J-K का वो घोटाला जिसमें शामिल कई IAS अधिकारी !
J-K का वो घोटाला जिसमें शामिल कई IAS अधिकारी, समझें कब का है केस और क्या है पूरा मामला
गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के तीन IAS अधिकारियों के खिलाफ शस्त्र लाइसेंस घोटाला मामले में मुकदमा चलाने के प्रस्ताव को वापस कर दिया है. मंत्रालय ने मुख्य सचिव से एक हफ्ते के अंदर आवश्यक दस्तावेज पेश करने का अनुरोध किया है. यह मामला 20 मार्च को अदालत में सुनवाई के लिए निर्धारित है.

जम्मू कश्मीर का आर्म्स लाइसेंस स्कैम चर्चा में है. इसमें कई IAS अधिकारियों के शामिल होने की बात है. मामला 9 साल पुराना है. इसी मामले में गृह मंत्रालय ने बुधवार को तीन IAS अधिकारियों पर मुकदमा चलाने से संबंधित प्रस्ताव को लौटा दिया. मंत्रालय ने कागजातों में कमी का हवाला देते हुए जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव से एक हफ्ते में फिर से प्रस्ताव को जमा करने के लिए कहा है. IAS अधिकारियों का नाम यशा मुद्गल, शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार है. यशा 2007 बैच की अधिकारी हैं. शाहिद 2009 और नीरज कुमार 2010 बैच के IAS अधिकारी हैं. तीनों मामले में जांच के दायरे में हैं.
गृह मंत्रालय के निर्देश के मुताबिक, मुख्य सचिव को अब जो कागजात जमा करने हैं उनमें FIR की कॉपियां, गवाहों का बयान, जांच रिपोर्ट, रिकवरी मेमोस और कानून विभाग के ओपनियन होने चाहिए. इससे पहले 12 फरवरी को कम्युनिकेशन में गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव को सीबीआई की अभियोजन स्वीकृति प्रस्ताव लद्दाख के उपराज्यपाल की सहमति के बाद भेजने को कहा था. शस्त्र लाइसेंस घोटाला मामला में अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी. डिविजन बेंच मामले को सुनेगी.
क्या है पूरा मामला?पिछले साल 31 दिसंबर को सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि 2012 से 2016 के बीच जम्मू संभाग के 10 जिलों में लगभग 1.53 लाख और तत्कालीन कश्मीर संभाग के 12 जिलों में लगभग 1.21 लाख शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए थे. कथित तौर पर इनका इस्तेमाल जिलाधिकारियों द्वारा आर्थिक लाभ के लिए किया गया था .
सीबीआई ने शस्त्र लाइसेंस घोटाले में आठ आईएएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगी थी. इसमें जम्मू कश्मीर के राजस्व सचिव कुमार राजीव रंजन का नाम भी था. वह उस समय जम्मू के डिप्टी कमीश्नर थे. इन अधिकारियों पर जम्मू-कश्मीर में गैर-योग्य व्यक्तियों से पैसे लेकर हथियार लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था.
सीबीआई ने इस मामले में 21 मार्च, 2024 को 15 आरोपियों के खिलाफ दो चार्जशीट दायर की थी. स्पेशल जज के सामने ये चार्जशीट दायर की गई थी. एक अधिकारी ने कहा कि पहली चार्जशीट में 10 आरोपियों का नाम था. जिसमें कुपवाड़ा के जिलाधिकारी हुसैन रफिकी का नाम भी था.
पिछले साल 25 नवंबर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने घोटाले में नौकरशाहों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने में पिक एंड चूज पॉलिसी पर चिंता व्यक्त की थी. कोर्ट ने इस मामले में किसी न किसी बहाने से हो रही देरी पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की थी.
इसके बाद इसी साल जनवरी में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ताशी राबस्तान और न्यायमूर्ति एमए चौधरी की खंडपीठ ने सरकार को घोटाले में पांच आईएएस अधिकारियों और अन्य की संलिप्तता पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. जांच कई आईएएस और JKAS अधिकारियों पर केंद्रित है, जिनमें शाहिद इकबाल चौधरी, नीरज कुमार, यशा मुद्गल, प्रसन्ना रामास्वामी जी., एम. राजू, फिदा हुसैन, जितेंद्र कुमार सिंह, फकीर चंद भगत, हेमंत कुमार शर्मा और शब्बीर अहमद बट शामिल हैं.
कौन हैं यशा मुद्गल, शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमारयशा मुद्ग: यशा 2007 बैच की अधिकारी हैं. वह जम्मू कश्मीर में आयुक्त सचिव (पर्यटन) हैं. यशा मुद्गल की गिनती जम्मू कश्मीर की तेज तर्रार महिला अधिकारियों में होती है.
