छह महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची बेरोजगारी …. जनवरी में बेरोजगारी दर 8.1% पर पहुंची, गांवों में शहरों में ज्यादा हालत खराब

फरवरी में भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 8.1% के छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो जनवरी में 10 महीने के निचले स्तर 6.57% पर आ गई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में बेरोजगारी दर पिछले महीने 8.1% थी।

पिछले महीने गांवों में बेरोजगारी 8 महीने के रिकॉर्ड स्तर पर थी। CMIE के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2022 में गांवों में जॉबलेसनेस (बेरोजगारी) 2.51% बढ़कर 8.35% पर पहुंच गई। हालांकि इसके विपरीत शहरों में बेरोजगारी दर पिछले महीने 7.55% रही जो चार महीने का निचला स्तर है।

शहरों में रिकवरी लेकिन मनरेगा बजट में कमी से गांवों में बढ़ी बेरोजगारी
लेबर सेक्टर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि लॉकडाउन रिस्ट्रिक्शंस में ढील और फॉर्मल व इनफॉर्मल दोनों सेक्टर में तेज रिकवरी की वजह से शहरों में बेरोजगारी दर कम हो रही है। शहरों की बेरोजगारी दर नवंबर 2021 में 8.2%, दिसंबर 2021 में 9.3%, जनवरी 2022 में 8.16% और फरवरी 2022 में 7.55% पर रही।

एक्स्पर्ट्स के अनुसार कुछ राज्यों के मनरेगा बजट में कमी और गांवों में गैर-कृषि क्षेत्र में नए रोजगार की सीमित उपलब्धता के चलते गांवों में बेरोजगारी दर में उछाल रही और यह फरवरी में आठ महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई।

मई में बेरोजगारी दर 11.84% पर पहुंच गई थी
CMIE के मुताबिक 2021 में मई में बेरोजगारी दर 11.84% पर पहुंच गई थी। हालांकि इसके बाद इसमें गिरावट देखने को मिली और ये जनवरी 2022 में 6.57% पर आई थी, लेकिन अब ये फिर से बढ़ने लगी है।

 

इकोनॉमी की हेल्थ को दर्शाती है बेरोजगारी दर
CMIE के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत को बेरोजगारी दर सही तरह से दर्शाती है, क्योंकि यह देश की कुल जनसंख्या में कितने बेरोजगार हैं, इसको बताती है। थिंक टैंक को उम्मीद है कि रबी फसल की बुआई की शुरुआत में तेजी देखने को मिल सकती है। इसका मतलब है कि चालू वित्त वर्ष में एग्री सेक्टर एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करेगा। इससे प्रवासी मजदूर खेतों की ओर वापसी करेंगे।

कैसे तय होती है बेरोजगारी दर?
दिसंबर में बेरोजगारी दर 8.1% रहने का मतलब यह है कि काम करने को तैयार हर 1000 वर्कर में से 81 को काम नहीं मिल पाया। CMIE हर महीने 15 से अधिक उम्र के लोगों का घर-घर जाकर सर्वे करता है और उनसे रोजगार की स्थिति की जानकारी लेता है। इसके बाद जो परिणाम मिलते हैं उनसे रिपोर्ट तैयार की जाती है।

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