Bhind… अधूरी तैयारियों के साथ फिर कोविड से जंग लड़ेगा जिला अस्पताल, एमडी मेडिसिन डॉक्टर मिले, न सीटी स्कैन लगी

कोविड की तीसरी लहर…सावधान रहें……

इन दिनों प्रदेश में कोविड मरीजों की संख्या बढ़ रही ..है। भिंड जिले में भी कोविड के मरीजों मिलने लगे हैं। ऐसे में मरीजों के उपचार और जांच को लेकर दो साल बाद भी अस्पताल प्रबंधन पूरी तैयारी के साथ मुस्तैद नहीं हो सका है। एक बार फिर से आधी अधूरी तैयारी के साथ जिला अस्पताल कोविड की तीसरी जंग लड़ेगा। हालांकि कोविड के पिछले दो फेस के बाद जिला अस्पताल अपडेट हुआ है। कई अस्पताल प्रबंधन ने दूर की है।

मार्च 2020 और अप्रैल 2021 में कोविड ने दस्तक दी थी। अब तीसरी लहर देश के अंदर शुरू हो चुकी है। भिंड जिले अस्पताल ने कोविड के दो फेस देख हैं। प्रथम फेस नॉर्मल रहा था परंतु द्वितीय फेस में लोगों की रूह कंपने वाला था। आए दिन जिला अस्पताल के कोविड वार्ड से मरीजों के शव निकल रहे थे। ऐसे में जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के हाथ पैर फूल चुके थे। जिला अस्पताल में द्वितीय फेस के दौरान सबसे ज्यादा कमी एमडी मेडिसिन डॉक्टर की खली थी। बताना उचित होगा कि भिंड जिला अस्पताल में सिर्फ एक एम डी मेडिसिन डाॅक्टर है। हर रोज आने वाले मरीजों को उपचार के लिए तीन कम से कम तीन एम डी मेडिसिन चिकित्सक की अति आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में जिला अस्पताल प्रबंधन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों का सहयोगी के तौर पर तैनात किया था। परंतु मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉक्टर न होने पर उपचार के दौरान कई प्रकार की चूक देखने को मिलती रही थी। अब यही स्थिति फिर से न बने, जिला अस्पताल द्वारा सरकार से दो एम डी मेडिसिन चिकित्सकों की मांग की गई है, परंतु अब तक कोई भी नया चिकित्सक नहीं मिल सका है।

सिटी स्कैन मशीन नहीं लग सकी

भिंड जिला अस्पताल में द्वितीय फेस के दौरान जोर शोर से सिटी स्कैन मशीन की मांग उठी थी। मशीन के अभाव में मरीजाें को भिंड से ग्वालियर रेफर किया जाता था। यानी एक मरीज को सिटी स्कैन कराने के लिए एम्बुलेंस से ग्वालियर जाता था। ग्वालियर से सिटी स्कैन कराकर फिर वापस आता था। अर्थात 12 घंटे से ज्यादा समय एक मरीज को कोविड वार्ड से दूर रहकर जान से खिलवाड़ करनी होती थी। एम्बुलेंस आदि का खर्च का भार अतिरिक्त होता था। ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए सांसद संध्या राय ने सरकार के लिए पत्र लिखा। इसके अलावा प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया और राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया ने भी मशीन लगवाने पर एक मत दिखाई दिए थे। प्रस्ताव तैयार होते ही जनप्रतिनिधि श्रेय की होड़ में जुट गए थे, लेकिन मशीन लगाने का प्रस्ताव अब तक अधूरा है।

ऑक्सीजन प्लांट लगे

जिला अस्पताल में पहले और द्वितीय फेस में जिला प्रशासन ने ऑक्सीजन की कमी नहीं आने दी थी। दूसरे कोविड काल के बाद जिला अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट लग चुके है। यहां लिक्युड ऑक्सीजन प्लांट भी लगाया गया है। जिला अस्पताल में ढाई सौ से ज्यादा पलंगों को ऑक्सीजन पाइप लाइन से जोड़ा जा चुका है। वहीं बच्चा वार्ड में दस बेडों तकसप्लाई लाइन बिछाई जा चुकी है। इस सबके बीच अच्छी खबर यह है कि जिले में बाल एवं शिशु राेग की कमीं नहीं है। वहीं, बीमारी के दौरान आवश्यक मेडिसन को लेकर भी जिला अस्पताल प्रबंधन मंगाने में जुटा है।

शासन से की है मांग

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अनिल गाेयल का कहना है कि कोविड के पहले और दूसरे फेस के बाद अस्पताल बहुत अपडेट हुआ है। ऑक्सीजन की कमी को दूर कर लिया गया है। दो मेडिसिन चिकित्सक की जरूरत है इसके लिए शासन को पत्र लिखा है। वहीं, एक सिटी स्कैन मशीन जल्द लगेगी।

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