यूपी के स‍िंंहासन पर दोबारा काब‍िज होने के ल‍िए व‍िकास कार्यों के साथ ही ह‍िंदुत्‍व को चुनावी ‘हथ‍ियार’ बना रही है बीजेपी

उत्‍तर प्रदेश की स‍ि‍यासत में बीजेपी के ल‍िए ह‍िंदुत्‍व का मुद्दा हमेशा से फायदेमंद रहा है. 1991 से लेकर 2007 तक बीजेपी को सरकार बनाने में ह‍िंदुत्‍व के मुद्दे ने अहम भूम‍िका न‍ि‍भाई है. ऐसे में इस साल जहां यूपी के चुनाव में क‍िसानोंं की नाराजगी समेत अन्‍य मुद्दे प्रभावी हैं तो इसमें बीजेपी को अपने व‍िकास कार्यों के साथ ही ह‍िंदुत्‍व कार्ड का सहारा है.

उत्‍तर प्रदेश व‍िधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election) 2022 का शंखनाद हो गया है. ज‍िसमें बीजेपी (BJP) दोबारा सत्‍ता की वापसी के ल‍िए चुनावी मैदान में हैं. तो वहीं अन्‍य दल बीजेपी को हटाकर बहुमत जुटाने के ल‍िए संघर्षरत हैं. ज‍िसके तहत सपा अपने कार्यकाल में कराए गए विकास कार्य के साथ मुफ्त बिजली और पुरानी पेंशन की बहाली और जातिवादी मुद्दे से मतदाताओं (Voters)को लुभाने की कोशिश में जुटी है. तो वहीं बसपा भी मायावती राज के दौरान की शासन व्‍यवस्‍था के आधार पर वोट मांग रही है. इन सबके बीच बीजेपी दोबारा यूपी का क‍िंग बनने के ल‍िए केंद्र सरकार व योगी सरकार (Yogi Adityanath government) के कार्यकाल में हुए व‍िकास कार्यों के साथ ही, कानून व्‍यवस्‍था व ह‍िंदुत्‍व कार्ड को अपना चुनावी हथि‍यार (मुद्दा ) बनाने में जुट गई है. ज‍िसके ल‍िए बीजेपी धरातल से लेकर सोशल मीड‍िया में मोर्चाबंदी करती नजर आ रही है.

बीते चुनावों में बीजेपी के ल‍िए फायदेमंद रहा है ह‍िंदुत्‍व का मुद्दा

उत्‍तर प्रदेश की स‍ियासत में बीजेपी के ल‍िए हि‍ंंदुत्‍व का मुद्दा फायदेमंद साब‍ित रहा है. इस मुद्दे को भुनाकर जहां बीजेपी ने 2017 में प्रंचड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. तो इससे पहले बीजेपी इस मुद्दे के आधार पर 1991, 1997 में उत्‍तर प्रदेश के अंदर सरकार बना चुकी है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सीताराम पांडे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए हिंदुत्व कार्ड कोई नया नहीं है. बल्कि चुनाव जीतने का यह पुराना फार्मूला रहा है. इस बार जहां किसानों की नाराजगी का मुद्दा है. वहीं युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा भी बीजेपी को परेशान कर रहा है. ऐसे में हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के सहारे ही भाजपा को सफलता की उम्मीद है।

व‍िकास कार्योंं के साथ ही 80 बनाम 20, दंगें व पलायन के मुद्दों को फ‍िर हवा दे रही बीजेपी

उत्‍तर प्रदेश व‍िधानसभा चुनाव में दोबारा बहुमत पाने के ल‍िए जहां बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण, जेवर एयरपोर्ट, नोएडा फिल्म सिटी और गंगा एक्सप्रेसवे के न‍िर्माण के आधार पर वोट मांग रही है. तो वहीं बीजेपी ने 80 बनाम 20 की लड़ाई, दंगें व पलायन के मुद्दों को भी हवा दे रही है. ज‍िसके तहत बीजेपी कार्यकर्ता धरातल से लेकर सोशल मीड‍िया में मोर्चा संभाले हुए हैं. इससे पूर्व बीजेपी के कई वर‍िष्‍ठ नेता कई मंचों से ”अयोध्या, काशी तो सिर्फ झांकी है अभी मथुरा बाकी है” जैसे नारे दे चुके हैं. तो वहींं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले कई बार अपने भाषणों में सपा के लिए अब्बाजान का जिक्र कर चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ 80 बनाम 20 की लड़ाई का मुद्दा भी उछाला जा रहा है.

चुनाव में बीजेपी के ह‍िंंदुत्‍व कार्ड की एक बानगी के तहत बीते द‍िनों कैराना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पलायन और दंगा पीड़ितों से मुलाकात कर दोनों ही मुद्दों को हवा देने की कोश‍िश की थी. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री बताते हैं कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में पलायन और सुरक्षा का जोर शोर से बीजेपी के द्वारा प्रचार करना ध्रुवीकरण की जमीन को तैयार किया जा रहा है. वहीं इससे दूसरी पार्टियां भी परेशान है क्योंकि पिछले चुनाव 2017 में मुजफ्फरनगर और कैराना में हिंदुओं के पलायन के मुद्दे को लेकर बीजेपी को बड़ी सफलता मिली थी. इसलिए इस बार भी भाजपा विकास के साथ-साथ इन मुद्दों को भी प्रमुखता से उठा रही है।

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