गुस्से में यमुना प्राधिकरण: CEO बोले- 9 साल में 6500 हादसों में 1000 से ज्यादा मर चुके, JP इंफ्राटेक पर दर्ज कराई FIR
अथॉरिटी अधिकारियों के मुताबिक कुछ वक्त पहले सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पर एक सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तैयार करवाई गई थी, जिसमें कई महत्वपूर्ण सुझाव निकलकर सामने आए थे.
जेपी इंफ्राटेक की बेजा हरकतों से हलकान और हाल ही में मथुरा इलाके में यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे में सात मौतों से यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण प्रशासन को हिलाकर रखा दिया है. इससे गुस्साए प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) ने ऐसा कड़ा कदम उठा लिया, जिसकी जेपी इंफ्राटेक ग्रुप ने सपने में भी नहीं सोची होगी. इन अकाल मौतों का सीधे-सीधे यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माता जेपी ग्रुप को प्राधिकरण ने घेर लिया है. बाकायदा थाने में मुकदमा तक दर्ज करा दिया गया है. ग्रेटर नोएडा पुलिस की टीमों ने आरोपियों की तलाश में छापेमारी भी शुरू कर दी है. मुकदमा दर्ज कराए जाने की पुष्टि टीवी9 भारतवर्ष से अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुण वीर सिंह और ग्रेटर नोएडा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजेश कुमार सिंह ने भी की है.
जानकारी के मुताबिक ये एफआईआर ग्रेटर नोएडा के थाना-कोतवाली बीटा-2 में दर्ज की गई है. एफआईआर जेपी इंफ्राटेक, जेपी इंफ्राटेक के इनसॉल्वेंसी रिसोल्यूशन प्रोफेशनल यानि IRP और यमुना एक्सप्रेसवे के रख-रखाव और संचालन के लिए बनाई गई समिति के खिलाफ दर्ज हुई है. यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानि यीडा (Yamuna Expressway Industrial Development Authority) के सीईओ डॉ. अरुण वीर सिंह के आदेश पर ये मुकदमा, अथॉरिटी के सीनियर मैनेजर विशेष त्यागी की शिकायत पर दर्ज हुआ है. दर्ज एफआईआर के बारे में बात करते हुए डीसीपी ग्रेटर नोएडा ने कहा कि मुकदमा धारा 283, 431 और धारा 7 के तहत दर्ज हुआ है.
इसलिए आई मुकदमे की नौबत
डीसीपी ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल इस मामले में अनुज जैन की तलाश में छापेमारी की जा रही है, जो एफआईआर दर्ज होते ही गायब हो गया है. पुलिस पार्टी ने गुरुग्राम स्थित उसके कार्यालय पर भी छापा मारा था, वो वहां नहीं मिला है. उसके और भी कुछ संभावित ठिकानों का पता चला है. गौरतलब है कि, बीते मंगलवार को यमुना एक्सप्रेसवे पर मथुरा इलाके में भीषण सड़क हादसा हुआ था. उस हादसे में 7 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. सीईओ यमुना विकास प्राधिकरण डॉ. अरुण वीर सिंह के मुताबिक पता चला है कि जिस जगह वो दर्दनाक हादसा हुआ वहां सेंट्रल वर्ज पर क्रैश बैरियर्स का अभाव था.