शाहिद इकबाल चौधरी: शाहिद 2009 बैच के IAS अधिकारी हैं. शाहिद इकबाल चौधरी वर्तमान में ग्रामीण विकास और स्थानीय स्वशासन विभाग, जम्मू और कश्मीर के सचिव हैं. उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 51 रैंक हासिल की थी. शाहिद जम्मू क्षेत्र से पहले मुस्लिम और आईएएस से सीधी भर्ती के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने वाले जम्मू-कश्मीर के पहले गुर्जर थे.
नीरज कुमार: 2010 बैच के IAS नीरज कुमार वर्तमान में जम्मू कश्मीर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में प्रशासकीय सचिव हैं. बिहार के रहने वाले नीरज कुमार की पोस्टिंग उधमपुर और पुलवामा जैसी जगहों पर रह चुकी है.
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जम्मू और कश्मीर में सर्च ऑपरेशन चलाकर CBI ने शनिवार को 40 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। जांच एजेंसी ने 2 सीनियर IAS अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लिया है। इसमें शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार शामिल हैं। दोनों पर 2 लाख फर्जी गन लाइसेंस जारी करने के मामले में शामिल होने का आरोप है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर गन लाइसेंस जारी करने के मामले में देश में टॉप पर है। यहां 2018 से 2020 तक सबसे ज्यादा हथियार लाइसेंस जारी किए गए। इन दो सालों में देशभर में 22,805 लाइसेंस जारी किए, इनमें से 18,000 अकेल जम्मू-कश्मीर में जारी हुए। यानी देश के 81% लाइसेंस यहां बांटे गए। बताया जा रहा है कि ये अब भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा गन रैकेट है।
22 जिलों के कलेक्टर और मजिस्ट्रेट शामिल
CBI सर्च ऑपरेशन 4 साल के अंदर बड़ी तादाद में फर्जी लाइसेंस जारी करने के मामले में चलाया। जम्मू और कश्मीर के 22 जिलों में कलेक्टर और मजिस्ट्रेट की मिलीभगत से लाखों फर्जी हथियार लाइसेंस जारी करने का आरोप है। लाइसेंस जारी करने के एवज में पैसों का लेनदेन भी किया गया है।
IAS शाहिद चौधरी से पूछताछ करेगी CBI
CBI के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि छापेमारी में जरूरी दस्तावेज हाथ लगे हैं। इनके जरिए एजेंसी को जांच आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। IAS शाहिद चौधरी को समन जारी कर श्रीनगर के CBI ऑफिस बुलाया जाएगा। चौधरी 2009 बैच के IAS अधिकारी हैं और फिलहाल जम्मू और कश्मीर के जनजातीय मामलों के विभाग के प्रशासनिक सचिव के पद पर तैनात हैं। वे मिशन यूथ के CEO भी हैं।
इससे पहले चौधरी श्रीनगर के डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट कमिश्नर रह चुके हैं। चौधरी कठुआ, राजौरी, उधमपुर और रियासी जिले के डिप्टी कमिश्नकर भी रह चुके हैं। आरोप है कि इन सभी पदों पर रहते हुए चौधरी ने हजारों गन लाइसेंस दूसरे राज्यों के लोगों को फर्जी नाम से जारी कर दिए।
20 गन हाउस पर भी छापा
श्रीनगर के अलावा CBI ने अनंतनाग, बारामुला, जम्मू, उधमपुर, राजौरी और दिल्ली में भी छापामार कार्रवाई की है। इस दौरान कई सीनियर अधिकारियों के पुराने और वर्तमान घरों की तलाशी भी ली गई। CBI के प्रवक्ता ने बताया कि 20 गन हाउस में भी छापा मारा गया है। इस मामले में अब 8 पूर्व डिप्टी कमिश्नर से पूछताछ की जा रही है।

पहले भी मारे गए इस मामले में छापे
CBI ने 2020 में 2 IAS अधिकारी राजीव रंजन और इतरात हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया था। दोनों ने कुपवाड़ा जिले में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए कई फर्जी गन लाइसेंस जारी किए थे। इससे पहले CBI ने दिसंबर 2019 में श्रीनगर, जम्मू, गुरुग्राम और नोएडा की एक दर्जन जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा और पुलवामा के जिला कलेक्टरों और मजिस्ट्रेटों के घर की भी तलाशी ली गई थी। कश्मीर के कई अधिकारियों पर लंबे समय से गन लाइसेंस जारी करने के बदले रिश्वत लेने के आरोप लगते रहे हैं।
राज्यपाल वोहरा ने CBI के हवाले किया था केस
राजस्थान सरकार की एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने 2017 में ऐसे ही एक गन रैकेट का खुलासा किया था। उस समय 50 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने केस CBI के हवाले कर दिया था। फरवरी 2020 में CBI ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। उस पर कई लोगों के साथ बड़े-बड़े फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करने के आरोप लगे थे। कई सरकारी अधिकारियों के नाम भी लिस्ट में सामने आए थे।