पूर्व विधायक रसाल सिंह ने पूर्व सीएम , मंत्री सहित 8 लोगों पर केस दर्ज कराने लहार थाने में दिया आवेदन

भिंड. विधानसभा के उपचुनाव से पहले जिले में राजनीति गर्मा गई है। पूर्व विधायक और भाजपा नेता रसाल सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह, अपैक्स बैंक के प्रशासक अशोक सिंह सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के लिए रविवार काे लहार थाना में आवेदन दिया है। इसके बाद डॉ गोविंद सिंह ने पलटवार करते हुए चंबल डीआईजी राजेश हिंगणकर को एक पत्र लिखकर रसाल सिंह के सगे भतीजे और पांच हजार रुपए के इनामी आरोपी की गिरफ्तारी की मांग कर दी है। पूर्व मंत्री डॉ सिंह ने यहां तक आरोप लगाया कि रसाल सिंह के साथ ही उनका इनामी भतीजा रह रहा है।

दरअसल भिंड जिले की दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में लहार के इन दोनों नेताओं की बड़ी भूमिका है। वजह यह है कि कांग्रेस से पूर्व मंत्री और लहार विधायक गोविंद सिंह अंचल में पार्टी के सबसे कद्दावर और बड़े नेता हैं। ऐसे में उनका इस उपचुनाव में विशेष रोल रहेगा। जबकि भाजपा ने भी उनके सामने चुनाव लड़ चुके पूर्व विधायक रसाल सिंह को मेहगांव और गोहद की जिम्मेदारी दी है। ऐसे में उपचुनाव का बिगुल बजने से पहले लहार क्षेत्र में राजनीति गरमाने लगी है। साथ ही दोनों दिग्गज आमने सामने आ गए हैं।

कूट रचित दस्तोवज से हुई नियुक्ति, सीएम-मंत्री पर दर्ज करें केस
रसाल सिंह के अनुसार अशोक सिंह लोकसभा चुनाव के समय शपथ पत्र में अपना निवास गांधी रोड ग्वालियर बताया था। अशोक सिंह को प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था मर्यादित भरथरी तहसील ग्वालियर से संबंधित क्षेत्र के निवासी नहीं हैं और न ही उक्त संस्था के मूल रूप से कोई सदस्य हैं। बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं तत्कालीन सहकारिता मंत्री डॉ डॉ गोविंद सिंह द्वारा अशोक सिंह को अपैक्स बैंक का प्रशासक नियुक्त करने के लिए साख सहकारी संस्था का सदस्य नियम विरुद्ध बनाने के लिए दस्तावेजों की कूट रचना की गई। ऐसे में पूर्व विधायक रसाल सिंह ने लहार थाना में आवेदन देकर अपैक्स बैंक के पूर्व प्रशासक अशोक सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व प्रमुख सचिव अजीत केसरी,  पंजीयक सहकारी संस्था डॉ एमके अग्रवाल, संयुक्त पंजीयक एवं अपेक्स बैंक के प्रभारी प्रदीप नीखरा एवं सहकारी बीज संघ के प्रबंध संचालक आरके शर्मा और ठाकुर मथुरा सिंह कृषि उत्पादन प्रसंस्करण सहकारी संस्था मर्यादित लहार से संबंधित संचालक मंडल के सभी पदाधिकारीगण के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की है।

रसाल सिंह, पूर्व विधायक : मैंने आठ लोगों के खिलाफ लहार थाने में आवेदन दिया
मैंने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, लहार विधायक डॉ गोविंद सिंह सहित 8 लोगों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कराने लहार थाना में आवेदन दिया है। इन्होंने कूटरचित तरीके से अशोक सिंह को अपैक्स बैंक का प्रशासक बनाया। डॉ गोविंद सिंह इस संबंध में जवाब दें। उन्हें हमारे भाई भतीजों से क्या लेना देना है। वह अलग विषय है। वे तो हमारे सवाल का जवाब दें।

पूर्व विधायक के सगे भतीजे पर 5 हजार का इनाम, पुलिस पकड़े
इधर पूर्व मंत्री एवं लहार विधायक डॉ गोविंद सिंह ने भी चंबल डीआईजी राजेश हिंगणकर को एक पत्र लिखा है,। इसमें उन्होंने कहा है कि पूर्व विधायक रसाल सिंह का पूरा राजनीतिक इतिहास अपराधों से भरा है। ऐसा व्यक्ति चंबल रेंज में फरार और इनामी अपराधियों को गिरफ्तार कर क्षेत्र में शांति स्थापित करने की सलाह दे रहा है। यदि ऐसा है तो यह प्रसन्नता की बात है। पूर्व मंत्री डॉ. सिंह ने पत्र में लिखा कि उनके सगे भतीजे संजीव सिंह पर भिंड पुलिस ने पांच हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। उसके बाद भी वह उनके पैतृक गांव मलपुरा में रह रहा है। उन्होंने कहा है कि उसे शीघ्र गिरफ्तार कर पूर्व विधायक की मांग पूरी की जाए, जिससे उनकी (रसाल सिंह) आत्मा काे शांति मिल पाए। डॉ. सिंह ने कहा कि 4 साल पहले रसाल सिंह के छोटे भाई योगेंद्र सिंह और भतीजे संजीव ने अवैध रेत के ट्रक को पकड़ने पर तत्कालीन लहार एसडीएम राजेश राठौर पर प्राण घातक हमला किया था। आज भी पूर्व विधायक के छोटे भाई योगेंद्र सिंह और भतीजे धीरेंद्र, कुलदीप सिंह उर्फ छोटू, अनेक संगीन अपराधों में ग्वालियर जेल में बंदी हैं। वहीं उनका बेटा  शिशुपाल भी अनेक अपराधों में बड़वानी जेल में बंद है।

डाॅ गाेविंद सिंह, पूर्व मंत्री, सहकारिता : जिसके परिवार में अपराधी भरे पड़े हाें, वाे शांति की बात कर रहा है
रसाल सिंह के परिवार में कई लोगों पर मुकदमा दर्ज है। यह प्रसन्नता की बात है कि उन्होंने क्षेत्र से फरारी और इनामी बदमाशों को पकड़ने की मांग की है। इसलिए उनका जो भतीजा फरार चल रहा है, सबसे पहले उसे गिरफ्तार किया जाए ताकि उनकी आत्मा काे शांति मिल सके। जहां तक अशाेक सिंह की बात है ताे उनका लहार की साेसायटी से काेई लेना-देना नहीं है। उनकी नियुक्ति यदि अवैध है तो कोर्ट जाइए।

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