महापंचायत के जरिए सभी किसानों को करेंगे एकजुट,’ संयुक्त किसान मोर्चा ने किया बड़ा ऐलान
संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha ) पूर्वांचल में महा पंचायत (maha panchayat) का आयोजन करने जा रहा है, जिससे सभी किसानों (farmers) को कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन (farmer protest) में शामिल होने के लिए जुटाया जा सके.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के आयोजन में मुख्य भूमिका निभाने के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायत (ग्राम सभा) का आयोजन करेगा. पूर्वांचल ने सोमवार को एक भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता ने इस बात की जानकारी दी.
बीकेयू के लखनऊ मंडल के अध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा ने बताया कि विभिन्न पंचायतों और समुदायों के लोगों का एक बड़ा वर्ग भी महा पंचायतों के माध्यम से किसान आंदोलन में शामिल हो सकता है, ताकि अपनी चिंताओं को दूर कर सकें. किसान नेताओं ने कहा कि 23 जनवरी को लखनऊ के राजभवन में विरोध प्रदर्शन के लिए एसकेएम के आह्वान पर चार दिनों के छोटे नोटिस में लगभग 600 ट्रैक्टरों की भागीदारी के साथ भारी प्रतिक्रिया देखी गई थी. इससे पता चलता है कि लोग नाराज हैं और वे पूर्वांचल में महा पंचायतों के माध्यम से अपनी ताकत दिखाएंगे.
कब होनी है महापंचायत की बैठक
पहली महापंचायत 16 फरवरी को बाराबंकी जिले में होगी. इसमें लखनऊ और अयोध्या के किसान भाग लेंगे. दूसरी ऐसी महा पंचायत 23 फरवरी को प्रयागराज संभाग के फतेहपुर जिले में होनी है. फतेहपुर महा पंचायत गोरखपुर, बस्ती और मिर्जापुर में इसी तरह की सभाओं के आयोजन के बाद होगी.
बीकेयू के युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष दिगंबर सिंह ने बताया कि किसान नेताओं और अन्य संगठनों से पूर्वांचल में 23 जनवरी को राजभवन के घेराव कार्यक्रम के लिए सफलतापूर्वक विरोध प्रदर्शन करने के बाद मांगें पूरी हो रही हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संयुक्ता किसान मोर्चा (SKM) की बैठकों में चर्चा हुई थी और सर्वसम्मति से तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के लिए किसानों को जुटाने के लिए पूर्वांचल में किसान महापंचायत आयोजित करने का निर्णय लिया गया था.
पूर्वांचल में किसानों के लिए MSP प्रमुख मुद्दा
वहीं, बीकेयू के लखनऊ मंडल के अध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ये महापंचायतें बड़ी भीड़ खींचेगी, हालांकि पूर्वांचल में किसानों के पास अपने पश्चिमी यूपी समकक्षों की तुलना में सीमित संसाधन थे. एमएसपी (MSP) पर फसलों की खरीद हमेशा से पूर्वांचल में किसानों के लिए एक प्रमुख मुद्दा रहा है. यह एसकेएम (SKM) की भी प्रमुख मांग थी. इसे पूरा करवाने के लिए किसान बड़ी संख्या में बाहर निकलेंगे और आंदोलन में शामिल होंगे.