आचार्यश्री के सानिध्य के लिए छोड़ी लाखों की जॉब … किसी ने SDM, CA की तो किसी ने बैंक की नौकरी ठुकराई, आचार्य से प्रेरित होकर बने वैरागी
कुण्डलपुर में आयोजित महामहोत्सव में आचार्य विद्यासागर के दर्शन के लिए लाखों लोग आ रहे हैं। आचार्य से प्रेरित होकर सैकड़ों लोग वैराग्य की राह पर चल दिए हैं। लेकिन आज हम आपको 8 ऐसे रत्नों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने आचार्य का सानिध्य प्राप्त करने के लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया। किसी ने सरकारी पद छोड़ा, किसी ने प्रशासनिक सेवाएं, किसी ने MNC के ऑफर ठुकराएं तो किसी ने लाखों रुपए की नौकरी।
सुलभ भैया
(कुण्डलपुर हथकरघा में CA)
ब्रह्मचारी सुलभ भैया रायसेन के रहने वाले हैं। वे चार्टर्ड एकाउंटेंट (CA) थे। वे आचार्य विद्यासागर महाराज की मानव समाज कल्याण की विचारधारा से प्रभावित हुए। इसके बाद स्वयं के कल्याण की जगह मानव कल्याण का ध्येय अपना लिया। उन्होंने 2014 में जबलपुर पहुंचकर ब्रम्हाचारी की दीक्षा ली। वर्तमान में सुलभ हथकरधा कुण्डलपुर में CA हैं।
सौरभ भैया
(औषधि फसलें कर रहे तैयार)
ब्रह्मचारी सौरभ भैया नरसिंहपुर के गोटेगांव के रहने वाले हैं। उनके परिवार कपड़े का थोक कारोबार करता है। उन्होंने 2019 में नेमावर में गुरुजी से ब्रम्हाचर्य का पूर्णकालिक व्रत लिया था। वर्तमान में वह जबलपुर में 250 औषधि की फसलें खेत में तैयार कर रहे हैं। उन्हें 5 सौ से ज्यादा जड़ी बूटियों का ज्ञान है।
अक्षय भैया
(CA)
उत्तरप्रदेश ललितपुर के रहने वाले ब्रह्मचारी अक्षय भैया CA हैं। वे बेंगलुरु की एक MNC में जॉब करते थे। साल 2011 में बीना बारहा में आचार्य से पूर्णकालिक ब्रह्मचर्य का व्रत लिया। उनका मानना है कि आचार्यश्री का लक्ष्य है कि अहिंसा से भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाना है।
आशीष भैया
(IIT इंजीनियर)
उत्तरप्रदेश के ललितपुर के रहने वाले ब्रह्मचारी आशीष भैया आईआईटी इंजीनियर हैं। इन्होंने 11 साल IBM में नौकरी की। आचार्यश्री के प्रवचन सुने और उनकी भावना देखी तो नौकरी से रिजाइन कर दिया। हाल ही में हुई नीट परीक्षा में आशीष ने 99 प्रतिशत परसेंटाइल अंक प्राप्त किए।
अंकुर भैया
(डेटा एनॉलिटिक्स मैनेजर)
सागर के रहने वाले ब्रह्मचारी अंकुर भैया B.Tech इंजीनियर हैं। देश की एक बड़ी कंपनी में डेटा एनाॅलिटिक मैनेजर थे। 2019 में ब्रह्मचर्य ले लिया। अंकुर भैया नीट की तैयारी कर रहे हैं। खजुराहो में आचार्य को देखा तो अंदर से परिवर्तन की आवाज आई। जिसे स्वीकार कर लिया।
मनीष भैया
(IIT वाराणसी से B.Tech)
ब्रह्मचारी मनीष भैया उत्तरप्रदेश के आगरा के रहने वाले हैं। उन्होंने आईआईटी वाराणसी से बीटेक किया। वे मारुति सुजुकी कंपनी गुड़गांव में कार डिजाइनर थे। भिलाई के पास दुर्ग में पहली बार आचार्यश्री के दर्शन किए। वैराग्य का भाव पहले से था। अपना जीवन गुरु चरणों में सुपुर्द कर दिया।
संजीव भैया
(B.Com, M.Ed)
ब्रह्मचारी संजीव भैया मूलरूप से अशोकनगर के रहने वाले हैं। B.Com, M.Ed तक पढ़ाई किए। उनका गेहूं के ग्रेडिंग का कारोबार था। लेकिन उन्होंने 2014 में कुण्डलपुर आकर पूर्णकालिक ब्रह्मचर्य की दीक्षा ली। वे कुण्डलपुर में निरंतर हथकरधा केंद्र के संचालन में सेवाएं दे रहे हैं।
विजय लक्ष्मी
(SDM पद से दिया इस्तीफा)
ब्रह्मचारिणी विजय लक्ष्मी मूल रूप से मध्यप्रदेश के हरदा की रहने वाली हैं। इन्होंने 2013 में SDM पद से इस्तीफा दे दिया। वर्तमान में वे आचार्यश्री के इंडिया नहीं भारत बोलो अभियान को आगे बढ़ा रही हैं। वे भारत में भाषा का मसला, मेरे भगवन मेरे गुरुवर पुस्तक लिख चुकी हैं।
रोहित भैया
(Banker, Ayurvedic)
मध्यप्रदेश के दमोह में रहने वाले ब्रह्मचारी रोहित भैया बैंकिंग सेक्टर में थे। उन्होंने आचार्यश्री से प्रभावित होकर बैंक की नौकरी छोड़ी और 6 फरवरी 2010 में कुण्डलपुर आकर आचार्यश्री को श्रीफल दिया और अपने मन की बात कह दी। रोहित भैया वर्तमान में आयुर्वेद के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।