नॉन स्मोकर भी हो रहे सीओपीडी से ग्रसित:रिसर्च में हुआ खुलासा…टीबी और इंडोर पॉल्यूशन से बढ़ रही समस्या

सीओपीडी (क्रॉनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के लिए सिगरेट-बीड़ी को ही मुख्य वजह माना जाता था। मगर, एसएन मेडिकल कॉलेज में हुई रिसर्च में सामने आया है कि जो लोग बीड़ी सिगरेट नहीं पीते हैं, वो भी सीओपीडी से ग्रसित हैं। केवल धूम्रपान ही इस बीमारी की वजह नहीं है। इस बीमारी के और भी कारण हैं। इन कारणों में सबसे बड़ा कारण ट्यूबरक्यूलोसिस (टीबी), इंडोर पॉल्यूशन है।

78 मरीजों पर हुई रिसर्च

एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ गजेंद्र विक्रम सिंह ने की रिसर्च ।
एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ गजेंद्र विक्रम सिंह ने की रिसर्च ।

एसएन मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के डाॅ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि वर्ष 1990 तक सीओपीडी के लिए मुख्य रूप से धूम्रपान को ही कारण माना जाता था। 90% मरीजों की हिस्ट्री धूम्रपान की ही मिलती थी। 10% मरीज ही ऐसे होते थे, जिनमें सीओपीडी होने का कारण कुछ और होता था। मगर, अब जो नई स्टडी हुई हैं, उसमें दूसरे चौंकाने वाले कारण सामने आए हैं। उन्होंने पिछले दिनों सीओपीडी के कारण जानने के लिए एक रिसर्च किया। इस रिसर्च में सीओपीडी से ग्रसित 78 मरीजों को शामिल किया। इसमें 61% पुरुष व 39% महिला मरीज हैं। इनकी औसतन उम्र 58 साल थी।

45 मरीज में मिली स्मोकिंग की हिस्ट्री
डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि जब उन्होंने सभी मरीजों की हिस्ट्री जानने के लिए बात की तो पता चला कि 78 में से 45 मरीज ही ऐसे थे, जिनकी स्मोकिंग की हिस्ट्री थी। बाकी के 33 मरीजों की स्मोकिंग की हिस्ट्री नहीं थी। जब इन 33 मरीजों से गहराई से बात की गई तो दो कारण निकल कर सामने आए।

पहला कारण था कि जो लोग पहले से टीबी से ग्रसित थे, उनमें सीओपीडी की बीमारी मिली। ऐसे मरीजों की संख्या 51% थी। वहीं, दूसरे कारण इंडोर पॉल्यूशन निकल कर सामने आया। इंडोर पॉल्यूशन में जो लोग लकड़ी, कोयला, कंडे के धुएं के संपर्क में रहते थे, उनकी सांस की नली भी सिकुड़ गई थीं। ऐसे मरीज की संख्या 42% रही। वहीं तीसरा कारण डस्टी पॉल्यूशन रहा। ये वो मरीज थे जो ऐसी जगह पर काम करते थे जहां पर धूल उड़ती थी। ऐसे मरीज की संख्या 7% थी।

केवल एयर पॉल्यूशन जिम्मेदार नहीं
उन्होंने बताया कि रिसर्च में सामने आया है कि सीओपीडी के लिए केवल एयर पॉल्यूशन जिम्मेदार नहीं है। यह एक कारण हो सकता है, लेकिन केवल एयर पॉल्यूशन से सीओपीडी की बीमारी होगी, ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला है। रिसर्च में एक और तथ्य सामने आया। यह तथ्य था कि जिन लोगों में इंडोर पॉल्यूशन या टीबी के कारण सीओपीडी हुई है, उनकी हालत स्मोकिंग करने वालों से ज्यादा खराब थी। इनमें भी टीबी वाले मरीज सबसे ज्यादा बुरी हालत में थे। इनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ भी ज्यादा खराब मिली।

ये हैं सीओपीडी के लक्षण

  • खांसी के साथ बलगम आना। दो साल या इससे ज्यादा समय तक यह समस्या रहती है।
  • सर्दी में खांसी और बलगम की दिक्कत बढ़ जाती है।
  • लगातार सांस फूलना।
  • उम्र के साथ यह दिक्कत बढ़ना।
  • व्यक्ति की कार्य क्षमता प्रभावित होना।
  • थोड़ा सा काम करने पर थकावट महसूस करना।

मौतों का तीसरे नंबर का कारण
सीओपीडी बीमारी से विश्वभर में होने वाली मौतों का तीसरा कारण है। पहले नंबर पर हृदय रोग हैं। दूसरे नंबर पर रोड एक्सीडेंट हैं। तीसरे नंबर पर सीओपीडी है। वहीं, भारत में नॉन कम्युनिकेवल डिजीज में सीओपीडी से दूसरे नंबर पर मौत होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *