योगी-भागवत की मुलाकात से राजनीति-हिंदुत्व का नया एजेंडा होगा तय!
हिंदू एकता महाकुंभ में ढाई घंटे रहेंगे; हारी हुई 91 विधानसभा सीटों पर सबसे बड़ा मंथन……
चित्रकूट में 3 दिवसीय हिंदू एकता महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। इस महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए कई बड़ी हस्तियां पहुंच चुकी हैं। RSS चीफ मोहन भागवत भी चित्रकूट पहुंच चुके हैं। इस महाकुंभ का आयोजन तुलसीपीठाधीश्वर श्री रामभद्राचार्य कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के आयोजन का प्रकट उद्देश्य तो हिंदू एकता पर चिंतन करना बताया गया है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि चुनाव से पहले इस आयोजन का मकसद भाजपा के होम टर्फ यानी हिंदुत्व की भावना को राजनीति के केंद्र में लाना है।
दरअसल, 2017 चुनावों में भाजपा प्रचंड बहुमत में 312 सीट ही जीत पाई थी। 13 सीटें उसके सहयोगी दलों के खाते में गई थी। भाजपा 91 सीटों पर हार गई थी। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि इसमें से 30 फीसदी सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं, जहां हिंदुत्व का फार्मूला नहीं चला था। ऐसे में हिंदू एकता महाकुंभ के जरिए उन सीटों पर भी फोकस करना है।
योगी करेंगे नाथ संप्रदाय का प्रतिनिधित्व
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे। योगी आदित्यनाथ को इस कार्यक्रम में बतौर मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि नाथ संप्रदाय के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल किया जाएगा। इस कार्यक्रम में श्री श्री रवि शंकर, चिदानंद मुनि, रामानुजाचार्य, कैलाशानंद गिरी जी महाराज जैसी बड़ी शख्सियत शामिल होंगी।
RSS चीफ के साथ मंच पर बैठेंगे 60 लोग
हिंदू एकता महाकुंभ कार्यक्रम के लिए तीन बड़े-बड़े पंडाल लगाए गए हैं। मंच पर मोहन भागवत समेत 60 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है, जबकि मंच के सामने 2 लाख कुर्सियां लगाई गई हैं। हालांकि, आयोजकों का दावा है कि कार्यक्रम में 5 लाख लोग जुटेंगे। सभी बाहर से आए संत, महंत और अन्य मेहमानों के रुकने की व्यवस्था तुलसी पीठ, आरोग्य धाम, मन्दाकिनी रिसोर्ट और यूपी टूरिज्म के बंगले में कई गई है।
मठ, मंदिर से लेकर कॉमन सिविल कोड है एजेंडे में
आचार्य रामचंद्र दास ने बताया कि कार्यक्रम के आयोजन के लिए 12 बिंदुओं का एजेंडा तय किया गया है। इस एजेंडे पर देश भर से हिंदुओं से चर्चा की जाएगी और हम संत अपनी इच्छाओं से सरकार को एक डॉक्यूमेंट के जरिए अवगत कराएंगे, ताकि सरकार उस पर अमल कर सके। उन्होंने बताया कि एजेंडे में मठ, मंदिर से लेकर कॉमन सिविल कोड तक है।
क्या संत भाजपा से नाराज हैं ?
आचार्य रामचंद्र दास का कहना है कि ऐसा नहीं है। हम यह मांगें इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि एक लंबे समय से जनता से संतों का संवाद नहीं हुआ है। इसकी वजह से हिंदू धर्म के बारे में कुछ ज्यादा ही गलत प्रचार किया जाने लगा है। इस परिचर्चा से कई बातें साफ होंगी। साथ ही केंद्र और यूपी समेत कई राज्यों में भाजपा है। यह हमारे लिए अच्छी बात है। हमारी इच्छाओं की पूर्ति के लिए यह समय अनुकूल है। हमारी मांग भाजपा से नहीं, बल्कि सरकार को हम बताना चाहते हैं कि जल्द से जल्द इन विषयों पर निर्णय लिया जाए।