अगर क्रैश बैरियर्स होते तो शायद 7 लोग असमय अकाल मौत के मुंह में जाने से बच सकते थे. इस हादसे के बाद ही सीईओ ने प्राधिकरण के सीनियर मैनेजर विशेष त्यागी से फैक्ट्स पता करने को कहा था. उसके बाद पुलिस ने बीटा-2 कोतवाली में बुधवार को मुकदमा दर्ज कर दिया. शनिवार को टीवी9 भारतवर्ष से विशेष बातचीत में प्राधिकरण सीईओ डॉ. अरुण वीर सिंह ने कहा कि लंबे वक्त से कोशिशें जारी थी कि, एक्सप्रेसवे पर हादसों में किसी भी प्रयास से कमी लाई जाए. साथ ही कहा कि जो हमारे वश में था हमने किया, काफी कुछ जिम्मेदारी संबंधित एजेंसी की भी बनती है. हम जब-जब भी संबंधित एजेंसी प्रतिनिधि को इस बाबत दिशा-निर्देश देते, तो उसके बाद रिजल्ट के रूप में सामने ऐसे दिल दहला देने वाले सड़क हादसे लगातार सामने आ रहे थे.
सब मालूम है फिर भी हादसे बेकाबू
अथॉरिटी अधिकारियों के मुताबिक कुछ वक्त पहले सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पर एक सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तैयार करवाई गई थी, जिसमें कई महत्वपूर्ण सुझाव निकलकर सामने आए थे. चूंकि जेपी इंफ्राटेक के दिवालिया होने के चलते उसका बोर्ड भंग हो चुका था. ऐसे में नेशनल लॉ ट्रिब्यूनल ने कंपनी का इनसॉल्वेंसी रिसोल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) अनुज जैन को नियुक्त कर दिया. यमुना एक्सप्रेसवे पर आए-दिन होने वाले दर्दनाक हादसों को लेकर कई बार आईआरपी को प्राधिकरण ने चेताया था. जाने-अनजाने वो अक्सर मामले को टालकर आगे बढ़ाते-सरकाते रहे. प्राधिकरण की मानें तो उसने एक बैठक में बीते 4 जनवरी को भी ये मुद्दा संबंधित जिम्मेदारों के सामने प्रमुखता से उठाया था. इसके बाद भी उस पर गंभीरता से कोई विचार नहीं किया गया. इसी लापरवाही के नतीजे के रूप में बीते मंगलवार को फिर 7 लोग सड़क हादसे में जान गंवा बैठे, जो यमुना अथॉरिटी अफसरों के लिए नाकाबिले बर्दाश्त गुजरा. लिहाजा कोई सकारात्मक रास्ता निकलता ना देख यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने आजिज आकर बीते बुधवार को मुकदमा दर्ज करवा दिया.
झकझोरते हैं मौत के खतरनाक आंकड़े
मुकदमा दर्ज करने वाले प्राधिकरण अफसरों का मानना है कि उस वक्त (बीते मंगलवार को हुए हादसे के वक्त) अगर डिवाइडर में क्रैश बैरियर मौजूद होते तो शायद इतने बड़े हादसे को टाला जा सकता था. अथॉरिटी अफसरों के अनुसार सेफ्टी ऑडिट के दौरान उन्हें आईआईटी के सलाहकारों ने एक्सप्रेस-वे की दोनो साइडों पर प्रवेश-निकास द्वारों पर रंबल-स्ट्रिप लगाने की सलाह भी दी थी. साथ ही कहा था कि दिशा सूचक बोर्ड की संख्या का भी तत्काल बढ़ाया जाना बेहद जरूरी है, जिससे वाहन अपनी दिशा से दूसरी दिशा की ओर ना जा पाएं. यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी के मुताबिक साल 2012 से जनवरी 2021 तक यमुना एक्सप्रेसवे पर 6500 से ज्यादा हादसे रिपोर्ट किए गए. 9 साल एक महीने की इस अवधि में हुए इन हादसों में यमुना एक्सप्रेसवे पर करीब एक हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं. इस अवधि में सबसे ज्यादा 1219 सड़क हादसे साल 2016 में हुए हैं, जबकि इन 9 साल एक महीने में सबसे ज्यादा 195 लोगों की मौत साल 2019 में हुई थी. वहीं सबसे कम 33 मौतें साल 2012 में दर्ज की गईं. इसके अलावा साल 2012 में यमुना एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों की संख्या ढाई सौ से ज्यादा थी