कार्रवाई की तैयारी:शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराने 989 बकायादारों की सूची प्रशासन को दी, ज्यादातर के नाम पर लाइसेंस ही नहीं

  • बकाया वसूली के लिए बिजली कंपनी का कंधे से बंदूक उतारने का फंडा हुआ विफल

बकाया बिल वसूली के लिए बकायादारों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराने के लिए बिजली कंपनी ने प्रशासन को सूची तो थमा दी। लेकिन जांच में पता चला कि उन उपभोक्ताओं के नाम पर शस्त्र लाइसेंस ही नहीं है। ऐसे में बकायादारों को शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने का फंडा अब बेकार साबित हो रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि बड़े बकायादारों पर शस्त्र लाइसेंस तो हैं। लेकिन बिजली कनेक्शन और शस्त्र धारकों के नाम अलग- अलग होने से उनका मिलान नहीं हो पा रहा है।

यहां बता दें कि जिले में चल रहे बिजली बचाओ, राजस्व बढ़ाओ अभियान के तहत कंपनी पुराने बकायादारों के ताबड़तोड़ कनेक्शन काटने में जुटी हुई है। फिर भी कंपनी को उम्मीद के अनुरुप राजस्व नहीं मिल रहा है। वहीं पिछले दिनों जब कंपनी के एमडी गणेश शंकर मिश्रा ने बकायादारों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कराने की सलाह कंपनी अधिकारियों को दी तो कंपनी ने 989 बकायादारों की सूची पिछले सोमवार को कलेक्टोरेट कार्यालय पहुंचा दी। लेकिन इस सूची से जिले में शस्त्र लाइसेंसधारियों की सूची का मिलान किया गया तो ज्यादातर उपभोक्ताओं के नाम हीं नहीं मिले। बताया जा रहा है कि करीब एक सप्ताह की कड़ी मशक्कत के बाद 989 बकायादार उपभोक्ताओं में सिर्फ 15 के नाम पर शस्त्र लाइसेंस होना पाया गया है।

अब इन दो प्लान पर विचार कर रही कंपनी

प्लान-एः बताया जा रहा है कि प्रशासन एक प्लान यह भी बना रहा है कि उपचुनाव के समय थानों में जो शस्त्र जमा हुए थे, उनमें ज्यादातर अभी थानों में ही रखे हुए हैं। ऐसे में इन शस्त्रों को वापस करने से पहले शस्त्र धारक से अपने घर बिजली बिल का नो-ड्यूज मांगा जाए। यहां बता दें कि जिले में करीब 23 हजार शस्त्र लाइसेंस हैं, जिसमें से 60 फीसदी अभी थानों में ही जमा है।

प्लान-बीः प्रशासन दूसरा प्लान यह भी बना रहा है कि बिजली कंपनी खुद अपने स्तर पर पता करके दें कि उनके किस बड़े बकायादार के यहां किस के नाम पर शस्त्र लाइसेंस है। ताकि उस सूची के अनुसार शस्त्र लाइसेंस धारक को लाइसेंस निरस्त करने का नोटिस जारी किया जा सके। लेकिन कंपनी के लिए इस प्रकार की सूची बनाना काफी कठिन साबित होगा।

डेढ़ करोड़ रुपए की हो पाई वसूली

जिले में बिजली कंपनी का करीब 963 करोड़ रुपया बकाया पड़ा हुआ है। इस बकाया राशि की वसूली के लिए कंपनी पिछले 1 जून से अभियान चला रही है। तब जाकर अब तक करीब डेढ़ करोड़ रुपए की वसूली हो पाई है। यानि औसतन कंपनी सवा सात लाख रुपए रोज बमुश्किल वसूल पा रही है। जबकि कंपनी का हर महीने करीब 45 करोड़ रुपया उधारी में डूब जाता है।

संख्या कम, इसलिए नहीं दिए नोटिस

एडीएम प्रवीण कुमार फुलपगारे के अनुसार बिजली बिल की बकाया वसूली के लिए कंपनी से उन्हें जो सूची भेजी गई थी, उनमें बमुश्किल 15 शस्त्र धारियों के नाम सामने आए हैं। इनकी संख्या काफी कम होने की वजह से अभी उन्हें नोटिस जारी नहीं किए गए हैं। बल्कि अब दूसरा प्लान तैयार किया जा रहा है। कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस से चर्चा होने के बाद दूसरे प्लान के तहत अब कार्रवाई की जाएगी।

दूसरा प्लान तैया कर रहे हैं, अनुमति मिलने पर कार्रवाई की जाएगी

बिजली कंपनी ने जिन उपभोक्ताओं की सूची दी थी उसमें मुश्किल से 15 लोगों के नाम शस्त्र लाइसेंस दर्ज होना मिले हैं। ऐसे में हम अब दूसरा प्लान तैयार कर रहे हैं। कलेक्टर साहब की अनुमति मिलने के बाद उस पर कार्रवाई की जाएगी। -प्रवीण कुमार फुलपगारे, एडीएम भिंड

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