चुनाव में मुफ्त की रेवड़ियों के वादे से बचेगी भाजपा ?

चुनाव में मुफ्त की रेवड़ियों के वादे से बचेगी भाजपा:फ्रीबीज का नया फॉर्मूला लाने की तैयारी, असम विधानसभा चुनाव से होगी शुरुआत

फ्रीबीज के नाम पर 7 राज्यों की 7 योजनाएं से 8.1 करोड़ महिलाओं पर 1.24 लाख करोड़ रुपए बांटे जा रहे हैं। - Dainik Bhaskar

फ्रीबीज के नाम पर 7 राज्यों की 7 योजनाएं से 8.1 करोड़ महिलाओं पर 1.24 लाख करोड़ रुपए बांटे जा रहे हैं।

भाजपा अब चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त की घोषणाओं (फ्रीबीज) पर ब्रेक लगाने की तैयारी में है। पार्टी ने फ्रीबीज की जगह वैकल्पिक मॉडल तैयार किया है।

इसमें खाते में सीधे कैश ट्रांसफर या अन्य छूट (नॉन परफॉर्मिंग एक्सपेंडिचर) की जगह कामकाज को बढ़ाने और ऐसे मदों के लिए आर्थिक मदद की घोषणा होगी, जिससे राज्य की जीडीपी को गति मिले।

नए मॉडल की शुरुआत 2026 में होने वाले असम विधानसभा चुनाव से होगी। भाजपा यह व्यवस्था उन्हीं राज्यों में लागू करेगी, जहां पार्टी खुद सरकार में है या मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है या जहां अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।

जहां पहले से फ्रीबीज की घोषणा हो चुकी है या पार्टी ने जिसका वादा किया है, वह जारी रहेगा, पर अगले चुनाव में वहां भी नया मॉडल लागू होगा। यानी 2028 के बाद भाजपा शासित सभी राज्यों में यह व्यवस्था होगी।

भाजपा की कई मेनिफेस्टो कमेटी से लंबे समय से जुड़े रहने वाले एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि दिल्ली चुनाव के दौरान ही शीर्ष नेतृत्व ने अगले चुनावों में फ्रीबीज का वैकल्पिक मॉडल अपनाने के लिए रणनीति बनाने का विचार रखा था।

 

सब्सिडी पर भी बड़ा खर्च राज्य सरकारों को कई तरह की सब्सिडी पर भी हर महीने मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। इनमें खाद्य सब्सिडी (जैसे- चावल और गेहूं को ₹2-3 प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराना), कृृषि सब्सिडी (किसानों को बिजली, उर्वरक और बीज), शिक्षा और स्वास्थ्य सब्सिडी, परिवहन सब्सिडी, ऊर्जा सब्सिडी आदि भी देनी होती है।

असम में 4 लाख स्वयं सहायता समूह असम भाजपा के अध्यक्ष दिलीप सैकिया का कहना है कि यदि असम की बात करें तो यहां लगभग 4 लाख स्वयं सहायता समूह हैं। हर ग्रुप में 10 महिलाएं हैं यानी 40 लाख महिलाएं जुड़ी हैं। ऐसे में हर महिला को सालाना 10 हजार रु. सालाना मदद देने से उनका कारोबार बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि अगले साल उन्हें 10 की जगह 20 हजार रु. दिलाएंगे। इनमें 10 हजार का लोन होगा, जो सस्ती ब्याज दरों पर उन्हें लौटाना होगा और बाकी 10 हजार रु. सरकार की तरफ से (चुनावी घोषणा पत्र के वादे) के तहत दिए जाएंगे। इस तरह हर महिला 5 साल में कुल 90 हजार रुपए अपने कारोबार में लगा सकती है। इससे राज्य की आर्थिक गतिविधियों में लगभग 33 हजार करोड़ आएंगे। अर्थात ये पैसे परफॉर्मिंग असेट के रूप में लगेंगे, जिससे राज्य की आर्थिक सेहत सुधरेगी।

भाजपा नेता बोले- छोटे दुकानदारों और रेस्त्रां वालों को एकमुश्त राशि देंगे

सवाल : क्या फ्रीबीज का नया वैकल्पिक मॉडल सिर्फ सेल्फ हेल्प ग्रुप पर लागू होगा?

जवाब: नए मॉडल में कई उपाय हैं और कुछ पर काम चल रहा है। छोटे-मोटे दुकानदार, रेस्टोरेंट चलाने वाले निम्न आय वर्गीय परिवार, पिछड़े, दलित और समाज के जरूरतमंद तबकों के लोगों को सरकार सालाना एकमुश्त राशि देंगे।

  1. फ्री बिजली पर सबसे ज्यादा खर्च होता है, उसकी जगह सोलर लाइटिंग के उपकरण ज्यादा छूट के साथ दिए जाएंगे।
  2. अगले साल फिर बैंकों के जरिए उन्हें दोगुनी राशि दी जाएगी। यदि बैंक की राशि समय पर न लौटाई, तो उनके सहयोग को बंद या उसमें कटौती की जा सकती है।
  3. फ्री ट्रांसपोर्ट की जगह (लाभ के पात्र व्यक्ति) अलग-अलग तरह की छूट के साथ पास देने जैसी व्यवस्था होगी।
  4. फ्री स्कूटी, फ्री लैपटॉप जैसे स्कीमों की जगह न्यूनतम रेंट (मसलन 1 रु. रोज) या न्यूनतम किस्तों पर देने जैसे मॉडल को अपनाया जा सकता है। इसके लिए पार्टी के आर्थिक मामलों के जानकार आर्थिक एक्सपर्ट के साथ मिलकर वैकल्पिक मॉडल तैयार करने में जुटे हैं।
उपरोक्त सभी योजनाओं में 18 साल से ऊपर की पात्र महिलाओं को हर महीने सीधे खाते में एक निश्चित राशि दी जाती है। यह राशि राज्यों के कुल बजट की 12% तक होती है। पिछले कुछ चुनावों से महिला केंद्रित ये योजनाएं तेजी से बढ़ी हैं।
उपरोक्त सभी योजनाओं में 18 साल से ऊपर की पात्र महिलाओं को हर महीने सीधे खाते में एक निश्चित राशि दी जाती है। यह राशि राज्यों के कुल बजट की 12% तक होती है। पिछले कुछ चुनावों से महिला केंद्रित ये योजनाएं तेजी से बढ़ी हैं।

महिला स्कीम का चुनाव से कनेक्शन, ऐसे समझें…

  • मध्य प्रदेश: नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव थे, उससे पहले लाडली बहना योजना की 6 किस्तें दीं। हर माह हजार रुपए दिए गए।
  • तमिलनाडु: अप्रैल 2021 से विधानसभा चुनाव ​थे। इससे पहले कलाथीरूम्मा योजना में 12 किस्तें दीं। हर माह हजार रुपए की मदद।
  • पंजाब: फरवरी 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले आशीर्वाद योजना के तहत 4 किस्तों में 1000-1000 रुपए दिए गए।
  • कर्नाटक: मई 2023 के चुनाव से पहले गृह लक्ष्मी योजना की 2 किस्तों में 2-2 हजार सीधे लाभार्थी के अकाउंट में ट्रांसफर किए।

असर- महिला भागीदारी चुनाव में गेमचेंजर बन गई

  1. मध्य प्रदेश : 2023 चुनाव में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 76% था, जबकि पुरुषों का 72% था। चुनाव के बाद हुए सर्वे के अनुसार, लगभग 65% महिलाओं ने कहा कि उन्होंने लाडली बहना योजना के कारण भाजपा को वोट दिया
  2. महाराष्ट्र : 2024 चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 74% रहा, जबकि पुरुषों का 70% था। चुनाव के बाद हुए सर्वे बताते हैं कि 60% महिलाओं ने कहा कि उन्होंने लाडकी बहना योजना के कारण सत्तारूढ़ दल को चुना।

फ्रीबीज पर सुप्रीम कोर्ट भी कई बार चेतावनी दे चुका है…

  • 3 मई 2023 : फ्रीबीज संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप होनी चाहिए। केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल न हों।
  • 17 मार्च 2023 : चुनावी घोषणापत्र में फ्रीबीज योजनाओं का वादा करना गलत नहीं है, लेकिन वित्तीय स्थिति जरूर देखें।
  • 11 जनवरी 2023 : कोर्ट बोला- राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब है, तो फ्रीबीज दीर्घकाल में हानिकारक हो सकती हैं।
  • 25 नवंबर 2022 : सरकारों को ऐसी योजनाएं लागू करने से पहले उनके आर्थिक प्रभाव का आकलन करना चाहिए।
  • 16 अगस्त 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में फ्रीबीज का इस्तेमाल गंभीर मुद्दा है। सरकारें फ्रीबीज देती हैं, तो इसका वित्तीय बोझ अंततः जनता पर पड़ता है। इस मामले पर एक संवैधानिक बेंच गठित की जानी चाहिए।

तेलंगाना CM बोले- फ्रीबीज पर राष्ट्रीय बहस की जरूरत, ये किसी एक से नहीं होगा तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्‌डी ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा- हमारे राज्य की मासिक आय 18,500 करोड़ रु. है। इसमें 6,500 करोड़ रु. सैलरी-पेंशन और 6,500 करोड़ रु. कर्ज-ब्याज भुगतान में जाते हैं। सभी तरह के वेलफेयर और डेवलपमेंट के लिए 5500 करोड़ रुपए बचते हैं।

कार्यक्रम में रेवंत से पूछा गया कि हर महीने बेरोजगारों को 4 हजार रुपए देने की गारंटी आप कैसे पूरी करेंगे?

परिसीमन और वन नेशन, वन इलेक्शन की जगह इस पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए। किसी एक के करने से कुछ नहीं होगा। हमारे पास निवेश करने और पूंजीगत व्यय के लिए पैसे ही नहीं हैं। हर महीने 500 करोड़ रुपए भी पूंजीगत निवेश पर खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं। आने वाले दिनों में राज्य का क्या होगा? देश का क्या होगा?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *