अगला राष्ट्रपति कौन … फिर सरप्राइज कर सकते हैं पीएम मोदी, 4 नाम सबसे ज्यादा चर्चा में

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है। पांच महीने बाद राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इससे पहले BJP और RSS के भीतर राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों के नामों को लेकर मंथन शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनाव के बाद नामों पर मंथन और तेज हो जाएगा।

इस बीच राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के लिए BJP और RSS के बीच चार नामों को लेकर सबसे अधिक चर्चा है। इनमें यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू प्रमुखता से शामिल हैं। हालांकि PM मोदी आखिरी मौके पर नया नाम लाकर सबको चौंका भी सकते हैं, जैसा कि अक्सर देखने को मिला है। चलिये आगे बढ़ने से पहले एक पोल में हिस्सा में लेते हैं…

 

क्यों रेस में ये 4 नाम…

आनंदी बेन पटेल : आनंदी बेन पटेल PM नरेंद्र मोदी की बेहद करीबी हैं, वे UP की राज्यपाल हैं। गुजरात की CM रह चुकी हैं। तर्क दिया जा रहा है कि NDA के पहले कार्यकाल में भाजपा ने वैज्ञानिक अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया था, वे राष्ट्रपति भी बने। इसके जरिये भाजपा ने देश और दुनिया के मुस्लिमों को संदेश देने की कोशिश की थी।

PM मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में दलित समाज से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाकर दूसरा बड़ा संदेश दिया। मुस्लिम और दलित के बाद अब भाजपा एक महिला को राष्ट्रपति बनाकर 2024 से पहले महिलाओं में भी एक बड़ा सियासी संदेश देना चाहती है।

क्योंकि, UPA के पहले कार्यकाल में कांग्रेस ने प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति बनाया था। हालांकि, आनंदी बेन पटेल के लिए निगेटिव बात ये है कि उनकी उम्र 80 साल से अधिक है, जिसके चलते उनके नाम पर सहमति बनाना कठिन हो सकता है।

आरिफ मोहम्मद खान : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान UP के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। शाहबानो केस को लेकर आरिफ ने राजीव गांधी सरकार में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद वह सुर्खियों में आए थे।

तीन तलाक, CAA जैसे मामलों पर आरिफ हमेशा भाजपा के लिए ढाल बने रहे। भाजपा उन्हें प्रगतिशील विचारधारा का मानती है। ऐसे में BJP और RSS एक बार फिर से मुस्लिम चेहरे को राष्ट्रपति बनाकर न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में यह मैसेज देना चाहेंगे कि वे मुस्लिम विरोधी नहीं हैं, बल्कि तुष्टिकरण का विरोध करते हैं।

वेकैंया नायडू : उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं और लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं। नायडू 2002 से 2004 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। वे अटल बिहारी सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे।

मोदी सरकार में शहरी विकास, आवास, शहरी गरीबी उन्मूलन, सूचना प्रसारण तथा संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण महकमे की कमान संभाली। नायडू अगस्त 2017 से उपराष्ट्रपति हैं। नायडू को राष्ट्रपति बनाकर भाजपा दक्षिण भारत में अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत करने के लिए बड़ा सियासी संदेश दे सकती है।

एक्सपर्ट्स व्यू

राष्ट्रपति को रिपीट करने की परंपरा खत्म

किसी राष्ट्रपति को रिपीट करने की परंपरा तो खत्म हो गई है। ऐसे में जिस तरह से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और PM नरेंद्र मोदी के बीच रिश्ते रहे हैं, उसको देखते हुआ कहा जा सकता है कि वेंकैया का नाम राष्ट्रपति पद के लिए नंबर वन पर हो सकता है। आरिफ मोहम्मद को उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा प्रत्याशी बना सकती है। – राम बहादुर राय, वरिष्ठ पत्रकार

PM की कार्यशैली चौंकाने वाली रही है

ये चर्चित नाम तो हैं, जिस पर भाजपा राष्ट्रपति के पद के लिए विचार कर सकती है, लेकिन PM नरेंद्र मोदी की कार्यशैली हमेशा सबको चौंकाने वाली रही है। जिस व्यक्ति की कहीं कोई चर्चा नहीं होती, उसे लेकर मोदी आते हैं। रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी जब बनाया गया तो, उस समय किसी ने भी कोविंद का नाम नहीं लिया था। -प्रदीप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

पिछले 45 साल से 25 जुलाई को ही खत्म होता है राष्ट्रपति का कार्यकाल

नीलम संजीव रेड्‌डी ने देश के 9वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी। तब से हर बार 25 जुलाई को ही नए राष्ट्रपति कार्यभाल संभालते आए हैं। रेड्‌डी के बाद ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकरदयाल शर्मा, केआर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणव मुखर्जी और रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को शपथ ले चुके हैं।

दो राष्ट्रपति का पद पर रहते निधन हुआ

देश में दो राष्ट्रपति ऐसे भी रहे, जिनका देहांत राष्ट्रपति पद पर रहते हुए हो चुका है। इसमें तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन और सातवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद शामिल हैं। जाकिर हुसैन 13 मई 1967 से तीन मई 1969 के बीच ही राष्ट्रपति रहे थे।

उनके देहांत के बाद उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। इसी तरह से सातवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक ही अपने पद पर रहे। उनका देहांत होने के कारण बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाना पड़ा था।

ये रहे कार्यवाहक राष्ट्रपति

राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के देहांत के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मुहम्मद हिदायतुल्ला को राष्ट्रपति चुना गया। जबकि फखरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।

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