अमेरिका में ‘किड्स ऑनलाइन सेफ्टी बिल’ पेश … बच्चों को सोशल मीडिया के नुकसान से बचाने का कानून ला रहा अमेरिका, कंपनियां ‘लत’ वाले फीचर्स डिसेबल करने के टूल्स देंगी
सोशल मीडिया का नकारात्मक असर बच्चों और किशोरों पर ज्यादा पड़ रहा है। टेक दिग्गजों को जरा भी चिंता नहीं है। इसलिए नकेल कसना जरूरी है…।’ यह कहना है अमेरिकी सीनेटर मार्शा ब्लैकबर्न का। रिपब्लिकन पार्टी की ब्लैकबर्न और डेमोक्रेटिक सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने सोशल प्लेटफॉर्म्स पर सख्ती के लिए ‘किड्स ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट-2022’ पेश किया है।
हाल में अमेरिकी कांग्रेस ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया के असर से जुड़ी पांच सुनवाई की हैं। इसी को आधार बनाते हुए बिल लाया गया है। ब्लूमेंथल का कहना है कि बिल को दोनों ही पार्टियों का समर्थन है। इसलिए निचले सदन व सीनेट में समस्या नहीं आएगी। पढ़िए बिल के महत्वपूर्ण तथ्य…
बिल की पांच अहम बातें… इनसे सोशल मीडिया कंपनियों पर नियंत्रण करने की कोशिश होगी
1. सबसे मजबूत प्राइवेसी विकल्प: सोशल मीडिया कंपनियों को यूजर्स को प्राइवेसी विकल्प देना होगा। ‘लत’ वाले फीचर्स को डिसेबल करने के साथ पेज या वीडियो को लाइक करने से ऑप्ट आउट करने की सहूलियत देनी होगी। यह अब तक का सबसे मजबूत प्राइवेसी विकल्प है, जो डिफॉल्ट रहेगा।
2. टाइम ट्रैकिंग: एप में ऐसे टूल्स देना अनिवार्य होगा जिनसे पैरेंट्स ट्रैक कर सकें कि बच्चों ने एप पर कितना समय बिताया है। इससे पैरेंट्स बच्चों द्वारा ऑनलाइन एप खरीदारी पर भी नजर रख सकेंगे। इससे वे बच्चों द्वारा लत की हद तक एप के इस्तेमाल को भी नियंत्रित कर पाएंगे। ये सेटिंग्स भी डिफॉल्ट रहेंगी।
3. जिम्मेदारी निभाना : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नाबालिगों को होने वाले नुकसान को रोकने व कम करने की दिशा में लगातार काम करना होगा। इनमें खुद को नुकसान पहुंचाना, खुदकुशी करना, खानपान में गड़बड़ियां, नशीले पदार्थों का इस्तेमाल, नाबालिगों के लिए शराब जैसे प्रतिबंधित उत्पाद और शोषण जैसे मुद्दों पर फोकस जरूरी है।
4. स्वतंत्र समीक्षा: बच्चों और किशोरों को प्लेटफॉर्म्स से होने वाले नुकसान, इनसे जुड़े नियम-कानूनों का पालन और इन्हें रोकने के लिए कंपनियां पर्याप्त रूप से ठोस और सार्थक कदम उठा भी रही हैं या नहीं, इसकी समीक्षा के लिए थर्ड पार्टी को जिम्मेदारी देनी होगी। ताकि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष रहे।
5. डेटा शेयरिंग: सोशल मीडिया कंपनियों को बच्चों और किशोर यूजर्स से संबंधित डेटा शिक्षण, शोध संस्थानों और निजी शोधकर्ताओं के साथ साझा करना अनिवार्य होगा। वैज्ञानिक इस डेटा से सोशल मीडिया बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत को होने वाले नुकसान और इन्हें रोकने के उपायों पर स्टडी करेंगे।