति में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. मामले पर अब भी विवाद जारी है. अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने हाल ही में इसको लेकर टिप्पणी की है.
अविमुक्तेश्वरानंद 8 साल की उम्र में संन्यास की तरफ बढ़ गए. साल 2000 में वे स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य बने. उन्होंने संपूर्णानंद कॉलेज काशी से अपनी पढ़ाई की है.