द्वारका स्थित नामी निजी स्कूल को शिक्षा निदेशालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जिलाधिकारी की निरीक्षण कमेटी की रिपोर्ट में कक्षा की जगह लाइब्रेरी में छात्रों को बिठाने का खुलासा होने पर निदेशालय ने स्कूल को नोटिस भेजा है।
नोटिस के अनुसार छात्रों को प्रताड़ित न करने के निर्देश के बावजूद स्कूल ने कक्षा में छात्रों को बैठने की अनुमति नहीं दी। निदेशालय ने स्कूल से जवाब मांगा है कि क्यों दिल्ली विद्यालय शिक्षा अधिनियम 1973 के नियम 56 के तहत कार्रवाई न की जाएं। इसमें स्कूल की मान्यता निलंबित करने और वापस लेने का प्रावधान है। स्कूल को सात दिन के अंदर नोटिस का जवाब देने के निर्देश है।
20 मार्च से छात्र बैठ रहे थे लाइब्रेरी में : टीम को निरीक्षण के समय छात्र लाइब्रेरी में बैठे मिले थे। छात्रों ने टीम को बताया कि उन्हें 20 मार्च से लाइब्रेरी में बिठाया जा रहा है। कैंटीन में भी जाने की अनुमति नहीं है और सहपाठियों से मिलने पर भी रोक लगा है। लाइब्रेरी में बिठाने के आरोप पर प्रधानाचार्य ने किसी प्रकार का लिखित बयान देने से इन्कार कर दिया। लाइब्रेरियन से भी जवाब मांगा गया है। समिति ने छात्रों को कक्षा में नियमित अनुमति देने की सिफारिश की है। जिला और क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक स्कूल का नियमित दौरा करेंगे।
निदेशालय की कार्यप्रणाली पर उठाया सवाल
मामले को लेकर स्कूल के अभिभावकों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में रविवार को प्रेस वार्ता की। अभिभावकों ने कहा कि 20 मार्च से अब तक 50 से अधिक बच्चे स्कूल प्रशासन की प्रताड़ना और भेदभाव का शिकार हो रहे है। जिलाधिकारी द्वारा की गई जांच, शिक्षा निदेशालय के आदेशों एवं सरकारी आश्वासनों के बावजूद बच्चों को कोई भी अस्थायी या स्थायी राहत नहीं मिल पाई है। यहां तक कि रिपोर्ट में आधारित कार्रवाई करने का भी पालन नहीं हुआ है। अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया कि आखिर वर्षों से स्कूल की मनमानी पर लगाम लगाने में क्यों विफल रहा।
अभिभावकों ने की यह मांग
अभिभावकों की मांग है कि जिलाधिकारी अपनी जांच के आधार पर तत्काल करवाई कर बच्चों के मानसिक उत्पीड़न, प्रताड़ना को रोके और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ तत्काल कानूनी करवाई करें। सुप्रीम कोर्ट बच्चों के मानसिक उत्पीड़न, भेदभाव एवं प्रताड़ना पर स्वतं संज्ञान में लेकर इस को रोके। स्कूल प्रबंधन पर कानून एवं नियमानुसार कठोर से कठोर करवाई करे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग सुरक्षा बच्चों के किसी भी मामले में तत्परता से नियमानुसार कार्य करें।