ट्रेन हादसे ने खोली रेलवे की पोल ….. दो घंटे ग्वालियर में खड़ी रही ट्रेन, यात्री बोले- छूकर निकली मौत; फायर सेफ्टी इक्विपमेंट खराब थे

धौलपुर-मुरैना के बीच उधमपुर एक्सप्रेस में शुक्रवार को लगी आग से एक बार फिर ट्रेनों में आग की घटनाओं को रोकने के दावों की पोल खुल गई। चंबल पुल से पहले ट्रेन के ए-1 कोच के वॉशरूम से आग लगना शुरू हुई। चंबल पुल से ट्रेन गुजरते समय हवा से आग और भड़क गई। हेतमपुर के पास ट्रेन रोककर ट्रेन में लगे फायर सेफ्टी इक्विपमेंट से आग पर काबू करना चाहा। देखा तो इक्विपमेंट खराब थे। ज्यादातर एक्सपायर हो चुके थे। करीब 30 मिनट बाद फायर ब्रिगेड आई। जब तक आग में किसी की ज्वेलरी जल गई, तो किसी के कपड़े और डॉक्यूमेंट राख हो गए।

घटनास्थल पर 3.10 बजे ट्रेन रोकी गई थी। शाम 5.53 बजे वहां से रवाना किया गया। ग्वालियर स्टेशन पर ट्रेन 7.02 बजे आई। यहां से ट्रेन रात 8.54 बजे रवाना हुई है। 2 घंटे यहां ट्रेन खड़ी रही। हादसे को करीब 5 घंटे हो चुके थे, लेकिन इसके बाद भी यात्रियों के चेहरे पर दहशत दिखी। लोगों का कहना था कि यह समझ लो कि मौत छू कर निकल गई।

यात्री बोले- खतरनाक था, वो मंजर
पठानकोट निवासी संजय अप्पू गुप्ता का कहना था कि रेलवे के AC कोच में आग बुझाने के इंतजाम नहीं हैं, तो आम कोच के क्या हालत होंगे। A-1 कोच में सफर कर रही कविता का कहना था कि उनकी ज्वेलरी जल गई। राजेंद्र गुप्ता का कहना था कि ऐसा खौफ का मंजर कहीं नहीं देखा। छत्तीसगढ़ के रहने वाले सत्या गुप्ता का कहना था कि बच्चों को जैसे-तैसे चलती ट्रेन से उतारा। हम भी चलती ट्रेन से ही उतरे।

हेतमपुर स्टेशन के पास जलती ट्रेन।
हेतमपुर स्टेशन के पास जलती ट्रेन।

ग्वालियर में दिया गया खाना, 3 कोच जोड़े गए
घटना के बाद काटे गए तीन कोचों के यात्रियों को ग्वालियर में खाना-पानी दिया गया। दूसरे कोच के यात्रियों को चाय बिस्किट दिए गए। ट्रेन करीब दो घंटे खड़ी रही। तीन कोचों को जोड़ा गया है, इसके बाद ट्रेन को रवाना किया गया। इस दौरान यात्री परेशान होते रहे, क्योंकि जिनका सामान पूरा जल गया, उनकी सुनवाई नहीं हुई। एक युवती का पुलिस में सिलेक्शन हो गया था, लेकिन उसके डॉक्यूमेंट जल गए। उसे डॉक्यूमेंट जमा करने थे।

जांच के लिए टीम गठित
झांसी रेल मंडल के PRO शिवम शर्मा ने बताया कि हादसे की जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है। आग टॉयलेट सेक्शन से लगी है। फायर सेफ्टी इक्विपमेंट पर उनका कहना था कि ट्रेन में लगे फायर सेफ्टी इक्विपमेंट से ही प्रारंभिक तौर पर आग पर काबू पाया जा सका।

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