जम्मू-कश्मीर की जेलों से आतंकी दूसरे राज्यों में क्यों शिफ्ट किए जा रहे हैं, क्या इससे आतंकियों का नेटवर्क कमजोर होगा?
जम्मू-कश्मीर में अचानक बढ़ी आतंकी घटनाओं के बीच यहां की जेलों में बंद आतंकियों को दूसरे राज्यों की जेलों में शिफ्ट किया जा रहा है। शनिवार को आतंकी गतिविधियों में शामिल 38 कैदियों को जम्मू-कश्मीर से आगरा सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया। ये सभी वे कैदी हैं जिन्होंने ना सिर्फ घाटी में आतंक को बढ़ावा दिया है बल्कि बड़े स्तर पर आतंकियों की मदद भी की है।
आखिर कश्मीर से दूसरे राज्यों में क्यों शिफ्ट किए जा रहे हैं आतंकी? इसका असर क्या होगा? जहां इन आतंकियों को शिफ्ट किया जा रहा है वहां क्या अलग होने वाला है? क्या पहली बार आतंकियों की इस तरह की शिफ्टिंग हो रही है? आइए जानते हैं…
पहले पूरा मामला समझते हैं
जम्मू -कश्मीर प्रशासन ने गुरुवार को जम्मू एंड कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट-1978 की धारा 10 (B) के तहत 26 आतंकियों को आगरा की जेल में शिफ्ट करने का आदेश जारी किया। ये 26 आतंकी कश्मीर की अलग-अलग 7 जेलों में बंद थे। इनमें से 6 श्रीनगर, 5 बांदीपोरा और 5 पुलवामा, 4 बड़गाम, 3 बारामुला, 2 शोपियां और 1 अनंतनाग की जेल में बंद थे। इसके बाद शनिवार को आगरा सेंट्रल जेल के सीनियर पुलिस ऑफिसर बीके सिंह ने बताया कि 38 कैदी यहां शिफ्ट किए गए हैं। जिसमें 27 कश्मीर से और 11 जम्मू की जेलों से आए हैं।
इससे पहले 19 अक्टूबर को कुछ आतंकी आगरा की जेल में शिफ्ट हुए थे। अब तक 56 आतंकियों को शिफ्ट किया जा चुका है। हालांकि प्रशासन ने यह साफ नहीं किया है कि यह कदम क्यों उठाया गया है।
कश्मीर से आगरा क्यों शिफ्ट किए जा रहे हैं आतंकी?
कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं। माना जा रहा है कि कश्मीर की जेलों में बंद आतंकी अपने स्लीपर सेल के साथ लिंक जोड़े हुए हैं। हालिया आतंकी घटनाओं को भी जेल में बंद ऐसे ही आतंकियों ने स्लीपर सेल के जरिए अंजाम दिया है। यही वजह है कि इन्हें अब घाटी से निकालकर देश के दूसरे राज्यों की जेलों में शिफ्ट किया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व DGP और सिक्योरिटी एक्सपर्ट एसपी वैद कहते हैं कि यह बहुत जरूरी कदम है। ऐसे आतंकियों को जम्मू-कश्मीर से निकालकर दूसरे राज्यों में भेजना ही चाहिए। इससे इनका आतंकी नेटवर्क कमजोर होगा, आतंकी घटनाएं कम होगीं।
क्या पहले भी यहां के आतंकियों के दूसरे राज्यों की जेलों में शिफ्ट किया गया है?
हां, पहले भी सुरक्षा के लिहाज से ऐसे कदम उठाए गए हैं। साल 2019 में आर्टिकल 370 को हटाने के दौरान कम से कम 5000 लोगों को हिरासत में लिया गया था। इनमें से करीब 300 लोगों पर PSA एक्ट लगा था और उन्हें देश की दूसरे राज्यों की जेलों में शिफ्ट किया गया था। अगस्त के दूसरे हफ्ते में करीब 70 आतंकियों-अलगाववादियों को आगरा जेल में शिफ्ट किया गया था। इससे पहले अप्रैल 2019 में अलगाववादी नेता यासिन मलिक को कश्मीर से दिल्ली के तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया था।
जिन जगहों पर इन आतंकियों को शिफ्ट किया जा रहा है वहां स्थिति बिगड़ने का खतरा भी तो है?
ये आतंकी खतरनाक हैं। दूसरे राज्यों की जेलों में रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। एसपी वैद कहते हैं कि इन आतंकियों का नेटवर्क कश्मीर तक ही सीमित है। दूसरे राज्यों से इन्हें सपोर्ट नहीं मिलेगा। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि ये वहां की जेलों के लिए मुसीबत बन पाएंगे। ये बहुत हद तक कमजोर पड़ जाएंगे। पहले भी आतंकियों को दूसरे जेलों में सफलतापूर्वक शिफ्ट किया गया है।
क्या इसके बाद भी शिफ्टिंग जारी रहेगी?
बिलकुल। सूत्रों की मानें तो कुल 100 ऐसे आतंकियों की लिस्ट तैयार की गई है, जिन्हें आने वाले दिनों में दूसरे राज्यों की जेलों में शिफ्ट किया जाएगा। इनमें से 30 आतंकी A कैटेगरी में जबकि 70 आतंकी B कैटेगरी में रखे गए हैं। सुरक्षा बलों ने इनके जेलों से फरार होने का खतरा जताया था।
आतंकी आगरा के अलावा और कहां शिफ्ट किए जा सकते हैं?
आतंकियों को आगरा के अलावा दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की जेलों में शिफ्ट किया जा सकता है। सुरक्षा के लिहाज से इन राज्यों की जेलें अधिक मजबूत हैं। पहले भी बड़े आतंकियों और अपराधियों को दिल्ली के तिहाड़ जेल में रखा गया है।
इससे कश्मीर में आतंकी नेटवर्क पर क्या असर पड़ेगा?
सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि कश्मीर की जेलों में इन आतंकियों को लोकल सपोर्ट मिलता है। वे आसानी से सूचनाओं को इधर से उधर भेजते हैं और आतंकी गतिविधियों में अपनी दखल देते हैं। वे कश्मीर के लोकल युवाओं को आतंक का पाठ पढ़ाते हैं। पुलवामा हमले में भी इस तरह की बात सामने आई थी। जिसके बाद प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी और कश्मीर की जेलों में बंद पाकिस्तान के 7 आतंकियों को दिल्ली के तिहाड़ जेल में शिफ्ट करने की मांग की थी।
कश्मीर से बाहर की जेलों में शिफ्ट करने के बाद इन आतंकियों का नेटवर्क कमजोर होगा। आर्टिकल 370 हटने के बाद आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। राज्य सभा में इसको लेकर गृह मंत्रालय ने लिखित जवाब दिया था कि आर्टिकल 370 हटने के बाद 2020 में 2019 के मुकाबले 59% आतंकी घटनाएं कम हुई हैं। जबकि जून 2021 तक 2020 की तुलना में 32% घटनाएं कम दर्ज हुई हैं।