20% फायर कर्मी आग बुझाते घायल, हेलमेट-गमबूट पहन करते हैं रेस्क्यू

गर्मी बढ़ते ही शहर में आग लगने की घटनाएं तीन से चार गुना तक बढ़ जाती हैं। अप्रैल शुरू हुआ ही है और एक दिन में 15 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं होने लगी हैं। इन पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड का अमला चौबीस घंटे ड्यूटी पर तैनात है। अपनी जान जोखिम में डालकर राहत और बचाव कार्य शुरू कर देते हैं।
उनकी सुरक्षा के लिए सिर्फ हेलमेट और गमबूट होते हैं। यही कारण है कि फायर ब्रिगेड का करीब 20% स्टाफ घायल हो चुका है। कुछ लोग गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं। किसी की हाथ की अंगुली कट चुकी है, तो किसी को सुनने में परेशानी होती है। सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं और नियमित ट्रेनिंग भी नहीं होती है। मालूम हो कि 14 अप्रैल 1944 को मुंबई बंदरगाह पर एक जहाज की आग बुझाने में 66 फायरकर्मी शहीद हो गए थे। उनकी याद में नेशनल फायर सर्विस डे मनाया जाता है।
बड़े त्योहारों और आयोजनों में लगती है ड्यूटी
- मुख्य विशेष अतिथि एवं विशेष अतिथियों के भोपाल आगमन पर अग्निसुरक्षा व्यवस्था करना।
- गणेश विसर्जन, दुर्गा विसर्जन, मोहर्रम, दीपावली, होली आदि त्योहारों पर अग्निसुरक्षा करना और प्रतिमाओं के विसर्जन कार्य।
- तालाब, कुएं, बावड़ी और डैम आदि स्थानों पर डूबे हुए व्यक्तियों के शवों को निकालना।
- शांति वाहन का संचालन किया जाता है। शवों को अस्पताल से निवास स्थान पर छोड़ना और निवास स्थान से अंतिम संस्कार के लिए विश्राम घाट या कब्रिस्तान छोड़ना।
- विधानसभा सत्र शुरू होने पर आम सभाओं, हड़तालों, जुलूसों में अग्निसुरक्षा का कार्य।
- हर साल वर्षा ऋतु में फायर कंट्रोल रूम यातायात पार्क में बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना की जाती है।
- भोपाल जिले के बाहर भी किसी भी प्रकार की अग्नि दुर्घटना या आपदा के समय आयुक्त की अनुमति से सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
बिल्डिंग बन रही 70 मीटर , आग बुझा सकते 52 मीटर नगर निगम के पास 22 मीटर और 52 मीटर के दो हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म हैं। इसके उलट, बिल्डिंग 70 मीटर से ऊंची बन रही हैं। इन बिल्डिंगों में रहने वाले लोग हर पल जोखिम में रहते हैं। हालात यह हैं कि दो साल पहले सतपुड़ा भवन में लगी आग को बुझाने के लिए सेना तक को बुलाना पड़ा था। अब नगर निगम के फायर ब्रिगेड विभाग ने 60 मीटर से ज्यादा ऊंचाई के हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म की मांग की है।
एक्सपर्ट व्यू ... नगर निगम और लोकल प्रशासन को प्राथमिकता से काम करना चाहिए ^फायर सिस्टम कोई एक दिन में विकसित नहीं हो सकता है। इसके लिए जागरूकता लाना जरूरी है। आग के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है। इसके लिए जरूरी है कि कक्षा पहली से लेकर 12 तक के बच्चों को महीने में कम से कम दो बार फायर ड्रिल की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। वे खुद तो सीखते ही हैं, घर में पेरेंट्स को भी इसके बारे में बताते हैं। शहर में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग हो गई हैं। फायर एनओसी तो कागजी कार्रवाई है, लेकिन वहां भी सभी को इसकी ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। इसके लिए नगर निगम और लोकल प्रशासन को प्राथमिकता से काम करना चाहिए। – राकेश दुबे, रिटायर्ड डायरेक्टर डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट