पाकिस्तान में एक और सर्जिकल स्ट्राइक, इस देश ने अंदर घुसकर आतंकियों को मारा
अमेरिका और भारत के बाद एक और देश ने पाकिस्तान में एक सर्जिकल स्ट्राइक की है। इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया है ईरान ने। बताया जा रहा है कि ईरान ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को मार गिराया और अपने सैनिकों को छुड़ा करा लिया।
नई दिल्ली: अमेरिका और भारत के बाद एक और देश ने पाकिस्तान में एक सर्जिकल स्ट्राइक की है। इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया है ईरान ने। बताया जा रहा है कि ईरान ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को मार गिराया और अपने सैनिकों को छुड़ा लिया। इसके साथ ही ईरान तीसरा ऐसा देश बन गया, जिसने पाकिस्तान के अंदर जाकर आतंकियों को मारा है। इससे पहले भारत और अमेरिका ने पाक में सर्जिकल स्ट्राइल की थी। मंगलवार की रात को सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, ईरान की सर्जिकल स्ट्राइक में कई पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए हैं, जो आतंकियों को कवर फायर दे रहे थे। बताया गया है कि खुफिया जानकारी के आधार पर ईरान की रेवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) ने पाकिस्तान के अंदर जाकर ऑपरेशन को अंजाम दिया है। इसमें उन्होंने पाक के कब्जे से अपने दो सैनिकों को भी रिहा करा लिया है।
इस बयान में कहा गया है कि आतंकी समूह की ओर से अगवा किए गए दो बॉर्डर गार्ड्स को मुक्त कराने के लिए मंगलवार को इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है। बता दें कि जैश उल-अदल या जैश अल-अदल एक सलाफी जिहादी आतंकवादी संगठन है, जो दक्षिणी-पूर्वी ईरान में मुख्यतौर पर सक्रिय है। ईरान में यह आतंकवादी संगठन नागरिक सैन्य ठिकानों पर कई हमले कर चुका है। इस आतंकवादी संगठन को बलूचिस्तान में निर्दोष लोगों के नरसंहार के लिए पाकिस्तानी सेना से पूरा समर्थन मिलता है।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के उड़ी में सैन्य छावनी पर पाकिस्तानी आतंकी हमले में शहीद हुए 18 जवानों के बाद भारतीय सेना ने 28 और 29 सितंबर 2016 की रात को सर्जिकल स्ट्राइक की थी। तत्कालीन सेना के डॉयरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने इस बात की घोषणा की थी कि 29 सितंबर 2016 को की गई सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान की तरफ भारी नुकसान पहुंचा था।
सेना की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक करने की प्लानिंग 24 सितंबर से शुरू कर दी गई थी। नाइट विज़न डिवाइस के साथ विशेष दस्ताबल, टेवोर 21, एक-47 असॉल्ट रायफल्स, रॉकेट ग्रेनेड्स, शॉल्डर फायर्ड मिसाइल्स और अन्य विस्फोटकों को पैदल की नियंत्रण रेखा के पार कराया गया था। हर टीम में 30 जवान थे और उनका अपना विशेष लक्ष्य तय किया गया था।