अब अस्पतालों में इलाज का मिलेगा ‘पाई-पाई’ का हिसाब!

अस्पतालों की मनमानी पर अब लगेगी लगाम, नया नियम लाने की तैयार में केन्‍द्र सरकार

नई दिल्‍ली । केंद्र सरकार (Central government) देशभर के अस्पतालों, नर्सिंग होम और जांच केंद्रो में बिलिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और एकसमान बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार जल्द ही सभी स्वास्थ्य संस्थानों (Healthcare institutions) के लिए एक मानकीकृत बिलिंग प्रारूप (Standardized Billing Format) पेश करेगी। इसमें इलाज के खर्च का स्पष्ट और विस्तृत ब्यौरा देना अनिवार्य होगा। इस कवायद का मकसद बिलिंग में होने वाली गड़बड़ियों और अस्पतालों की मनमानी को रोकना है।

मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस नए बिलिंग प्रारूप को भारतीय मानक ब्यूरो और स्वास्थ्य मंत्रालय मिलकर तैयार कर रहे हैं। बीआईएस ने पिछले साल इस प्रक्रिया को शुरू किया था और इसके लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों, मरीजों के संगठनों और अन्य हितधारकों से सलाह ली है।

नए प्रारूप में बिल में शामिल होने वाली अनिवार्य और वैकल्पिक चीजों को भी निर्धारित किया गया है। इससे मरीजों को यह समझने में आसानी होगी कि उनके पैसे का उपयोग कहां हुआ।

मरीजों को होगा बड़ा फायदा
इस नए प्रारूप के लागू होने से मरीजों को कई तरह के फायदे होंगे। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उन्हें अपने बिल का हर हिस्सा समझने का मौका मिलेगा। अभी कई बार बिल में एकमुश्त राशि लिखी होती है, जिसमें यह नहीं बताया जाता कि कितना पैसा किस चीज पर खर्च हुआ। नए नियम में जरूरत पड़ने पर वे बिल की जांच कर सकेंगे और गलत शुल्क लगने पर शिकायत कर सकेंगे।

ये जानकारियां जरूरी
1.चिकित्सा प्रक्रिया : इसके तहत प्रतिदिन कमरे का किराया, कमरे का प्रकार, डॉक्टर और विशेषज्ञ परामर्श के लिए शुल्क, सर्जरी शुल्क, सर्जन शुल्क, एनेस्थीसिया शुल्क, ऑपरेशन थिएटर चार्ज, रोजाना होने वाली सभी जांचों की सूची (ब्लड जांच, एक्स-रे, एमआरआई) जैसे सभी शुल्कों का स्पष्ट विवरण शामिल होगा।

2. दवाएं : वितरित दवाओं की सूची, प्रत्येक दवा की मात्रा और कीमत, बैच संख्या और समाप्ति तिथि, चिकित्सा उपभोग्य वस्तुएं और डिस्पोजेबल, सीरिंज, दस्ताने, कैथेटर इत्यादि जैसी वस्तुएं, प्रत्येक वस्तुओं की मात्रा और कीमत, बैच संख्या और समाप्ति तिथि और नर्सिंग शुल्क भी शामिल होंगे।

3. अन्य ब्योरा : इसके तहत उपस्थित डॉक्टरों का पदनाम, छूट या रियायतें, आपातकालीन संपर्क या अन्य जरूरी चिकित्सा जानकारी जैसे विवरण शामिल हो सकते हैं।

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अब अस्पतालों में इलाज का मिलेगा ‘पाई-पाई’ का हिसाब! सरकार ला रही नया बिल, जानें क्या-क्या बदलेगा?

Standardized Billing Format for Hospitals: केंद्र सरकार जल्द ही एक ऐसा बिल फॉर्मेट लाने वाली है जो सभी अस्पतालों, नर्सिंग होम और जाँच केंद्रों पर लागू होगा। अब मरीजों को हर खर्च का हिसाब मिलेगा, कोई भी छुपा हुआ चार्ज नहीं रहेगा।
इस नए फॉर्मेट में मरीजों के बिल की पूरी डिटेल देना अनिवार्य होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने पिछले साल इसकी तैयारी शुरू की थी और अब इसे अंतिम मंजूरी मिलने वाली है। यह नया सिस्टम मरीजों को उनके इलाज का पूरा ब्यौरा देगा, जिससे उन्हें पता चल सकेगा कि किस चीज पर कितना खर्च हुआ।

बिल में क्या-क्या होगा शामिल?

(Standardized Billing Format Kya hai) इस नए स्टैंडर्ड के तहत हर हॉस्पिटल को बिल में मरीज का रूम रेंट, डॉक्टर की फीस, सर्जरी चार्जेज, ऑपरेशन थिएटर का खर्च, दवाइयों की लिस्ट और उनकी कीमत, मेडिकल कंज्यूमेबल्स (जैसे सिरिंज, ग्लव्स) जैसी सभी जानकारियां देनी होंगी। साथ ही, बिल में दवाओं की बैच नंबर और एक्सपायरी डेट भी लिखना जरूरी होगा। कुछ चीजें जैसे डॉक्टर्स के नाम, इमरजेंसी कॉन्टैक्ट डिटेल्स और छूट की जानकारी ऑप्शनल रखी जा सकती हैं।

क्यों जरूरी है यह नया सिस्टम?

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अभी तक हॉस्पिटल्स के बिल में कई बार मरीजों को सही जानकारी नहीं मिल पाती, जिससे झगड़े होते हैं। LocalCircles के एक सर्वे में पाया गया कि ज्यादातर मरीजों को बिल में सामान और सेवाओं की पूरी डिटेल नहीं दी जाती। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से पूछा था कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स के बिल में कीमतों का पता क्यों नहीं चलता। इस नए सिस्टम से मरीजों का भरोसा बढ़ेगा और बिलिंग से जुड़ी शिकायतें कम होंगी।

डिजिटल और रीजनल लैंग्वेज में भी उपलब्ध

नए स्टैंडर्ड के मुताबिक, हॉस्पिटल बिल आसान भाषा में होने चाहिए और उनका फॉन्ट साइज बड़ा होना चाहिए। बिल अंग्रेजी के अलावा स्थानीय भाषा में भी उपलब्ध होंगे और मरीज इसे डिजिटल या प्रिंटेड फॉर्मेट में ले सकेंगे। सरकार का मकसद है कि हर हॉस्पिटल एक जैसा पारदर्शी सिस्टम अपनाए, ताकि मरीजों को सही जानकारी मिल सके।

कब तक लागू होगा नया सिस्टम?

(When will Standardized Billing Format Introduce) ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इसे 3-6 महीने के भीतर लागू किया जा सकता है। हेल्थकेयर एक्सपर्ट डॉ. राजीव सेठ का कहना है, “यह मरीज अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, सख्त निगरानी की जरूरत होगी ताकि अस्पताल नियमों का पालन करें।”

इस बिल मरीजों को क्या फायदे होंगे?

(Benefits of Standardized Billing Format) मरीजों को पता चल सकेगा कि उनका पैसा कहां खर्च हुआ अस्पताल मनमानी कीमतें नहीं वसूल पाएंगे बिलिंग को लेकर विवाद कम होंगे स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी मरीजों को बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिलेगी

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