MP: पंचायत चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को किया हाईकोर्ट रेफर, कहा- ‘एक ही याचिका को दो न्यायालयों में नहीं सुना जा सकता’

कांग्रेस ने औपचारिक रूप से पंचायत चुनाव के मुखालफत करने से इंकार कर दिया है, हालांकि इसे लेकर कांग्रेस द्वारा पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया गया है, जो इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रख रही है.

मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण निर्णय आया है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव के नियम संबंधी याचिका को जबलपुर हाईकोर्ट को रेफर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक ही याचिका को दो न्यायालयों में नहीं सुना जा सकता, जिसकी वजह से अब सारी सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में होगी. दरअसल पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस भी कन्फ्यूजन की स्थिति में है. एक ओर उसने चुनाव प्रक्रिया का विरोध करने से इंकार कर दिया है, दूसरी ओर कांग्रेस के ही नेताओं ने इस प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट में अलग अलग याचिकाएं दायर कर रखी हैं.

हालांकि यह याचिकाएं कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी और आपसी खींचतान का परिणाम ज्यादा लग रही हैं. चुनाव की इस पूरी प्रक्रिया को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा और कुछ कांग्रेस के अन्य नेताओं ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. जिस पर जबलपुर हाईकोर्ट में चर्चा भी हुई थी.

कमलनाथ गुट के नेता याचिका लगाकर पैदा की मुश्किलें

इस बीच कमलनाथ गुट के नेता और प्रवक्ता सैयद जाफर ने जया ठाकुर के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी. उसका नुकसान यह हुआ कि जबलपुर हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया और उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट ले जाना पड़ गया. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया इस पूरी प्रक्रिया में सैयद जाफर के याचिका लगा देने से देरी हो गई, विवेक तंखा इसे लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन सैयद जाफर ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर मामले को फंसा दिया है.

शिवराज सरकार के आते ही बदल दिए गए थे कांग्रेस सरकार के फैसले

सुप्रीम कोर्ट के वापस इस मामले को हाईकोर्ट रेफर करना यह बताता है कि सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाना नुकसानदायक साबित हुआ है. कांग्रेस का एक धड़ा इसीलिए भी नाराज है क्योंकि मीडिया में सभी जगह सैयद जाफर की याचिका की चर्चा है जबकि उनका मानना है कि असल काम विवेक तंखा कर रहे हैं. दरअसल शिवराज सरकार ने वापस सत्ता में आने के बाद कमलनाथ सरकार का एक महत्वपूर्ण फैसला पलटा था, सरकार ने उन पंचायतों का परिसीमन निरस्त कर दिया था, जहां पिछले 1 साल से चुनाव नहीं हुए थे.

सरकार ने प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश 2021 लागू कर दिया था. पंचायत अधिनियम में किए गए इसी संशोधन को कोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिसमें बताया गया था कि ये संशोधन संविधान की धारा 243 के खिलाफ है. इसे लेकर एक याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई गई थी जबकि मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सैयद जाफर और जया ठाकुर ने चुनाव में सरकार द्वारा रोटेशन के आधार पर आरक्षण न करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की गई थी.

कांग्रेस ने पंचायत चुनाव की मुखालफत करने से किया इंकार

कांग्रेस ने औपचारिक रूप से पंचायत चुनाव के मुखालफत करने से इंकार कर दिया है, हालांकि इसे लेकर कांग्रेस द्वारा पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया गया है, जो इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रख रही है. इसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति, डॉक्टर गोविंद सिंह, सज्जन वर्मा, झूमा सोलंकी और चुनाव कार्य के प्रभारी जेपी धनोपिया सदस्य हैं.

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