किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर शाह सहमत …. किसान नेता युद्धवीर से गृह मंत्री की फोन पर हुई बात, दो दिन में बातचीत संभव
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता युद्धवीर सिंह से फोन पर शनिवार को बात की है। किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर सहमति बन गई है। यह भी आश्वासन मिला है कि सरकार बिजली संशोधन बिल लागू नहीं करेगी। MSP का लाभ किसानों को कैसे मिलेगा, इस पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने 5 सदस्यीय कमेटी बना ली है। कमेटी की रविवार-सोमवार को गृह मंत्री से वार्ता हो सकती है।
BJP शासित राज्यों को पत्र लिखेंगे, रेलवे के मुकदमे सीधे केंद्र सरकार खत्म करेगी
भाकियू नेता युद्धवीर सिंह ने अमित शाह से बातचीत की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को फोन पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से बात हुई और शनिवार को अमित शाह से फोन पर वार्ता हुई। यह वार्ता सकारात्मक रही। किसानों पर दर्ज मुकदमों के संबंध में गृह मंत्री ने उनसे कहा है कि भाजपा शासित राज्यों में दर्ज मुकदमों को खत्म करने के लिए राज्य सरकारों को पत्र लिखेंगे। जबकि रेलवे के मुकदमे केंद्र सरकार सीधे समाप्त कर देगी। किसान नेताओं का दावा है कि अकेले हरियाणा में ही 45 हजार से ज्यादा किसानों पर मुकदमे एक साल के भीतर दर्ज हुए हैं। दिल्ली में 26 जनवरी 2021 की हिंसा के बाद से भी दर्जनों किसान जेल में बंद हैं।
यूपी-पंजाब में मुआवजे की तैयारी शुरू
युद्धवीर सिंह ने बताया कि हमारे पास करीब 700 से ज्यादा किसानों की सूची उपलब्ध है। इन किसानों की मृत्यु किसान आंदोलन के दौरान हुई है। हमारी मांग है कि इन्हें 25-25 लाख मुआवजा मिले और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी दी जाए। गृह मंत्री ने उन्हें इस मुद्दे पर बताया है कि पंजाब व यूपी सरकार इसकी तैयारी कर रहे हैं। जल्द होने वाली वार्ता में मुआवजे के मुद्दे पर भी चर्चा की जाएगी।
युद्धवीर बोले- वार्ता के सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद
भाकियू नेता युद्धवीर सिंह का कहना है कि MSP एक बड़ा मुद्दा है जो शुरू से हमारी मांगों में सर्वोपरि रहा है। MSP का स्वरूप कैसा होना चाहिए, इसी पर चर्चा करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी से गृह मंत्री की सीधे चर्चा होगी। युद्धवीर सिंह ने संभावना जताई है कि गृह मंत्री संग होने वाली बैठक के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने सात दिसंबर को पुन: बैठक सिंघु बॉर्डर पर बुलाई है। माना जा रहा है कि 5 और 6 दिसंबर को वार्ता हो सकती है। इस वार्ता के बिंदुओं को एसकेएम की 7 दिसंबर की बैठक में रखा जाएगा। तब आंदोलन को लेकर कुछ बड़ा ऐलान हो सकता है।
बिजली संशोधन बिल-2021 में क्या है?
बिजली वितरण कंपनियों की बजाय ग्राहक के खाते में सब्सिडी जाएगी। ग्राहक को पहले पूरा बिल चुकता करना होगा, तब उसे सब्सिडी मिलेगी।
वितरण कंपनियां ग्राहकों को बताए बिना बिजली की कटौती नहीं करेंगी। तय समय से ज्यादा बिजली कटौती करने वाली कंपनी को हर्जाना भरना होगा।
एक क्षेत्र में कई कंपनियों को बिजली आपूर्ति की छूट दी जाएगी। ग्राहक अपनी पसंद की बिजली कंपनी चुन सकेंगे।
बिजली वितरण क्षेत्र को डी-लाइसेंस करने का प्रस्ताव। इससे नई कंपनियां इस क्षेत्र में आएंगी।
इस बिल का विरोध क्यों?
इस समय कई राज्यों में किसानों को या तो बिजली फ्री मिलती है या फिर उनसे नाम मात्र का शुल्क लिया जाता है। अब यदि विधेयक आता है तो किसानों को बिजली का वास्तविक मूल्य चुकाना होगा। इसीलिए किसान आंदोलन में यह मांग जोर-शोर से उठ रही है कि इस विधेयक को न लाया जाए। बिजली कर्मचारियों का कहना है कि इस नए विधेयक से बिजली का पूरी तरह निजीकरण किया जा रहा है। इसलिए कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं।