कृषि कानूनों को वापस लेने से विधानसभा चुनाव पर क्या पडे़गा असर, जानिए लोगों की क्या राय है
क्या कृषि कानूनों को वापस लेने से विधानसभा चुनाव में असर देखने को मिलेगा. इस सवाल के जवाब में लोगों ने अपनी राय दी है. आप भी पढ़ें कितने प्रतिशत लोगों ने क्या कहा.
उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समते पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए कृषि कानून को वापस ले लिया गया है. केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानूनों को वापस लेने के को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. अलग-अलग लोग अलग-अलग तरीके से बात कर रहे हैं. कोई इसे चुनावी स्टंट बता रहा है तो कोई केंद्र सरकार की दरियादिली. ऐसे वक्त में जब कृषि कानून वापस लिया गया है तो लोगों के मन में सवाल उठना लाजमी है. लोगों के मन में यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या इस फैसले से अगले साल पांच राज्यों में होने वाले चुनाव पर कोई असर दिखाई दे सकता है. ऐसे में एबीपी न्यूज़ ने सी वोटर के साथ मिलकर एक स्नैप पोल किया है.
सवाल था कि क्या कानून वापस लेने के फैसले से चुनाव पर असर पड़ेगा? सर्वे में पूछे गए इस सवाल को लेकर 55 प्रतिशत लोगों ने हां में जवाब दिया जबकि 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. इस सर्वे के दौरान 14 प्रतिशत लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने कहा कि बता नहीं पाएंगे कि असर होगा या नहीं.
हां 55%
नहीं 31%
कह नहीं सकते 14%
सर्वे में आए नतीजों से साफ जाहिर होता है कि ज्यादातर लोग मानते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानून वापसी के फैसले से चुनाव पर असर पड़ेगा. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 नवंबर की सुबह देश को संबोधित करते हुए एलान किया था कि केंद्र सरकार की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाएगा.
दरअसल, इन कानूनों के खिलाफ किसान करीब एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का जत्था लगातार सड़क पर बैठकर अपनी नारजगी दिखा रहा था. इन किसानों की मांग थी कि सरकार कृषि कानून को वापस ले.
इस सर्वे में लोगों से यह भी पूछा गया कि क्या केंद्र की मोदी सरकार किसान विरोधी है या किसान समर्थक? इस सवाल पर 59 फीसदी लोगों ने कहा कि मौजूदा मोदी सरकार किसानों का समर्थक है. जबकि 29 फीसदी लोगों ने माना कि यह सरकार किसान विरोधी है. वहीं 12 फीसदी लोगों असमंजर में दिखे. इन 12 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो कह नहीं सकते हैं.
किसान समर्थक 59%
किसान विरोधी 29%
कह नहीं सकते 12%
सर्वे में यह भी जानने की कोशिश की गई कि आखिर आम जनता इस कानून को वापस लेने का श्रेय किसे दे रही है. जिसके बाद लोगों ने अपनी राय दी. 41 फीसदी लोगों ने इसके लिए सरकार को श्रेय दिया जबकि 37 प्रतिशत लोगों ने कहा कि किसानों के कारण ऐसा हुआ है.
सरकार 41%
किसान 37%
विपक्ष 22%
कानून वापस लेने से विदेशी निवेश पर असर पड़ेगा ?
हां 36%
नहीं 35%
कह नहीं सकते 29%
क्या किसान कानून किसानों के फायदे का था ?
हां 51%
नहीं 31%
कह नहीं सकते 18%
सर्वे में यह भी पूछा गया कि क्या किसान आंदोलन राजनीति से प्रेरित था? इस सवाल पर 57 फीसदी लोगों ने हां कहा. वहीं करीब 35 फीसदी लोगों का कहना था कि यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित नहीं था.
हां 57%
नहीं 35%
कह नहीं सकते 8%
किसान आंदोलन कुछ किसानों का था या जनआंदोलन?
जनआंदोलन 46%
कुछ किसानों का 42%
कह नहीं सकते 12%
किसान कानून वापस लेकर पीएम मोदी ने सही किया ?
हां 52%
नहीं 31%
कह नहीं सकते 17%
[नोट: 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान कानून वापस लेने का एलान किया. दिल्ली बॉर्डर पर करीब साल भर से किसान धरने पर बैठे हैं. किसानों का धरना अब भी जारी है. ऐसे में apnn न्यूज के लिए सी वोटर ने दो दिनों में स्नैप पोल के जरिये देश के लोगों का मूड जाना है. इस स्नैप पोल में 2 हजार 596 लोगों ने हिस्सा लिया है.]