UP Assembly Election 2022 … 2017 में BJP ने पश्चिमी यूपी के 11 जिलों की 53 सीटों पर मारी थी बाजी, इस बार कैसे हैं समीकरण
यूपी की चुनावी जंग शुरू हो गई है. 10 फरवरी को पहले चरण के 11 जिलों- शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, मथुरा, आगरा और अलीगढ़ की 58 सीटों पर मतदान होगा.
यूपी की चुनावी जंग शुरू हो गई है. 10 फरवरी को पहले चरण के 11 जिलों- शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, मथुरा, आगरा और अलीगढ़ की 58 सीटों पर मतदान होगा. 2017 के चुनाव में बीजेपी ने यहां पर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था. 2017 के चुनाव में सपा, बीएसपी और आरएलडी अलग-अलग चुनाव लड़ी थीं और विपक्ष को 5 सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी ने 53 सीटों पर बाजी मारी थी.
इस बार बीजेपी, एसपी-आरएलडी गठबंधन और बीएसपी की लड़ाई नजर आ रही है. कुछ सीटों पर कांग्रेस भी लड़ाई में है. 2017 में सपा और आरएलडी ने अकेले-अकेले चुनाव लड़ा था. सपा ने कांग्रेस से गठबंधन किया था और 311 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिसमें 47 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि आरएलडी ने किसी के साथ गठबंधन नहीं किया था और 277 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 1 सीट पर उसे जीत मिली थी. अगर 2017 के आरएलडी और सपा के वोट मिला दें तब भी गठबंधन मात्र 8 सीटों पर ही जीतता दिखाई दे रहा है.
ये आठ सीटें हैं शामली, बुढ़ाना, मीरापुर, सिवालखास, बड़ौत, लोनी, मोदीनगर और मांट. इसमें मांट सीट पर बीएसपी ने जीत दर्ज की थी जबकि बाकी सात सीटों पर बीजेपी जीती थी. 2017 के चुनावों में भी मुस्लिम वोटों के बिखराव का फायदा बीजेपी को हुआ था और मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर भी जीत दर्ज की थी क्योंकि बीजेपी को छोड़ बाकी दलों ने मुस्लिम को मैदान में उतारा था जिसके कारण बीजेपी बाजी मार गई थी.
शामली जिले की थानाभवन सीट
इस सीट से योगी सरकार के मंत्री सुरेश राणा आते हैं. इस सीट पर राणा की जीत 2012 से हो रही है. 2012 और 2017 के चुनावों को देखा जाए तो राणा का इस सीट पर मुकाबला बीएसपी और आरएलडी के साथ होता रहा है. सपा यहां चौथे नंबर की पार्टी रही है. राणा की जीत को सहारा मिलता है मुस्लिम वोटों के बिखराव से. इस बार सपा और आरएलडी का गठबंधन है.
2012 की बात करें तो इस सीट पर आरएलडी ने अशरफ अली और बीएसपी से अब्दुल वारिस चुनाव लड़े थे. तीनों को 50 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. 2017 में भी यही हुआ था. आरएलडी और बीएसपी नें मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जिसका फायदा सुरेश राणा को मिला था. 2022 के चुनाव में भी राणा के खिलाफ बीएसपी ने मुस्लिम चेहरे जहीर मलिक को उतारा है. जबकि रालोद- सपा ने अशरफ अली को टिकट दिया है.
धौलाना में पिछली बार के उलट हैं हालात
अब हापुड़ जिले की धौलाना सीट को ले लें. इस सीट पर बीजेपी ने 2012 में समाजवादी पार्टी से विधायक रहे धर्मेश तोमर को मैदान में उतारा है. जबकि समाजवादी ने 2017 में बीएसपी से विधायक रहे असलम अली को मैदान में उतारा है.
जबकि बीएसपी ने इस बार बासीद को अपना उम्मीदवार बनाया है. 2017 में इस सीट पर बीएसपी से अकेले असलम ही अल्पसंख्यक उम्मीदवार थे जबकि बीजेपी और एसपी दोनों ने हिंदू उम्मीदवार खड़े किए थे, जिस कारण असलम बाजी मार गए थे, वो भी तकरीबन 3 हजार वोटों से. इस बार मामला उलट है. धर्मेश अकेले हिंदू उम्मीदवार हैं जबकि एसपी और बीएसपी दोनों ने मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव खेला है.
मेरठ की सिवालखास विधानसभा सीट
इस पर 2017 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. उस दौरान बीएसपी और सपा दोनों ने मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवार खड़ा किया था. जबकि 2012 में इस सीट से सपा ने जीत दर्ज की थी. जबकि बीएसपी, बीजेपी और आरएलडी ने हिंदू उम्मीदवारों पर भरोसा किया था. इस बार फिर 2017 वाले हालात हैं. सपा और आरएलडी ने जहां एक तरफ 2012 के सपा विधायक गुलाम मोहम्मद को आरएलडी के टिकट पर उतारा है. वहीं बसपा ने इस बार मुकर्रम अली को इस सीट से मैदान में उतारा है.
अलीगढ़ की कोइल विधानसभा सीट
2017 में कोइल में कुल 41.04 प्रतिशत वोट पड़े. 2017 में भारतीय जनता पार्टी के अनिल पराशर ने समाजवादी पार्टी के शाज इशाक उर्फ अज्जू इशाक को 50963 वोटों के मार्जिन से हराया था. इस सीट पर सपा और बीएसपी दोनों ने मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं.