चीन के पास ताइवान से 12 गुना बड़ी सेना; यूक्रेन की तरह ताइवान पर किया हमला तो अमेरिकी नौसेना के 7वें बेड़े से होगा मुकाबला

रूसी सेना यूक्रेन के कई शहरों को तबाह करते हुए अब राजधानी कीव के करीब पहुंच गई है। वहीं, दूसरी ओर चीनी लड़ाकू विमान भी ताइवान के आसमान में देखे जा रहे हैं। महज एक महीने में चीनी लड़ाकू विमानों ने 12 बार ताइवान में घुसपैठ की है। यही वजह है कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अब ताइवान पर चीनी हमले की आशंका को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

ऐसे में आज भास्कर इंडेप्थ में जानते हैं कि जैसे यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर हमला कर रूस ने कब्जा किया क्या उसी तरह ताइवान पर चीन हमला कर सकता है? ताइवान और चीन में किसकी सेना ज्यादा ताकतवर है? चीन, ताइवान पर हमला करेगा तो क्या बाहरी ताकत कुछ करेंगी? रूस के मुकाबले चीन पर दुनिया के कितने देश निर्भर हैं?

आखिर इस समय हम इस मुद्दे पर क्यों बात कर रहे हैं?

यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के बीच ताइवान और चीन के मामले में बात करने की मुख्यत: 2 वजह हैं…

1. इसी महीने शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन ने मिलकर एक जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया है। इसमें दोनों नेताओं ने ताइवान को चीन का हिस्सा माना है।

2. यूक्रेन-रूस के बीच जंग शुरू होने के बाद CCP ने एक स्टेटमेंट जारी किया है। इसमें रूस को समर्थन करने की बात कहते हुए ताइवान पर कब्जे की मंशा जाहिर की है।

चीन, ताइवान पर चढ़ाई करता है तो किसमें कितना है दम?

1949 में चीन से अलग होने के बाद ताइवान ने खुद को एक अलग देश के रूप में स्थापित किया। वहीं, शुरुआत से चीन, ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता रहा है। इसी बात को लेकर 7 दशक से भी ज्यादा समय से दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में जानते हैं कि दोनों देशों के बीच जंग होती है तो किसमें कितना है दम..

1. इकोनॉमी

चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। वहीं, छोटा देश होने की वजह से ताइवान की GDP भी सलाना 45.90 लाख करोड़ रुपए की है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में ताइवान चीन से आगे है। ताइवान में प्रति व्यक्ति आय 19.45 लाख रुपए है जबकि चीन में यह 12.92 लाख रुपए है। चीन की GDP ज्यादा होने के बावजूद ज्यादा जनसंख्या की वजह से प्रति व्यक्ति आय के मामले में चीन ताइवान से पीछे हो जाता है। ऐसे में जंग की स्थिति बनती है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि दो मजबूत इकोनॉमी तबाह हो जाएंगी। जिसका असर भारत समेत पूरी दुनिया पर होगा।

China vs Taiwan

2. हथियार

रक्षा बजट पर दुनिया भर में सबसे ज्यादा अमेरिका खर्च करता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर चीन ही है। 2020 में चीन ने सेना पर कुल GDP का 1.74% खर्च किया था। वहीं, ताइवान का रक्षा बजट चीन से 15 गुना कम है। हालांकि, ताइवान अपनी कुल GDP का 3% खर्च रक्षा बजट पर करता है। दोनों के बीच जंग होती है तो चीन से अकेले लड़ना ताइवान के लिए मुश्किल होगा।

3. जनसंख्या और भौगोलिक परिस्थिति

चीन का क्षेत्रफल 97.06 लाख वर्ग किलोमीटर है और चीन का बॉर्डर 14 देशों से लगती है। वहीं, ताइवान का क्षेत्रफल 20 हजार वर्ग किलोमीटर है। ताइवान एक टापू है, ऐसे में इसकी सीमा किसी देश से नहीं लगती है। चीन में दुनिया की सबसे ज्यादा करीब 140 करोड़ आबादी रहती है। वहीं, ताइवान में 2.40 करोड़ आबादी है। ऐसे में साफ है कि जंग से 140 करोड़ से ज्यादा लोगों पर सीधे असर पड़ेगा।

इस तस्वीर से समझ सकते हैं कि ताइवान के चारों ओर समुद्र है, ऐसे में चीन को ताइवान पर अटैक करने के लिए समुद्र में चारों ओर से इस टापू को घेरना होगा।

चीन को ताइवान पर हमला करना होगा तो कैसे करेगा?

चीन भले ही हथियार और सेना के मामले में ताइवान से ज्यादा मजबूत हो, लेकिन ताइवान पर हमला करना इतना आसान भी नहीं है। इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि 1950 के बाद से ही चीन ताइवान को खुद में शामिल करना चाहता है । कई सरकारें आईं और गईं। सभी की चाहत ताइवान को चीन में मिलाना था, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। इसकी एक वजह यह है कि ताइवान बीच समुद्र में टापू नुमा देश है।

यही वजह है कि ताइवान को पूरी तरह से मिलाने के लिए चीन को जल, थल और वायु सेना तीनों को एक साथ उतारना होगा। यह पूरी प्रक्रिया आसान नहीं है।

ऐसे में समझते हैं कि ताइवान पर हमला करना हो तो चीन अपने इस मंसूबे को किस तरह से अंजाम दे सकता है….

  • दुनिया भर में किसी जंग को जीतने के लिए सेनाओं का एक फॉर्मूला है, जिसे कॉम्बैट रेशियो कहते हैं। यह रेशियो 3:1 का है। इसके मुताबिक चीन को जंग जीतने के लिए ताइवान की कुल सेना से 3 गुना सेना मैदान में उतारनी होगी। ऐसे में कम से कम चीन को 3.5 लाख सैनिकों को जंग में उतारना होगा। इतने सैनिकों को एक टापू पर ले जाना चीन के लिए जंग जीतने से भी बड़ी चुनौती होगी।
  • इतने सारे सौनिकों को ताइवान में उतारने के लिए चीन को हजारों जहाजों की जरूरत होगी। इतने सैनिकों के एक साथ लैंडिंग के लिए ताइवान के पश्चिमी तट पर कुछ गिने-चुनी जगह हैं। इसके अलावा वेस्ट कोस्ट में पहाड़ 1000 फीट तक ऊंचे हैं। यहां की भौगोलिक परिस्थिति चीनी सेनाओं को पीछे हटने के लिए मजबूर कर सकती हैं।
  • चीन से ताइवान की दूरी 100 मील है और चीन के पास 1500 से 2000 मील तक रेंज वाली DF-21 मिसाइल है। ऐसे में चीन मिसाइल के जरिए ताइवान में विस्फोट कर वहां अफरा-तफरी पैदा कर सीधे राजधानी में सेना उतारने की कोशिश कर सकता है। हालांकि, इसके लिए ताइवान के एयर डिफेंस सिस्टम और एयर बेस को पहले तबाह करना होगा, जो आसान नहीं होगा।
  • चीन हमला करने के अलावा ताइवान से लगे छोटे द्वीप किनमेन और मात्सु पर कब्जा करके ताइवान का दुनिया से संपर्क तोड़ सकता है। साथ ही मलेशिया से भी ताइवान के रास्ते बंद कर एक तरह से नाकेबंदी लगाकर ताइवान को झुकने के लिए मजबूर कर सकता है।
  • चीन ताइवान की सरकार का तख्तापलट कराने की कोशिश कर सकता है। इसके लिए सेना और आम लोगों को भड़का कर अपनी मुरादें पूरी करने की कोशिश कर सकता है।

रूस के मुकाबले दूसरे देशों पर चीन कितना निर्भर है?

2019 में चीन ने 193 लाख करोड़ रुपए का सामान दूसरे देशों को भेजा है। वहीं, रूस का कुल एक्सपोर्ट इस साल 30.58 लाख करोड़ रुपए का रहा है। ओईसी वेबसाइट ने चीन को सामान एक्सपोर्ट करने के मामले में दुनिया के 225 देशों में पहली रैंक दी है। वहीं, इस मामले में रूस की रैंक 13 है।

चीन का सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट अमेरिका में 16.7% है। इसके अलावा हॉन्गकॉन्ग में 10.4% और जापान में 5% है। भारत में चीन के कुल एक्सपोर्ट की महज 2.82% हिस्सेदारी ही है। ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा समेत कई यूरोपिय देशों में भी चीन काफी एक्सपोर्ट करता है। वहीं, रूस की बात करें तो उसका सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट चीन के साथ 14% है। अमेरिका में महज 3.35% है। इससे ज्यादा रूस कजाखस्तान में 3.42% और बेलारूस में 5.05% एक्सपोर्ट करता है।

ऐसे में साफ है कि रूस पर भले ही प्रतिबंधों का असर न पड़े, लेकिन चीन पर प्रतिबंध लगता है तो उसकी इकोनॉमी की कमर टूट जाएगी।

चीन ताइवान पर हमले करेगा तो क्या दूसरे देश मदद करेंगे?

पूर्व विदेश सचिव और कई देशों में राजदूत रहे कंवल सिब्बल का कहना है कि यूक्रेन और ताइवान दोनों का मामला एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। यूक्रेन USSR का हिस्सा था, लेकिन ताइवान कम्युनिस्ट चाइना का हिस्सा कभी नहीं रहा है। 1895 में जापान और चीन के बीच पहली लड़ाई हुई, जिसमें चीन की हार हुई। इसके बाद चीन ने कानूनी तौर पर ताइवान को जापान को सौंप दिया था।

इसके आगे पूर्व राजदूत कंवल ने कहा कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद अमेरिका ने ताइवान को जापान के हाथों से आजाद कराया था। ऐसे में तब से ही जापान और अमेरिका दोनों ताइवान को हर तरह से मदद करते हैं। यही नहीं चीन किसी तरह से जंग छेड़ता है तो उसे सीधे अमेरिका और जापान की सेना से टकराना पड़ सकता है। यही वजह है कि अमेरिका ने साउथ चाइना सी में अपनी नौसेना का सातवां बेड़ा तैनात किया है।

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